आशा शैली 60 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid आशा शैली 7 Feb 2024 · 1 min read कविता बस ऐसी होती है कैसा प्रश्न है यह कहो- ‘यह कविता क्या होती है?’ क्या बतलाऊँ तुमको क्या होती-कैसी होती है कविता तो अजस्र बहती रस की धारा होती है तट पर खड़े बटोही... Poetry Writing Challenge-2 2 106 Share आशा शैली 7 Feb 2024 · 1 min read फूल हर बार आता है वसंत गर्मी, वर्षा, पतझड़ और फिर वसंत अपने नियम से बगिया में हर बार खिलते हैं रंग-बिरंगे फूल और कर देते हैं बदरंग जीवन को रंगदार... Poetry Writing Challenge-2 1 95 Share आशा शैली 7 Feb 2024 · 1 min read भूल गए हैं मेरे आँगन की मुंडेर पर चिड़ियों के दल बादल बन-बन चुगना दाना भूल गए हैं तेरे जाने की सुनकर ज्यों मेरे नयन बाँवरे पलकों को झपकाना भूल गए हैं बहुत... Poetry Writing Challenge-2 2 90 Share आशा शैली 7 Feb 2024 · 1 min read सागर का क्षितिज सागर के जल का रंग मेरे पैरों के पास मटमैला गंदला है थोड़ी सी दूरी पर कुछ उजला फिर दृष्टि सीमा तक धीरे-धीरे गहराता हरा फिर एकदम एक श्याम-रेखा उसे... Poetry Writing Challenge-2 82 Share आशा शैली 7 Feb 2024 · 1 min read सुनहरा सूरज उस दिन सुबह का सुनहरा सूरज मीलों तक फैली सिंघाड़े की क्यारियों पर सोना बिखेरता भाग रहा था भागती रेल के साथ-साथ कभी छुप जाता गंदले जल के तल में... Poetry Writing Challenge-2 99 Share आशा शैली 7 Feb 2024 · 1 min read प्रकृति और पुरुष सृष्टि के आदि काल से बने हैं हम-तुम यानि मैं प्रकृति और तुम आदिपुरुष इक दूजे के लिए यही सृष्टि का नियम है तुम्हारे बिना मैं और मेरे बिना तुम... Poetry Writing Challenge-2 127 Share आशा शैली 7 Feb 2024 · 1 min read दो किनारे हम-तुम बिछड़े थे जहाँ, नदी की धारा ठीक आधी-आधी बंट गई थी वहीं से एक दूसरे से ठीक विपरीत अपने-अपने जल से दोनों किनारों को सींचती दोनों धाराएँ दूर तक... Poetry Writing Challenge-2 87 Share आशा शैली 7 Feb 2024 · 1 min read मौसम बहार का स्वागत तो सब करते हैं पतझड़ का स्वागत कौन करेगा सिवाय मेरे? पतझड़ में तो सेब के ठूँठ वृक्षों पर एक भी पत्ता नहीं रहता पौष-माघ के भयानक... Poetry Writing Challenge-2 105 Share आशा शैली 7 Feb 2024 · 1 min read चेतावनी वर्षा-पानी के अभाव में टुकड़े-टुकड़े होती धरती क्षितिज तक रोती-बिलखती अपना फटा कलेजा दिखाती है मानव को कभी अति वर्षा से बह जाती है पहाड़ों की उपजाऊ मिट्टी भी और... Poetry Writing Challenge-2 114 Share आशा शैली 7 Feb 2024 · 1 min read रंग निःसंदेह भारत का गौरव है हमारा तिरंगा परन्तु इसमें संयोजित रंग जिसकी भी बुद्धि की उपज हैं उसके लिए साधुवाद कहना आवश्यक है अनिवार्य है रंगों का संयोजन किया है... Poetry Writing Challenge-2 88 Share आशा शैली 7 Feb 2024 · 1 min read मज़दूर सच कहा आपने मैं मज़दूर हूँ पर मजबूर नहीं बहुत मज़बूत हैं मेरे कंधे सँभाल सकते हैं दर्द का भारी बोझ तभी तो ढोती हूँ दिन-रात शब्दों की ईंटें उन्हें... Poetry Writing Challenge-2 1 74 Share आशा शैली 7 Feb 2024 · 1 min read स्वागत है भानु! प्राची दिशा की ओर से धीरे-धीरे क्षितिज की कोर से उठा रहा है