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11 Aug 2025 · 1 min read

जो तुम गये सब बहारें गयीं।।

जो तुम गये सब बहारें गयीं।।
फिर दरमियां रह दरारें गयीं।
बस इक प्रतीक्षा हृदय को दिये।
सावन गया सब फुहारें गयीं।।
***

अंकित शर्मा ‘इषुप्रिय

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