योगिता 23 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid योगिता 3 Jul 2017 · 1 min read स्त्री सिर्फ तब तक तुम्हारी होती है स्त्री सिर्फ तब तक तुम्हारी होती है जब तक वो तुमसे रूठ लेती है,लड लेती है आंसू बहा बहाकर , और दे देती है दो चार उलाहना तुम्हे। कह देती... Hindi · मुक्तक 3 4k Share योगिता 8 Apr 2017 · 1 min read वक्त कैसा भी हो बदलता हैै एक ही बात,हां एक ही बात रखती हूं याद,हां एक ही बात वक्त कैसा भी हो,बदलता है..... समय का पहिया ,चलता है,चलता है। घड़ी मुश्किलों की हो तो भी कटेगी,... Hindi · मुक्तक 1 1k Share योगिता 13 Jan 2017 · 1 min read मन की थकन जो उतार दे वो अवकाश चाहिए मन की थकन जो उतार दे वो अवकाश चाहिए । इस भागती सी जिंदगी में फुरसत की सांस चाहिए । चेहरों को नहीं दिल को भी पढने का वक्त हो... Hindi · कविता 2 1k Share योगिता 18 Feb 2017 · 1 min read मम्मी का जन्मदिन मम्मी का जन्मदिन कोई त्योहार हो या किसी का जन्मदिन अक्सर हम सबके पास एक सवाल होता था और जवाब भी हम ही देते थे। मम्मी खाने में क्या बनेगा... Hindi · मुक्तक 1 1k Share योगिता 9 Oct 2017 · 1 min read पति परमेश्वर से कुछ ज्यादा अब तुम, पति परमेश्वर से कुछ ज्यादा दोस्त हो गए हो मेरे , जैसे किसी बचपने से निकल रहा है हमारा रिश्ता, और ले रहा है , एक नया मोड,... Hindi · मुक्तक 1 708 Share योगिता 20 Apr 2017 · 1 min read हल्दी न जाने खेलते खेलते कब खुद को जख्मी कर लिया , कोई मुंदी चोट आ गई है शायद न चोट का ज़ख्म नजर आता है न इसका दर्द जाता है।... Hindi · मुक्तक 1 711 Share योगिता 20 May 2017 · 1 min read बात तो तब होती बात तो तब होती जब तेरे मेरे दरमियां कुछ बात होती। जब भीतर कोई चिनगारी हो तो गर्माहट महसूस होती है, लेकिन तुम हमेशा से ठंडे से ही मिले ।... Hindi · मुक्तक 1 645 Share योगिता 4 Feb 2017 · 1 min read मन की गति मन की गति, कभी हिरनों सी कुलांचे मारती गिलहरी सी फुदकती कहीं खुशियाँ बिखेरती अपनी ही मस्ती में मदमस्त होती मन की गति। और कभी खुद को कछुए के मानिंद... Hindi · कविता 1 669 Share योगिता 1 Jul 2017 · 1 min read भक्ति धर्म स्थान पर जाकर कब भक्ति हम कर पाते हैं हम तो अपने लिए भगवान को रिझाते हैं ... कभी मिठाई कभी चादर/वस्त्र चढाते हैं कभी दानपेटी में डाल पैसे... Hindi · कविता 1 562 Share योगिता 23 Jul 2017 · 1 min read तुम जीत भी सकती थीं तुम जीत भी सकती थीं, जीत से बहुत कम फासले पर तुमने हार लिखी, प्रतियोगियों की भाषा में इसे अच्छी हार कहते हैं एक ऐसी हार जो हार होकर भी... Hindi · मुक्तक 1 500 Share योगिता 11 May 2017 · 1 min read ब्लाक होते रिश्ते किसी ने ज्योतिष का पहला पाठ जब पढाया था कुंडली में गुरू का महत्व बताया था। कि घर के बुजुर्ग खुश रहें तो गुरू कभी नाराज नही होते। और प्रतिदिन... Hindi · मुक्तक 1 461 Share योगिता 3 Jun 2017 · 1 min read जब चोट गहरी हो