ऊँचा सर अपना आश्चर्य से देख रहा है धरती पर पसरे अँधेरे को हो रहा है... Poetry Writing Challenge-2 61 Share आशा शैली 7 Feb 2024 · 1 min read आम का वृक्ष देख रही थी मैं कई दिन से सामने वाले खेत की हरियाली सिमट गई थी ईंट की चारदीवारी के भीतर पर थी तो सही कभी-कभी आती थी एक औरत और... Poetry Writing Challenge-2 138 Share आशा शैली 7 Feb 2024 · 1 min read रोक लें महाभारत जानती हूँ हाँ-हाँ! जानती हूँ किसने दिया था शाप सगर के पुत्रों को जानना चाहते हो तो जान लो उन्हें शापित किया था सत्ता के अहंकार ने दम्भ ने और... Poetry Writing Challenge-2 1 2 69 Share आशा शैली 7 Feb 2024 · 1 min read पागल हूँ न? हाँ! मैं पागल हूँ क्योंकि मुझमें हिम्मत है सच बोलने की कह सकती हूँ मैं नहीं बनाना मुझे कोई विश्व कीर्तिमान आदर्श नारी का रात को रात और दिन को... Poetry Writing Challenge-2 91 Share आशा शैली 7 Feb 2024 · 1 min read माहिए बागों में बहारें हैं बिरह दुपहरी में तेरी याद फुहारें हैं सावन में आ जाना हरियाली बनकर मेरे मन पर छः जाना यह प्रीत दीवानी है विरह मिलन साजन सारे... Poetry Writing Challenge-2 89 Share आशा शैली 7 Feb 2024 · 4 min read एक और द्रोपदी यु( क्षेत्र में गान्धारी नन्दन की, क्षत-विक्षत काया। देख वीर दुर्योधन की पत्नी का मन भर-भर आया।। भू लुंठित तन, रक्त से लथपथ, अर्ध मूर्छित, शस्त्र विहीन। हाहाकार किया मन... Poetry Writing Challenge-2 1 2 112 Share आशा शैली 7 Feb 2024 · 1 min read नीड़ तुम्हें भी तो चाहिए कोरे पन्ने पर डायरी के कुछ लिख डालो न भले ही तुम एक एक शब्द बोलो मैं स्वयं वाक्य बना लूँगी तुम एक एक काँटा बिखेरो मैं उन्हीं को चुनकर... Poetry Writing Challenge-2 71 Share आशा शैली 7 Feb 2024 · 1 min read विवशता सम्पादक महोदय ने सुझाया रचना की धार छुरी की तरह सान पर चढ़ा कर पत्थर पर घिस कर पैनी, और पैनी, और पैनी करो इतनी पैनी तीखी और धारदार कि... Poetry Writing Challenge-2 1 50 Share आशा शैली 7 Feb 2024 · 1 min read विवशता सम्पादक महोदय ने सुझाया रचना की धार छुरी की तरह सान पर चढ़ा कर पत्थर पर घिस कर पैनी, और पैनी, और पैनी करो इतनी पैनी तीखी और धारदार कि... Poetry Writing Challenge-2 55 Share आशा शैली 7 Feb 2024 · 1 min read खुरदरे हाथ मेरे आँगन में उग आया एक नन्हा-सा पौधा बड़ी नाजुक कोंपलों वाला कच्चे-कच्चे हरे रंग की छोटी-छोटी पत्तियों वाला उसकी जड़ों में उगी घास को उखाड़ते मेरे हाथ छिल-छिल जाते... Poetry Writing Challenge-2 51 Share आशा शैली 6 Feb 2024 · 1 min read सच पागल बोलते हैं मुझे लगता है तुम पागल हो है न हैरानी की बात? मैं तुम्हें पागल कह रही हूँ मैं हा क्यों कल तुम्हें और सब भी पागल ही समझेंगे समझेंगे ही... 66 Share आशा शैली 6 Feb 2024 · 1 min read खुरदरे हाथ मेरे आँगन में उग आया एक नन्हा-सा पौधा बड़ी नाजुक कोंपलों वाला कच्चे-कच्चे हरे रंग की छोटी-छोटी पत्तियों वाला उसकी जड़ों में उगी घास को उखाड़ते मेरे हाथ छिल-छिल जाते... 48 Share आशा शैली 6 Feb 2024 · 1 min read हरेला फिर आया है मायके से हरेले का तिनड़ा लाया है साथ लिपटी यादें यादें! माँ की-बाबा की सावन की रिमझिम में भीगते झगड़ते भाई-बहनों की पानी भरे आंगन में काग़ज़... 