डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' Tag: कविता 180 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 16 Nov 2018 · 1 min read "माँ" "माँ" ------ बारिश की बूदों में माँ तू, प्रेम सरस बरसाती है। तेज धूप के आतप में तू ,छाँव बनी दुलराती है। तुझसे मेरा जीवन है माँ, मैं तेरी ही... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 8 35 742 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 21 May 2020 · 1 min read कविता 'जीवन का सच समझ न पाऊँ' ________________________ जीवन का सच समझ न पाऊँ कुसुमित इच्छाएँ मुरझातीं। सावन पतझड़ बन जाएगा ऋतुएँ आ संदेश सुनातीं।। दर्द छुपाकर संघर्षों का कंटक पथ... Hindi · कविता 6 1 477 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 28 Apr 2020 · 1 min read मदिरा सवैया छंद छंद- मदिरा सवैया (वर्णिक) विधान-7 भगण +एक गुरु गोकुल में प्रभु रास रचा, अब मोर शिरोमणि श्याम रमे। होठ धरी मुरली हरि के, जन चैन चुरा कहुँ रूप जमे। साँवरि... Hindi · कविता 4 1 620 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 16 Nov 2018 · 1 min read कविता "माँ" ----- बारिश की बूदों में माँ तू, प्रेम सरस बरसाती है। तेज धूप के आतप में तू ,छाँव बनी दुलराती है। तुझसे मेरा जीवन है माँ, मैं तेरी ही... Hindi · कविता 3 269 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 28 Dec 2018 · 2 min read कविता "नूतन वर्ष" ********* सभी ये साल नूतन हैं सभी यादें पुरानी हैं, गुज़र जाएँ यहाँ जो पल कहें अपनी कहानी हैं। सितम हर रोज़ झेले हैं लगी हर रुत सुहानी... Hindi · कविता 3 274 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 23 May 2023 · 1 min read बात आधार छंद- सूर मापनी युक्त वर्णिक सात वर्ण मापनी- गागाल गागागा ल ध्रुव शब्द-#बात पिंगल सूत्र- तमल (तगण मगण ल) कैसे मिलेगी ताल। साथी हुआ बेहाल।। बोलो न तीखी बात।... Hindi · कविता 3 419 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 29 Apr 2017 · 1 min read "परिंदे" "परिंदे" आँखों में परिंदे पाले थे उम्मीद लगा इंसानों की मतवाले दो खग झूम उठे भूले हस्ती दीवानों की। भाल लगा कर चंदन टीका मजहब सारे हार गए बेखौफ़ सरहद... Hindi · कविता 2 241 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 26 Jul 2017 · 1 min read कारगिल विजय दिवस कविता "कारगिल विजय दिवस" मापनी-१२२२×४ लगा कर धूल मस्तक पर बहा कर प्रेम की धारा। चला हस्ती मिटाने को भगत आज़ाद सा यारा। वतन पे जाँ फ़िदा कर दे यही ख़्वाहिश... Hindi · कविता 2 2 3k Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 28 Dec 2018 · 1 min read कविता "सलामे इश्क अठरा साल" सभी ये साल सोलह हैं,सभी यादें पुरानी हैं। गुज़र जाएँ यहाँ जो पल,कहें अपनी कहानी हैं। सितम हर रोज़ झेले हैं,नहीं शिकवा शिकायत है। कहूँ क्या... Hindi · कविता 2 242 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 27 Feb 2020 · 1 min read कैसा ये मधुमास प्रिय? 'कैसा ये मधुमास प्रिय?' कैसा ये मधुमास प्रिये! जीवन की मधुरिम राहों में पाया नव अहसास प्रिये! झुलस गए आशा के पौधे यौवन झरता पातों से सूख गयीं खुशियों की... Hindi · कविता 2 1 224 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 27 Feb 2020 · 1 min read कैसा ये मधुमास प्रिय? 'कैसा ये मधुमास प्रिय?' कैसा ये मधुमास प्रिये! जीवन की मधुरिम राहों में पाया नव अहसास प्रिये! झुलस गए आशा के पौधे यौवन झरता पातों से सूख गयीं खुशियों की... Hindi · कविता 2 1 188 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 15 Mar 2020 · 1 min read कुंडलिया कुंडलिया छंद 'श्रम ही जीवन है ' मजदूरी का फांवड़ा ,साहस लेकर साथ। आत्मतोष श्रम से उठा, लीना लक्कड़ हाथ।। लीना लक्कड़ हाथ लक्ष्य ले आगे बढ़ती। कभी न मानी... Hindi · कविता 2 206 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 26 May 2020 · 1 min read मुकरी छंद कह मुकरी हीरे मोती तन बिखराए बालों में जाकर लिपटाए जा कपोल पर मारे ठुमका ए सखि साजन ?