वह मेरा संसार नहीं है
वह मेरा संसार नहीं है ।
जहाँ हँसे बिन दिन ढल जाए ।
रात आँसुओं में गल जाए ।
टूट गिरें तारे यह कहकर,
नील गगन में प्यार नहीं है । वह मेरा….
झूठ जहाँ नित दर्पण बोले ।
शूल हवा में विष कण घोले ।
उड़ती फिरे धूल यौवन पर,
मीलों जहाँ बहार नहीं है । वह मेरा …
ताज जहाँ खंजर के सिर पर ।
कालिख जहाँ पुष्प के मुख पर ।
प्रीत जहाँ महलों में बंदी,
मुक्त जहाँ श्रृंगार नहीं है । वह मेरा ….
सावन बिन गाये चल जाए ।
आसमान शोले बरसाए ।
रहें तड़पते होंठ धरा के,
पड़ती जहाँ फुहार नहीं है । वह मेरा …..
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स्वरचित
©अशोक दीप✍️
जयपुर