42 Share आशा शैली 6 Feb 2024 · 1 min read शिकार और शिकारी पता है सबको इस जानवर का स्वभाव देखने में कहीं से भी नहीं लगता हिंसक फिर भी अब तक निगल चुका है हजारों धर्म से सजी सुन्दर सजीव मूर्तियो को... 44 Share आशा शैली 29 Jan 2024 · 1 min read हिन्दी क्या कहा? विश्व पटल पर छा जाएगी एक दिन हिन्दी? हाँ भाई! वो तो है, पर हमें तो रहना है भारत में पढ़ानी पड़ेगी बच्चों को आंग्ल भाषा क्या करें... 65 Share आशा शैली 29 Jan 2024 · 1 min read जंग लगी खिड़की एक बंद खिड़की अक्सर घरों में होती है मेरे घर में भी न जाने कब से पड़ी थी बंद एक खिड़की ज़ंग लगी जिसे खोलने का मेरा कोई इरादा नहीं... 52 Share आशा शैली 29 Jan 2024 · 1 min read उसे पता था शायद उसे पता था कि औरत को औरत होने के लिए कोई उम्र नहीं होती शायद उसे पता था कि औरत माँ के पेट से बाहर निकलते ही होती है... 61 Share आशा शैली 29 Jan 2024 · 1 min read आम का वृक्ष देख रही थी मैं कई दिन से सामने वाले खेत की हरियाली सिमट गई थी ईंट की चारदीवारी के भीतर पर थी तो सही कभी-कभी आती थी एक औरत और... 97 Share आशा शैली 29 Jan 2024 · 1 min read प्रेम कहाँ है? कैसा होता है प्रेम? क्यों होता है प्रेम, कहाँ होता है प्रेम?? नहीं हैं मेरे पास इन प्रश्नों के उत्तर। इन प्रश्नों के उत्तर खोजने के लिए तो जाना पड़ेगा... 70 Share आशा शैली 29 Jan 2024 · 1 min read इक्कीसवीं सदी का भागीरथ इतिहास! सदैव दोहराता है स्वयं को युगों पूर्व सगरपुत्र! शापित हुए थे भस्मीभूत हुए थे अपनी अदूरदर्शिता के कारण तब शुरू हुई उनके उद्धार की प्रक्रिया और उनका उद्धार सम्भव... 56 Share आशा शैली 29 Jan 2024 · 1 min read तलाश सूरज की पहले भागा आगे-आगे सूरज और पीछे भागा विज्ञान बन कर धुआँ मोटर गाड़ियों का मिलों और कारखानों का हर साँझ हर सुबह हर दिन भागती रही आगे-पीछे सृष्टि सूरज भागा... 91 Share आशा शैली 29 Jan 2024 · 1 min read पीले पात पात पीले हो गए हम पीत पत्तों की भला कीमत कहाँ बस किताबों के लिए अस्तित्व अपना किस लिए यूँ काँपते उड़ते फिरें क्यों नयन में साँस में अटके घिरें... 105 Share आशा शैली 29 Jan 2024 · 1 min read प्राणों में हो मधुमास सूर्य ने फेंका किरण का जाल जा अटकी चिरैया मेरे मन की, देख कर बदरी की काली रात भर आई कोर क्यों तेरे नयन की नाचता प्राणों में हो मधुमास... 50 Share आशा शैली 29 Jan 2024 · 1 min read चिट्ठी नहीं आती दरवाजे पर लगी बूढ़ी आँख उस वक्त अनायास ही जाने क्यों हो जाती है नम जब लौट जाता है डाकिया थमा कर कुछ अखबार कुछ किताबें कुछ पत्रिकाएँ और कुछ... 47 Share आशा शैली 29 Jan 2024 · 1 min read साँझ का बटोही कौन पूछे साँझ के हारे पथिक से, जो चला है हार कर हर दाँव अपना चल रहा हर पग अकेला आसरा किसका लिए? वह बढ़ रहा किस लक्ष्य को पाने?... 82 Share आशा शैली 29 Jan 2024 · 2 min read मैं सोचती हूँ मैं सोचती हूँ कि अब मैं भुला ही दूँ तुझको, मगर वो मन का मेरे आसमान क्या होगा? गगन पे तेरी याद का जो चाँद हँसता है, मेरी आँखों में... 