Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jun 2020 · 1 min read

ये न करो

सफलता हमेशा , हर जगह इतनी जरूरी भी नहीं। टूट रहे हो भीतर से… मान लो…हर्ज क्या है … हर कोई टूटा है कभी न कभी… उदास हो , कह दो.. दिक्कत क्या है, सब होते हैं। रोना चाहते हो तो रो लो … किसने कहा कि कमजोर लोग रोते हैं… सब रोते हैं.. और किसी के सामने रोना तो कमजोरी नहीं साहस है. खूब रो… जी भर के रो… जब तक मन पूरा हल्का न हो जाए रो … पर ये काम न करो … कौन कहता है कि जिंदा रहने के लिए सफल रहना जरूरी है , जो समाज की दृष्टि में असफल है वो लोग भी जीवन जीते हैं, खुश होते हैं । कौन कहता है कि अपनी टूटन को छिपाना बहादुरी है , वो लोग ज्यादा मजबूत होते हैं जो अपनी हार, अपनी परेशानी, अपनी टूटन, अपने आंसुओं को स्वीकार करना और व्यक्त करना जानते हैं। कौन कहता है कि महज एक घटना से जीवन रुक जाता है.. हम जीते हैं… हम तमाम असफलताओं, तमाम तकलीफों, तमाम संघर्ष के बाद भी जीते हैं, इनके बाद भी हंसते हैं। क्योंकि हमारा मूल स्वभाव खुश रहना है। यकीन तो नहीं होता पर यदि ये तुमने ही किया है तो थोड़ी देर रुकते तो … कोई पुराना एल्बम पलटा लेते…. किसी पुराने दोस्त को फोन लगा लेते… कोई संगीत लगा लेते… एक कप काफी बना लेते…. रो लेते। पर ये … क्यों ? रो लो … हार जाओ… टूट जाओ … पर ये न करो … ये न करो ..

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 423 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मैंने खुद के अंदर कई बार झांका
मैंने खुद के अंदर कई बार झांका
ruby kumari
* लोकतंत्र महान है *
* लोकतंत्र महान है *
surenderpal vaidya
जीवन में भी
जीवन में भी
Dr fauzia Naseem shad
सब कुछ दुनिया का दुनिया में,     जाना सबको छोड़।
सब कुछ दुनिया का दुनिया में, जाना सबको छोड़।
डॉ.सीमा अग्रवाल
“ इन लोगों की बात सुनो”
“ इन लोगों की बात सुनो”
DrLakshman Jha Parimal
स्वर्ग से सुंदर मेरा भारत
स्वर्ग से सुंदर मेरा भारत
Mukesh Kumar Sonkar
नहीं चाहता मैं यह
नहीं चाहता मैं यह
gurudeenverma198
मेरी देह बीमार मानस का गेह है / मुसाफ़िर बैठा
मेरी देह बीमार मानस का गेह है / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
"हाथों की लकीरें"
Ekta chitrangini
राजसूय यज्ञ की दान-दक्षिणा
राजसूय यज्ञ की दान-दक्षिणा
*Author प्रणय प्रभात*
*तुम  हुए ना हमारे*
*तुम हुए ना हमारे*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
आदमी से आदमी..
आदमी से आदमी..
Vijay kumar Pandey
हम और तुम
हम और तुम
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
*पेट-भराऊ भोज, समोसा आलूवाला (कुंडलिया)*
*पेट-भराऊ भोज, समोसा आलूवाला (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
अबोध प्रेम
अबोध प्रेम
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
"विजेता"
Dr. Kishan tandon kranti
पातुक
पातुक
शांतिलाल सोनी
सौंदर्य मां वसुधा की
सौंदर्य मां वसुधा की
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
*किस्मत में यार नहीं होता*
*किस्मत में यार नहीं होता*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
आकर्षण गति पकड़ता है और क्षण भर ठहरता है
आकर्षण गति पकड़ता है और क्षण भर ठहरता है
शेखर सिंह
नजरिया
नजरिया
नेताम आर सी
मैं ज़िंदगी के सफर मे बंजारा हो गया हूँ
मैं ज़िंदगी के सफर मे बंजारा हो गया हूँ
Bhupendra Rawat
दोष उनका कहां जो पढ़े कुछ नहीं,
दोष उनका कहां जो पढ़े कुछ नहीं,
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
नया साल
नया साल
विजय कुमार अग्रवाल
बनारस
बनारस
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
जब ‘नानक’ काबा की तरफ पैर करके सोये
जब ‘नानक’ काबा की तरफ पैर करके सोये
कवि रमेशराज
*दीपक सा मन* ( 22 of 25 )
*दीपक सा मन* ( 22 of 25 )
Kshma Urmila
मां तो फरिश्ता है।
मां तो फरिश्ता है।
Taj Mohammad
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
प्रेम ईश्वर प्रेम अल्लाह
प्रेम ईश्वर प्रेम अल्लाह
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
Loading...