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हंसना रास न आया
Ashok deep
आँगन मधुबन करते जाओ
Ashok deep
बात चली है
Ashok deep
प्यार
Ashok deep
साँझ- सवेरे योगी होकर, अलख जगाना पड़ता है ।
Ashok deep
पूछ मत प्रेम की,क्या अजब रीत है ?
Ashok deep
पीर- तराजू के पलड़े में, जीवन रखना होता है ।
Ashok deep
क्या जलाएगी मुझे यह, राख झरती ठाँव मधुरे !
Ashok deep
दिवाली
Ashok deep
नित हर्ष रहे उत्कर्ष रहे, कर कंचनमय थाल रहे ।
Ashok deep
समझ मत मील भर का ही, सृजन संसार मेरा है ।
Ashok deep
खिचे है लीक जल पर भी,कभी तुम खींचकर देखो ।
Ashok deep
जमाने की अगर कह दूँ, जमाना रूठ जाएगा ।
Ashok deep
जब साथ तुम्हारे रहता हूँ
Ashok deep
अपने ही हाथों से अपना, जिगर जलाए बैठे हैं,
Ashok deep
मन-मंदिर में यादों के नित, दीप जलाया करता हूँ ।
Ashok deep
नैन फिर बादल हुए हैं
Ashok deep
हाँ प्राण तुझे चलना होगा
Ashok deep
मेरी आँख वहाँ रोती है
Ashok deep
नदिया रोये....
Ashok deep
उस दिन मेरी होली होगी
Ashok deep
शिक्षक दिवस
Ashok deep
सीख ले
Ashok deep
तुम्हारे बिन
Ashok deep
वेदने ! तू धन्य है री
Ashok deep
माना मौसम अंगारों का
Ashok deep
तितली
Ashok deep
नौका पार लगाए कौन
Ashok deep
वह मेरा संसार नहीं है
Ashok deep
अगर करो तुम वादा मुझसे
Ashok deep
नारी मांसल पिंड नहीं
Ashok deep
शीत/ठंड
Ashok deep
कैसे कहदूँ प्यार नहीं है ?
Ashok deep
जाने कैसी बात चली है
Ashok deep