अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 170 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 12 Aug 2025 · 1 min read धर्म रहित का या मुर्दे का मर पाना। धर्म रहित का या मुर्दे का मर पाना। हुआ नहीं है सीगों वाला खर पाना। अग्नि शलाकाऐं फिर भी शीतल कर दें। मगर असंभव राम विमुख का तर पाना।। ***... Quote Writer 1 112 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 11 Aug 2025 · 1 min read जो तुम गये सब बहारें गयीं।। जो तुम गये सब बहारें गयीं।। फिर दरमियां रह दरारें गयीं। बस इक प्रतीक्षा हृदय को दिये। सावन गया सब फुहारें गयीं।। *** अंकित शर्मा 'इषुप्रिय Quote Writer 72 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 28 Jun 2025 · 1 min read सब पर सम अवसर होते हैं, कोई भी कमजोर नहीं है। सब पर सम अवसर होते हैं, कोई भी कमजोर नहीं है। बेकारी का मतलब ही है, कोशिश ही पुरजोर नहीं है। ज्यादातर को तो आलस, या अकर्मण्यता ले डूबी। हार... Quote Writer 1 97 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 26 Jun 2025 · 1 min read अपना आगामी खतरा भी, किसे यहाँ पर दिखता है। अपना आगामी खतरा भी, किसे यहाँ पर दिखता है। भला- बुरा जैसा भी हो, जो दिखता है सो बिकता है। गिरते -उठते लोगों से भी, व्यर्थ शिकायत करना क्यों? भेडो़ं... Quote Writer 1 95 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 24 Jun 2025 · 1 min read जब कोई हल्के में ले , अंदाज बदलना पड़ता है। जब कोई हल्के में ले , अंदाज बदलना पड़ता है। तख़्त बदलना पड़ता है या, ताज बदलना पड़ता है। चुपचाप सहन करने को ही ,जीना नहीं कहा जाता। बेहतर कल... Quote Writer 85 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 23 Jun 2025 · 1 min read कब तक तुम सिद्धान्त अटल, तो कब तक जात मिटाओगे? कब तक तुम सिद्धान्त अटल, तो कब तक जात मिटाओगे? रात चुनी है खुद तुमने, कैसे यह रात मिटाओगे? आज अलग, कल और रहेगा, यहाँ द्वेष का मुद्दा फिर। बात... Quote Writer 103 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 21 Jun 2025 · 1 min read पाखण्डों में भटका मानव, निष्ठा असली क्या जाने। पाखण्डों में भटका मानव, निष्ठा असली क्या जाने। अंबर के सिद्धान्त अलग हैं, जल की मछली क्या जाने। इसमें बडी़ बात क्या जग में, जैसों में तैसे पुजते। चमक-दमक पर... Quote Writer 61 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 20 Jun 2025 · 1 min read योग-दिवस योग-दिवस ध्यान योग संजीवनी , महौषधि प्राणायाम। श्रम - भोजन समता रहे, तब होता आराम। निज तन मन मति शुद्धि का, योग एक उपचार। दिनचर्या नियमित रखो, करो नित्य व्यायाम।।... Quote Writer 59 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 19 Jun 2025 · 1 min read दुष्टों के आगे झुककर, सत्कार नहीं मिल सकता है। दुष्टों के आगे झुककर, सत्कार नहीं मिल सकता है। कभी प्यार के बदले में फिर, प्यार नहीं मिल सकता है। यह दुनिया ऐसी ही है, सब कुछ बल से लेना... Quote Writer 1 55 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 18 Jun 2025 · 1 min read इतनी-सी भी बात आजकल, कहाँ समझ में आती है। इतनी-सी भी बात आजकल, कहाँ समझ में आती है। अपनी उच्छ्रंखलता ही तो, अपना नाश कराती है। अंदर घुसकर घात करे यह, रावण की सामर्थ्य कहाँ। स्वयं शक्ति भी मर्यादा... Quote Writer 1 86 