48 Share आशा शैली 29 Jan 2024 · 1 min read छिन्नमस्ता नारी छिन्नमस्ता है अपने ही खड़ग से काटती है अपना शीष और करती है अपने ही रुधिर से अपनी क्षुधा शान्त। तुम चाहे इसके जो भी अर्थ निकाल लो स्वतंत्र... 66 Share आशा शैली 29 Jan 2024 · 1 min read भविष्य प्रश्न कैसा होता है भविष्य? हर पल अदृश्य हर कल जी हाँ! आने वाला हर कल! होता है मात्र छल छिपा रहता है पर्दे के पीछे जिसे पकड़ने के लिए अकुलाती... 50 Share आशा शैली 29 Jan 2024 · 1 min read बेचारा दिन मुझे इस पर दया आ रही है कितना निरीह है यह बेचारा दिन देखो न! दीपावली का दिन त्योहार तो है पर मेरे लिए हर पुराने दिन की तरह ही... 53 Share आशा शैली 29 Jan 2024 · 1 min read ‘श...श.. वह सो गई है (लतामंगेशकर के लिए) बाल्मीकि रामायण पढ़ते हुए हो गई थी मैं जैसे भाव विभोर रस लिया एक एक शब्द का अर्थ का और उनके सौंदर्य का राम की जल समाधि... 85 Share आशा शैली 29 Jan 2024 · 1 min read लाचार द्रौपदी न्याय? कहाँ है न्याय? कैसा होता है न्याय? क्या तुमने सुना नहीं? लाठी जिसके हाथ में होती है भैंस उसी की होती है यही तो न्याय है क्योंकि जब शासन... 126 Share आशा शैली 29 Jan 2024 · 1 min read रोक लें महाभारत जानती हूँ हाँ-हाँ! जानती हूँ किसने दिया था शाप सगर के पुत्रों को जानना चाहते हो तो जान लो उन्हें शापित किया था सत्ता के अहंकार ने दम्भ ने और... 29 Share आशा शैली 27 Jan 2024 · 1 min read विडम्बना कैसी विडम्बना है कि जब हम पीड़ा से छटपटाते हैं बिलबिलाते हैं तो रोकर, तड़पकर, दया के लिए अज्ञात के आगे फैलाते हैं झोली तब हम बन जाते हैं एकदम... Poetry Writing Challenge-2 81 Share आशा शैली 27 Jan 2024 · 1 min read छलावा क्या कहूँ किसने छला तुमने? या मेरे अपने मन ने? चाहतों ने? ख्वाहिशों ने? कौन था आखिर छलावा? कोर मेरे नयन की उस वक्त जाने क्यों हुई नम जब मुझे... Poetry Writing Challenge-2 74 Share आशा शैली 27 Jan 2024 · 1 min read जीवन समर है ये धरा का स्वर्ग था, कश्मीर है यह पर नहीं यह स्वर्ग कैसा? आज देखा मेरी आँखों ने इसे कश्मीर है उजड़ी हैं केसर क्यारियाँ घिर रहा चहुँ ओर जीवन... Poetry Writing Challenge-2 106 Share आशा शैली 27 Jan 2024 · 1 min read सु धिकी सुगन्ध मेरे तापस! मेरे योगी! कई युगों के बाद कहीं से मुझे तुम्हारी सुगन्ध आई आँखें छलकीं, मन भीगा यादों की पँखुड़ियाँ ले सुधि की तितली ओस में खूब नहाई मेरे... Poetry Writing Challenge-2 69 Share आशा शैली 27 Jan 2024 · 1 min read नर्गिस पौष महीने में कड़कती सर्दी में पत्थरों को चीर कर खेतों की मुंडेर पर अरी ओ नर्गिस! तुम कहाँ से आ गईं? मेरा बाग़ महक उठा है सारा का सारा... Poetry Writing Challenge-2 43 Share आशा शैली 27 Jan 2024 · 1 min read कृष्ण थक गए हैं सत्ता की गांधारी ने जब-जब खोली है अपनी आँखों पर बंधी पट्टी तब-तब हो गए हैं कई दुर्योधन वज्रदेह किन्तु अधोवस्त्रों से ढंका उनका दुष्कर्म बन गया उन्हीं के विनाश... Poetry Writing Challenge-2 47 Share आशा शैली 26 Jan 2024 · 1 min read कविता की धरती कविता की धरती अलग तरह की होती है कविता कुकुरमुत्ते की तरह नहीं उगती, उग ही नहीं सकती कविता महकती है काँटों में घिरा गुलाब बनकर कविता उगती ही है... 121 Share Page 1 Next