ना सखि झुमका! कारी-कारी बदरी छाई देख पिया के मन को भाई... Hindi · कविता 2 2 540 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 29 May 2020 · 1 min read कविता 'राधाकृष्ण' मोर पंखी मुकुट सिर पर अधर वंशी राजती है, माल वैजंती गले में पाँव पायल बाजती है। केश घुँघराले घटा सम रूप का रसपान करते, राधिका के साथ मोहन... Hindi · कविता 2 1 503 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 26 Feb 2017 · 1 min read "आँखें" सायलीछंद "आँखें" सायली छंद शिल्प-१, २, ३, २, १ शब्द आँखें हमेशा तुम्हारा इंतज़ार करती रहीं तुम नहीं आए। नयन नीर बहा समंदर हुआ खारा पथिक प्यासा लौटा। दृग कमल नयन... Hindi · कविता 1 1 364 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 23 Apr 2017 · 1 min read "ख़्वाहिश" कतरा-कतरा पिघल रही हैं आहें तेरी यादों की , जी चाहे साँसों में भर लूँ खुशबू तेरी चाहत की। टकरा कर लहरों सी लौटें आहट तेरी पायल की, जी चाहे... Hindi · कविता 1 272 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 29 Apr 2017 · 1 min read "मधुशाला" "मधुशाला"(माहिया छंद, विधा-२२२२२२ २२२२२ २२२२२२,पहली तीसरी पंक्ति समतुकांत) रातों को आते हो नींद चुरा मेरी मुझको तड़पाते हो। नैनों बिच तू रह दा मधुबन सा जीवन काँटे सम क्यों जी... Hindi · कविता 1 282 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 14 May 2017 · 1 min read मैं और मेरी माँ ?मैं और मेरी माँ? बारिश की बूदों में माँ तू, मेघ सरस बन जाती है। तेज धूप के आतप में तू ,आँचल ढ़क दुलराती है। तन्हाई में बनी खिलौना ,आकर... Hindi · कविता 1 308 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 22 May 2017 · 1 min read "प्यासे अधर" "प्यासे अधर" सदियों से प्यासे अधरों पर मधु मुस्कान कहाँ से लाऊँ, मूक व्यथा की पौध लगा कर सुरभित पुष्प कहाँ से पाऊँ? पीड़ा से मर्माहत मन को कोकिल गान... Hindi · कविता 1 450 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 25 May 2017 · 1 min read "मनभावन" "मनभावन (मुकरी छंद) रूप सलौना खूब सजाते श्याम भ्रमर मन को अति भाते स्वप्न दिखाकर जागे रैना ए सखि साजन?ना सखि नैना! अधरों पर बैठी मुस्काती कोकिल मीठी तान सुनाती... Hindi · कविता 1 250 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 25 May 2017 · 1 min read "मनभावन पहेली" "मनभावन (कह मुकरी छंद) रूप सलौना खूब सजाते श्याम भ्रमर मन को अति भाते स्वप्न दिखाकर जागे रैना ए सखि साजन?ना सखि नैना! मुख निकसत मिश्री कहलाती कोकिल मीठी तान... Hindi · कविता 1 265 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 25 May 2017 · 1 min read "मनभावन" श्रृंगार रस प्रधान कह मुकरी छंद/पहेलियाँ विधा- कविता/पहेली "मनभावन" श्रृंगाररस प्रधान (कह मुकरी छंद) निरखत जिसमें रूप सजाऊँ देख स्वयं को मैं इठलाऊँ तन श्रृंगार अति आकर्षण ए सखि साजन?ना सखि दर्पण! छमछम करती प्रीत बुलाती... Hindi · कविता 1 1k Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 28 May 2017 · 1 min read "ख्वाहिश" "ख़्वाहिश" तुम से ख़्वाहिश मेरी हमनशीं जानलो अपनी धड़कन में मुझको बसा लीजिए। पुष्प माला बना केश वेणी गुथूँ अपने तनमन में खुशबू रमा लीजिए। भोर आभा चुरा माँग लाली... Hindi · कविता 1 476 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 29 May 2017 · 1 min read "ईर्ष्या" (मनोद्गगार) "ईर्ष्या" आज शून्य को तकती प्यासी नज़रें कुछ तलाश रही हैं...... किसे मालूम था--- तप्त रेत में जिन अल्फ़ाज़ों को उकेरती मेरी तूलिका अरमानों के रंग भर रही है उन्हें... Hindi · कविता 1 315 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 29 May 2017 · 1 min read "फ़ितरत" "फ़ितरत" गिरगिट से रंग बदलती मुहब्बत को गैर के साथ देख कर आँखों से बहता सैलाब कहने लगा-- "आज भीगे मेरे ख़त के कुँआरे अल्फ़ाजों को नहीं पढ़ पाओगे, हाँ..... Hindi · कविता 1 260 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Jun 