Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Jan 2017 · 1 min read

शेर

फाँसले तो बहुत रहे हमारे दरमियाँ फिर भी हम
एक ही सिक्के के दो पहलू बनकर साथ जीते रहें
-पंकज त्रिवेदी

Language: Hindi
Tag: शेर
305 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
💐अज्ञात के प्रति-124💐
💐अज्ञात के प्रति-124💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
23/15.छत्तीसगढ़ी पूर्णिका
23/15.छत्तीसगढ़ी पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
नेमत, इबादत, मोहब्बत बेशुमार दे चुके हैं
नेमत, इबादत, मोहब्बत बेशुमार दे चुके हैं
हरवंश हृदय
दृष्टि
दृष्टि
Ajay Mishra
सब दिन होते नहीं समान
सब दिन होते नहीं समान
जगदीश लववंशी
"धूप-छाँव" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
आप और हम
आप और हम
Neeraj Agarwal
स्त्रियाँ
स्त्रियाँ
Shweta Soni
मेहनत कड़ी थकान न लाती, लाती है सन्तोष
मेहनत कड़ी थकान न लाती, लाती है सन्तोष
महेश चन्द्र त्रिपाठी
रंगीन हुए जा रहे हैं
रंगीन हुए जा रहे हैं
हिमांशु Kulshrestha
राजा जनक के समाजवाद।
राजा जनक के समाजवाद।
Acharya Rama Nand Mandal
भौतिक युग की सम्पदा,
भौतिक युग की सम्पदा,
sushil sarna
"ऐसा वक्त आएगा"
Dr. Kishan tandon kranti
मेरा स्वप्नलोक
मेरा स्वप्नलोक
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
रिश्ते (एक अहसास)
रिश्ते (एक अहसास)
umesh mehra
लोगबाग जो संग गायेंगे होली में
लोगबाग जो संग गायेंगे होली में
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
सतशिक्षा रूपी धनवंतरी फल ग्रहण करने से
सतशिक्षा रूपी धनवंतरी फल ग्रहण करने से
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
आईने से बस ये ही बात करता हूँ,
आईने से बस ये ही बात करता हूँ,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
धर्म और विडम्बना
धर्म और विडम्बना
Mahender Singh
यह कलयुग है
यह कलयुग है
gurudeenverma198
गजल
गजल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
■समयोचित_संशोधन😊😊
■समयोचित_संशोधन😊😊
*Author प्रणय प्रभात*
माँ...की यादें...।
माँ...की यादें...।
Awadhesh Kumar Singh
गीतिका-
गीतिका-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
काव्य में विचार और ऊर्जा
काव्य में विचार और ऊर्जा
कवि रमेशराज
कहां ज़िंदगी का
कहां ज़िंदगी का
Dr fauzia Naseem shad
*खिलता है जब फूल तो, करता जग रंगीन (कुंडलिया)*
*खिलता है जब फूल तो, करता जग रंगीन (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
कुत्तों की बारात (हास्य व्यंग)
कुत्तों की बारात (हास्य व्यंग)
Ram Krishan Rastogi
किसी को फर्क भी नही पड़ता
किसी को फर्क भी नही पड़ता
पूर्वार्थ
Loading...