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 18 Jun 2025 · 1 min read सदा शक्ति ने ही जग में, बढ़ते अभिमान झुकाए हैं। सदा शक्ति ने ही जग में, बढ़ते अभिमान झुकाए हैं। स्वाभिमान में सिर काटे या , अपने शीश कटाए हैं। मातृभूमि की प्राचीरों की, गाथा जब गायी जाती। छाती चौडी़... Quote Writer 48 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 17 Jun 2025 · 1 min read जग जंगल है, जंगल में तो, बल के आगे सब झुकते हैं। जग जंगल है, जंगल में तो, बल के आगे सब झुकते हैं। जिसकी जितनी संख्या उसको, उतना ताकतवर कहते हैं। हार देखकर गले गधे के, अरे! यहाँ अचरज कैसा? सबके... Quote Writer 1 55 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 16 Jun 2025 · 1 min read दिन भर खूब कमाया लेकिन, मुँह तक गया निवाला बासी। दिन भर खूब कमाया लेकिन, मुँह तक गया निवाला बासी। हम यदि जिम्मेदार न होते, कट ही जाती अच्छी- खासी। अपना सब अपनों में देके, अपने हक बस इतना आया।... Quote Writer 2 62 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 15 Jun 2025 · 1 min read मुझको मेरे किस्से में, मेरा किरदार नहीं मिलता। मुझको मेरे किस्से में, मेरा किरदार नहीं मिलता। बँटे हुए अपने ही जीवन पर, अधिकार नहीं मिलता। दफ्तर का हर दिन कटता है, शनिवार की चाहत में। मुझको मेरे हिस्से... Quote Writer 1 54 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 15 Jun 2025 · 1 min read जीवन की सारी बाधाओं को, अपना हल मिल जाता। जीवन की सारी बाधाओं को, अपना हल मिल जाता। संघर्षों की अविरल धारा, को निज समतल मिल जाता। सारी दुनिया एक ओर पर, साथ पिता का एक ओर है। जिनके... Quote Writer 1 76 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 13 Jun 2025 · 1 min read जिंदगी की हर अनिश्चितता में संशय रह गये हैं। जिंदगी की हर अनिश्चितता में संशय रह गये हैं। तय किये तनहा सफर सब, गौण परिचय रह गये हैं। मौन होकर इक सदा ने, जिंदगी भर जब बुलाया। स्वप्न आधे... Quote Writer 1 191 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 12 Jun 2025 · 1 min read हर खुशी हर पल बडी़ है। हर खुशी हर पल बडी़ है। सामने जो आ पडी़ है। जानता है कौन आगे? मृत्यु स्वागत में खडी़ है। अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' Quote Writer 1 87 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 11 Jun 2025 · 1 min read सबके अपने हक के सुख-दुख, कौन किसे क्या देता है? सबके अपने हक के सुख-दुख, कौन किसे क्या देता है? किस पर किस का जोर चला है, मन ही अपना नेता है। इस दुनिया में कदम- कदम पर, जहाँ बिछे... Quote Writer 1 104 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 10 Jun 2025 · 1 min read अपने षड्यंत्रों के प्रतिफल, बाहर सभी निकलने हैं। अपने षड्यंत्रों के प्रतिफल, बाहर सभी निकलने हैं। हुए खोखले अंदर से जो,आखिर कितने चलने हैं। स्वयं खडे़ हैं बारूदों पर, चिन्गारी के सौदागर। सबके घर झुलसाने वाले , उसी... Quote Writer 1 134 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 9 Jun 2025 · 1 min read कुछ शासन कुछ लालन- पालन मैला है। कुछ शासन कुछ लालन- पालन मैला है। कंधे पर पश्चिमी ज्ञान का थैला है। जो जीवन के सबसे अच्छे साथी हैं। आज उन्हीं रिश्तों का ही डर फैला है। अंकित... Quote Writer 1 94 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 9 Jun 