Pankaj Trivedi 23 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Pankaj Trivedi 22 Nov 2017 · 1 min read अलसुबह अलसुबह मैं फिनिक्स बनकर उठ खड़ा होता हूँ अपने अस्तित्व को निखारने के लिए ! दिनभर जद्दोजहद में लगे रहते हैं मेरे ही चाहने वाले मुझे गिराने के लिए !... Hindi · कविता 1 467 Share Pankaj Trivedi 20 Jan 2017 · 1 min read शेर दर्द को ज्यादा तवज्जु देने की आदत नहीं है मेरी मजे से रहो तुम दर्द भी रहें ज़िंदगी चलती है मेरी - पंकज त्रिवेदी Hindi · शेर 272 Share Pankaj Trivedi 20 Jan 2017 · 1 min read ज़िंदगी ज़िंदगी फिल्म की तरह बनती है, सँवरती है, बनतीहै, बिगड़ती है, लोग देखते हैं और वक्त के प्रवाह में बहती हुई लावा की तरह ठहरकर पत्थर सी बन जाती है... Hindi · कविता 243 Share Pankaj Trivedi 20 Jan 2017 · 1 min read शेर मुझे देखकर खनकाती रहती थी तुम चूडियाँ ये क्या हो गया कि खुशियों पे लगी है बेडियाँ - पंकज त्रिवेदी Hindi · शेर 271 Share Pankaj Trivedi 20 Jan 2017 · 1 min read शेर तुम जानती नहीं कि लौ सी जलती है मेरे अंदर तुम्हीं हो वो बाती जो मेरे उजाले की पहचान है -पंकज त्रिवेदी ... Hindi · शेर 265 Share Pankaj Trivedi 20 Jan 2017 · 1 min read शेर मोहब्बत का सरे आम इज़हार न करो बेदर्द ज़माना है खुद का मज़ाक न करो पंकज त्रिवेदी Hindi · शेर 273 Share Pankaj Trivedi 20 Jan 2017 · 1 min read कविता हर शाम घर लौटकर आयने में देखकर हमें ही शर्म आने लगें, अपनी आँखों से आँखें मिला न पाएं..... ऐसा क्यूं जियें हम? सूर्य बदल रहा है... आओ, हम भी... Hindi · कविता 438 Share Pankaj Trivedi 20 Jan 2017 · 1 min read शेर खामोश खड़े है हम मगर अकेले नहीं मिलकर रहती है शाखा-प्रशाखाएँ यहीं - पंकज त्रिवेदी Hindi · शेर 250 Share Pankaj Trivedi 20 Jan 2017 · 1 min read शेर बड़ा रंगीला खुशहाल जटिल तो बदनाम भी था आज न होकर वो खुद अंतिम संस्कार में भी था - पंकज त्रिवेदी Hindi · शेर 276 Share Pankaj Trivedi 20 Jan 2017 · 1 min read शेर फाँसले तो बहुत रहे हमारे दरमियाँ फिर भी हम एक ही सिक्के के दो पहलू बनकर साथ जीते रहें -पंकज त्रिवेदी Hindi · शेर 314 Share Pankaj Trivedi 20 Jan 2017 · 1 min read शेर कितनी आग लिये चल रहा है कारवाँ देखो ये मोमबत्तियाँ ही नहीं दिल जलने की लौ है - पंकज त्रिवेदी Hindi · शेर 375 Share Pankaj Trivedi 20 Jan 2017 · 1 min read शेर हर किसी को मैंने अपने वजूद के लिये खेलता हुआ यहाँ देखा है पता नहीं क्यूं उसके लिये वो मज़हब और इंसानियत से खेलता है - पंकज त्रिवेदी Hindi · शेर 207 Share Pankaj Trivedi 20 Jan 2017 · 1 min read शेर मन की गलियाँ विरानी सी क्यूं हो गई है, मेरी मोहब्बत में क्या कमी तुमने पाई है? - पंकज त्रिवेदी Hindi · शेर 208 Share Pankaj Trivedi 20 Jan 2017 · 1 min read ज़िंदगी बहुत कम बची है दोस्त ! ज़िंदगी बहुत कम बची है दोस्त ! मगर जान लो ये बात .. मैं ज़िंदगी के पीछे दौड़ता नहीं मौत से घबराता नहीं ! ज़िंदगी को ख़ूबसूरत बनाने के लिए... Hindi · कविता 223 Share Pankaj Trivedi 20 Jan 2017 · 1 min read जल जल – पंकज त्रिवेदी * जल बहता है – झरनें बनकर, बहकर लिए अपनी शुद्धता को वन की गहराई को, पेड़, पौधों, बेलों की झूलन को लिए जानी-अनजानी जड़ीबूटियों के... Hindi · कविता 369 Share Pankaj Trivedi 20 Jan 2017 · 1 min read ग़ज़ल कोई मेरे दिये की लौ नहीं बुझा पायेगा ग़ैरज़िम्मेदाराना हवा को न बदलने दो ज़िंदगी के दर्द से जीना सीखा रहने दो कोई हमें डर दिखाएं फैसला बदलने दो महलों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 249 Share Pankaj Trivedi 20 Jan 2017 · 1 min read अशांति अशांति - पंकज त्रिवेदी तुम्हारा इंतज़ार करना अब नया तो नहीं है बरामदे में झूले पे झूलती हुई मैं शहर से आती उस सड़क को देखती रहती हूँ जबतक तुम... Hindi · कविता 280 Share Pankaj Trivedi 20 Jan 2017 · 1 min read ग़ज़ल कोई अपनों के रिश्तो में गैर होते हैं कोई गैर होकर भी जो अपने होते है रिश्तों के नाम से रिश्ता नहीं होता कोई रिश्तों के बगैर ही साथ होते... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 436 Share Pankaj Trivedi 20 Jan 2017 · 1 min read मन मन - पंकज त्रिवेदी ** मन ! ये मन है जो कितना कुछ सोचता है क्या क्या सोचता है और क्या क्या दिखाते हैं हम... मन ! जो भी सोचता... Hindi · कविता 282 Share Pankaj Trivedi 20 Jan 2017 · 1 min read पैबंद पैबंद - पंकज त्रिवेदी * बचपन में जब नहलाकर माँ मुझे तैयार करती और फटी सी हाफ पेंट पैबंद लगाकर माँ मुझे स्कूल भेजना चाहती थी तब मैं नाराज़ होकर... Hindi · कविता 335 Share Pankaj Trivedi 20 Jan 2017 · 1 min read ग़ज़ल चुपके से आती खामोशी न जाने कितना कुछ कह जाती है हवा के झोके के संग तुम्हारी खुशबू को भी वो ले आती है मोहब्बत का वो दर्ज़ा उसने दे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 273 Share Pankaj Trivedi 20 Jan 2017 · 1 min read मुक्तक हर एक शब्द को छूने के बाद ही हम उस अर्थ को पाने का भरते हैं जो दम तुम चाहें तुकबंदी कहकर किनारा करो कौन जानता है तुम्हारे शब्द में... Hindi · कविता 311 Share Pankaj Trivedi 20 Jan 2017 · 1 min read ग़ज़ल खिडकी से आती धूप दिवार पर इस कदर फैलती है चारों तरफ़ हमारे रिश्ते की खुश्बू जैसे रोज़ फैलती है चेहरे पे खुशियाँ लेकर आते जाते रहते हैं दोस्त बनकर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 305 Share