2017 · 1 min read "क्षणिकाएँ" क्षणिकाएँ (१)"बात" ****** कौन कहता है तन्हाई अकेली और खामोशी मौन होती है? जब मिल बैठती हैं एक साथ तो बात ही बात होती है। (२)"सूनापन" ******** मन व्यथित हो... Hindi · कविता 1 535 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 12 Jun 2017 · 1 min read खामोशी "खामोशी" संवेगों की मौन व्यथाएँ मूक भाव अभिव्यक्ति है दमित चाह ज्यों बंद यौवना चुप्पी साधे दिखती है। कलकल स्वर में निर्झर बहता विरह वेदना कह जाता काँटों से घिर... Hindi · कविता 1 1 310 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 18 Jun 2017 · 1 min read "पिता" "पिता" आँगन की फुलवारी हरदम लहू दे सींचते हैं जो, दु:ख हरते पोषण करते सबल सशक्त पिता हैं वो। प्रसव समय दे मातु सहारा परिवार का आधार बने , रोटी... Hindi · कविता 1 319 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 19 Jun 2017 · 1 min read "अनबुझी प्यास" (ग़ज़ल) ग़ज़ल "अनबुझी प्यास" बह्र 1222×4 काफ़िया-आ रदीफ़- जाओ छलकते जाम बन कर आप नयनों से पिला जाओ। महकते ख़्वाब बन कर आप नींदों में समा जाओ। धधक रिश्ते यहाँ नासूर... Hindi · कविता 1 314 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 27 Jun 2017 · 1 min read "क्यों ना देखूँ ख़्वाब नया" "क्यों ना देखूँ ख्वाब नया" ****************** मरुधर से निर्मम जीवन में अंगारों के पार गया, नयनों से नीर बहा मेरे क्यों ना देखूँ ख्वाब नया। नयन झरोखे मधुर स्वप्न सा... Hindi · कविता 1 369 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Jul 2017 · 1 min read "काश कोई रखवाला होता" "काश कोई रखवाला होता" ******************* अपमानों के पंख लगाके, इस दुनिया में आई थी। रूप रंग श्रृंगार देख के, सबके मन को भाई थी। बड़े प्यार से बाँह थाम कर,... Hindi · कविता 1 270 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 4 Jul 2017 · 1 min read माहिया छंद "मधुशाला" (माहिया छंद) ************ रातों को आते हो नींद चुरा मेरी मुझको तड़पाते हो। नैनों बिच तू रह दा मधुबन सा जीवन काँटे सम क्यों जी दा? दिल डूब गया... Hindi · कविता 1 1k Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 15 Jul 2017 · 1 min read "सिसकती पशुता" "सिसकती पशुता" ************ मधुर वचन से आच्छादित नर नाग सरीखे डँसते हैं मौका परस्त घात लगाएँ घर में गिरगिट पलते हैं। ताक लगाए बैठे छिप कर आतंकी का साथ धरें... Hindi · कविता 1 476 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 16 Jul 2017 · 1 min read कैसे इंसान हो कि हर बात पे हँस देते हो?? कैसे इंसान हो कि हर बात पे हँस देते हो?? ****************************** कभी खुद को भुला गैरों के लिए हँस देते हो कैसे इंसान हो कि हर बात पे हँस देते... Hindi · कविता 1 239 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 26 Jul 2017 · 1 min read राख(कविता) *राख* ****** सुला कर गोद में अपनी झुलाया पूत को पलना तड़प कर रो उठी ममता पड़ा अपमान जब सहना। बह रहे आँख से आँसू निकल घर द्वार से अपने... Hindi · कविता 1 558 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 26 Jul 2017 · 1 min read "जंग" कविता विषय- "जंग" ****** मापनी-1222×4 बना कर ज़िंदगी को जंग दानवता बढ़ाते हैं सियासी चाल शतरंजी बिछा शकुनी लड़ाते हैं बदल कर गिरगिटी सा रंग रिश्तों को मिटाते हैं बने ये... Hindi · कविता 1 733 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 27 Jul 2017 · 1 min read "खामोशी" कविता *खामोशी* ******* संवेगों की मौन व्यथाएँ मूक भाव अभिव्यक्ति है दमित चाह ज्यों बंद यौवना चुप्पी साधे दिखती है। कलकल स्वर में निर्झर बहता विरह वेदना कह जाता काँटों से... Hindi · कविता 1 1k Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 28 Jul 2017 · 1 min read *ज़िंदगी* (कविता) "ज़िंदगी" (कविता) ******* अजब पहेली बनी ज़िंदगी उलझ गई जज़्बातों में मोती के दानों सी बिखरी फ़िसल गई हालातों में, कालचक्र