2025 · 1 min read कुछ शासन कुछ लालन -पालन मैला है। कुछ शासन कुछ लालन -पालन मैला है। कंधे पर पश्चिमी ज्ञान का थैला है। जो जीवन के सबसे अच्छे साथी है। आज उन्हीं रिश्तों का ही डर फैला है। अंकित... Quote Writer 1 96 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 8 Jun 2025 · 1 min read तुम्हें देखने सपने आँख सँजोती है। तुम्हें देखने सपने आँख सँजोती है। याद किये बिन तुम्हें रात कब होती है। जिसे तुम्हारे आलिंगन में जीना था। उसे उदासी गले लगाकर रोती है।। अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' Quote Writer 1 70 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 7 Jun 2025 · 1 min read कितने कायर! स्वाभिमान पर, चोट रोज हम सह लेते। कितने कायर! स्वाभिमान पर, चोट रोज हम सह लेते। 'गौ हत्या हो बंद' हमीं बस, नारों में ही कह लेते। जिन गौ वंशों हेतु पूर्वजों, ने नर - मुण्ड उखाडे़... Quote Writer 1 110 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 6 Jun 2025 · 1 min read कहाँ भटकते इस दुनिया में, कोई दर - दरबार नहीं। कहाँ भटकते इस दुनिया में, कोई दर - दरबार नहीं। सिवा आपके कोई पीरों, से कर सकता पार नहीं। कौन अकारण रखता जग में, ध्यान कहीं हम दीनों का? सबका... Quote Writer 1 86 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 4 Jun 2025 · 1 min read हमें रचे पर्यावरण, हमें रचे पर्यावरण, हम तो इसके अंश। रहें मित्रवत् प्रकृति के, बचे रहेंगे वंश।। हम अपने हालात के, खुद ही जिम्मेदार। एक स्वस्थ पर्यावरण, हम सबका आधार।। अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' Quote Writer 1 74 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 3 Jun 2025 · 1 min read मायूसी में अक्सर घिरना पड़ता है। मायूसी में अक्सर घिरना पड़ता है। अपनों में ही तनहा रहना पड़ता है। कई दर्द ऐसे भी हैं जिनमें हमको। तन को जिंदा रखकर मरना पड़ता है। अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' Quote Writer 1 67 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 1 Jun 2025 · 1 min read बलवानों की चढी़ हुई, भौंहें नित जिन्हें डरातीं हों। बलवानों की चढी़ हुई, भौंहें नित जिन्हें डरातीं हों। अत्याचारों पर तख़्तों को, जहाँ मौत ना आतीं हों। वहाँ युद्ध या सत्ता से टकरा जाना ही न्याय हेतु है। न्याय... Quote Writer 1 86 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 1 Jun 2025 · 1 min read इस दिल ने तो सदा इश्क़ को लँगडा़ देखा है। इस दिल ने तो सदा इश्क़ को लँगडा़ देखा है। यादों की आँधी में दिल को उखडा़ देखा है। कैसे कोई मोहक मंजर मन को भाते जब। इन आँखों ने... Quote Writer 1 50 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 31 May 2025 · 1 min read बाद तुम्हारे मुझसे मेरे, सावन होली छूट गये। बाद तुम्हारे मुझसे मेरे, सावन होली छूट गये। सूतक- से सूने माथे के, चंदन - रोली छूट गये। तुम जाकर भी मेरे मन में, खुद को ऐसे छोड़ गयीं। याद... Quote Writer 1 83 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 30 May 2025 · 1 min read तपा -तपा कर मन को, मन की, पीरों को पिघलाने निकला। तपा -तपा कर मन को, मन की, पीरों को पिघलाने निकला। मैं अपने ही अश्कों से, अपने तन को नहलाने निकला। यादों के कोलाहल से जब, मन के सन्नाटे सहमे।... Quote Writer 1 71 Share Previous Page 2 Next