बहुत बेचैन होती हैं वो घडियां जब चोट तो गहरी हो, पर जख्म नजर न आता हो। भीतर से कुछ दरक रहा हो पल पल , और ऊपर से कर... Hindi · मुक्तक 1 435 Share योगिता 7 Nov 2020 · 1 min read हम औरतें हम औरतें.... ??????? हम औरतें.... हर कुछ दिनों में.... झांक झांक कर देख लेती हैं, बंद पड़ी संदूकची को... अलमारियों को.... ठीक उसी तरह जैसे खोलती हैं सबके बंद मन... Hindi · कविता 1 2 493 Share योगिता 7 Nov 2020 · 1 min read मैं ऐसा लगता है... मेरे अंदर ... मैं कहीं नहीं हूं.. ये कोई और ही है, जो रह रहा है इस चार दिवारी में। ये वो जीवन तो नहीं है, जैसा... Hindi · मुक्तक 2 1 445 Share योगिता 14 May 2017 · 1 min read मां मुझको भी प्यार करो मां किसी बेटी ने न कहा होगा जो आज मैं कहती हूं क्यों सब बच्चों में सबसे ज्यादा उपेक्षित मैं रहती हूं । माना मैं थी सबसे बडी तो समझदारी... Hindi · मुक्तक 1 442 Share योगिता 15 Jun 2020 · 1 min read ये न करो सफलता हमेशा , हर जगह इतनी जरूरी भी नहीं। टूट रहे हो भीतर से... मान लो...हर्ज क्या है ... हर कोई टूटा है कभी न कभी... उदास हो , कह... Hindi · लेख 1 464 Share योगिता 15 Jan 2017 · 1 min read स्त्री स्त्री ..... अक्सर तुनकमिजाज सी लगती कभी बहुत रोती कभी बहुत हंसती। छोटी छोटी चीजों को मचल जाती अक्सर ...... और बडे बडे अभाव झेल जाती हंसकर ..... हां थोडी... Hindi · कविता 1 423 Share योगिता 1 Jul 2017 · 4 min read ये कैसी सजा आज की रात भी वैसी ही थी। एक छत के नीचे दो अजनबी अपने अपने हिस्से के जख्मों को लेकर लेटे थे । राजीव तो शायद सो गए थे पर... Hindi · कहानी 1 359 Share योगिता 25 Nov 2020 · 1 min read मालिक औरतें बखूबी जानती हैं, नौकर की तरह घिस पिट कर भी , मालिक बनना..... तुम उस पर रोक टोक लगाकर , उसे हाथ में कुछ पैसे पकड़ाकर, अपना मालिकाना सिद्ध... Hindi · मुक्तक 5 1 350 Share योगिता 2 Jul 2017 · 1 min read किस राह पर जाएं अब कहां जाएँ, किस राह पर चल के दिखाएं, लगता आसां है, पर मुश्किल सवाल है। जिस राह पर चलने का ख्वाब था आज उसी राह पर चलते हुए, होता... Hindi · कविता 2 306 Share योगिता 14 Sep 2017 · 1 min read मातृभाषा की पुकार : लिए कोई दिवस न मनाओ मेरे लिए कुछ करना ही है तो मेरे लिए कोई दिवस न मनाओ। तुम्हारे घर में बच्चे होंगे , उनको पढने की आदत सिखाओ। सिखाओ उनको हिंदी की व्याकरण ।... Hindi · कविता 2 2 323 Share योगिता 29 Jan 2017 · 1 min read अंदर की ताकत अंदर की ताकत अक्सर छुपी होती है हम सबमें, और बात बात पर वो बाहर निकलती भी नहीं , वो तब नही नजर आती सब साथ कोई सहारा देने खडा़... Hindi · मुक्तक 1 289 Share योगिता 26 Apr 2017 · 1 min read अच्छी पत्नियां देखती हूं, बहुत अच्छी पत्नियां बनी वो सारी लडकियां जिनके प्रेम प्रसंग चर्चित रहे कालेज के जमाने में। अपने बीते दिनों के अनुभव से सीख लिया था उनने पुरुष को... Hindi · मुक्तक 1 262 Share