सा घूम रहा है समय बीतता बातों में आहें... Hindi · कविता 1 432 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 28 Jul 2017 · 1 min read *ज़िंदगी* (कविता) "ज़िंदगी" (कविता) ******* अजब पहेली बनी ज़िंदगी उलझ गई जज़्बातों में मोती के दानों सी बिखरी फ़िसल गई हालातों में, कालचक्र सा घूम रहा है समय बीतता बातों में आहें... Hindi · कविता 1 472 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 28 Jul 2017 · 1 min read *ज़िंदगी* (कविता) "ज़िंदगी" (कविता) ******* अजब पहेली बनी ज़िंदगी उलझ गई जज़्बातों में मोती के दानों सी बिखरी फ़िसल गई हालातों में, कालचक्र सा घूम रहा है समय बीतता बातों में आहें... Hindi · कविता 1 433 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 1 Aug 2017 · 1 min read "उलझन" कविता विषय--"उलझन" ************** जीवन में आई बाधाएँ हमको नाच नचाती हैं, सुलझ न पाए गुत्थी कोई उलझन ये बन जाती हैं। असमंजस का भाव जगातीं दिल को ये भटकाती हैं, मृग... Hindi · कविता 1 946 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 6 Aug 2017 · 1 min read दोस्ती (कविता) *दोस्ती* ****** दोस्ती का नायाब तोहफ़ा खुदा ने दे दिया कुछ न देकर भी मुझो सब कुछ दे दिया, ऐ दोस्त ! नाज़ करती हूँ तेरी दोस्ती पे मैं सुख-दुख... Hindi · कविता 1 1k Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 26 Feb 2018 · 1 min read उदास पनघट "उदास पनघट" ************ छुपा कर दर्द सीने में नदी प्यासी बहे जाती। बसा कर ख्वाब आँखों में परिंदे सी उड़े जाती। निरखते बाँह फैलाकर किनारे प्यार से इसको- समेटे प्यास... Hindi · कविता 1 1 257 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 26 May 2018 · 1 min read "समर्पण" "समर्पण" ******** तन समर्पित मन समर्पित क्या तुझे उपहार दूँ जन्मदिन पर आज तेरे क्या तुझे सौगात दूँ? पुष्प वेणी केश में मधुमास बनकर जा बसूँ प्रीत का रसपान कर... Hindi · कविता 1 464 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 21 Jun 2018 · 1 min read कविता "कर्मठ परिंदे" *********** (1)मेरे उपवन की डाली पर खग ने नीड़ बनाया था, तिनका-तिनका जुटा-जुटाकर दृढ़ विश्वास दिखाया था। साँझ-सवेरे संयम रखके दाना चुनकर लाता था, बैठ नीड़ में बच्चों... Hindi · कविता · बाल कविता 1 340 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 29 Jul 2018 · 1 min read बाल कविता बाल कविता "चंदा मामा" चंदा मामा....चंदा मामा हम दोनों से....मेल मिलाना नन्हें-नन्हें....साथी हैं हम आज मधुर तुम....गीत सुनाना। सीढ़ी पर चढ़....मिलने आए हँसकर हमको....गले लगाना। साथ सितारों.... को लेकर तुम... Hindi · कविता · बाल कविता 1 204 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 30 Jul 2018 · 1 min read बाल कविता "आँगन में भर आया पानी" छुटकी आओ....मुन्नी आओ झम-झम करती....बारिश आई ताता-थैय्या....शोर मचाओ मौज मनाने....की रुत आई। कागज़ की हम....नाव बनाएँ आओ करते....हैं मनमानी उछलें-कूदें....गोते खाएँ आँगन में भर....आया पानी।... Hindi · कविता · बाल कविता 1 231 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2018 · 1 min read कविता “देशभक्त की अभिलाषा” ***************** निष्ठुर मन की बुझी बाती सा, मैं क्यों जीवन मौन धरूँ? जी चाहे मैं रजत रेत सा हस्त पकड़ से फिसल पड़ूँ। आशाओं के पंख लगा... Hindi · कविता 1 275 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2018 · 1 min read कविता "किन्नर" ****** किसे सुनाऊँ मौन व्यथा मैं कौन जगत में है अपना, जन्म लिया किन्नर का जब से लगता है जीवन सपना। मातृ कोख से जन्मा हूँ मैं क्यों समझा... Hindi · कविता 1 1 230 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 8 Oct 2018 · 1 min read कविता बाल सखा चित चोर लियो तुम ढोल, मृदंग रहे मदमाए चंदन भाल लगा इठलावत श्वेत वसन तन खूब सुहाए। मोहनि मूरत सांवरि सूरत चंद्र सलौना रूप लुभाए फाल्गुन मास बसे... Hindi · कविता 1 1 417 Share Page 1 Next