Tag: मुक्तक
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चलती नही है ज्यादा देर तक भी मक्कारी
Kapil Kumar
शहर भी।तुम्हारा है संग भी तुम्हारे हैं
Kapil Kumar
क्या हुआ।जो नादानी में हमसे मुँह मोड़ बैठे
Kapil Kumar
अजनबी हर बशर लगता है
Kapil Kumar
शहर भी तुम्हारा संग भी तुम्हारे हैं
Kapil Kumar
वजह
Kapil Kumar
तन्हा तन्हा जिंदगी गुजार दी हमने
Kapil Kumar
तन्हा तन्हा जिंदगी गुजार दी हमने
Kapil Kumar
कैसे हैं दिन कैसी अजीब राते हैं
Kapil Kumar
मै हूँ न वजूद अपना मिटाने के लिये
Kapil Kumar
दिल अपना भी
Kapil Kumar
नोट बंदी आर्थिक डकैती है
Kapil Kumar
बेवजह ही मै सबसे रूठता रहा
Kapil Kumar
जब ख़ुशी के पल हैं बहुत ही कम
Kapil Kumar
हाथ संसद न चलने देने का कुछ तो इनाम आ गया
Kapil Kumar
डरते नही जो डूबने से जो वही पार जाते हैं
Kapil Kumar
कुछ तो छिपा 2000 के नोट में है
Kapil Kumar
उजड़े ख्वाबो का कोई मंजर लगता है
Kapil Kumar
और इससे ज्यादा गम क्या मिलेगा
Kapil Kumar
जवानी में चर्चे हमारे कम न थे
Kapil Kumar
रोज तोबा करके भी गुनाह करता हूँ
Kapil Kumar
वो कहते हैं शायरी से पेट नही भरता
Kapil Kumar
बस आम आदमी लाइन में दिखाई देता है
Kapil Kumar
वो ही देश पे शहीद हुआ
Kapil Kumar
रुकी रुकी हैं हसरते
Kapil Kumar
सुर्ख जोडे में वो इक बोसा दे गया
Kapil Kumar
न सोच की मकान ये अभी कच्चे हैं
Kapil Kumar
बस्ती दूर कहाँ थी मेरी नजर उठा के देखा तो होता
Kapil Kumar
बात न होती गऱ
Kapil Kumar
माना कि बेखबर हूँ
Kapil Kumar
बेशक इसको वक्त कहिये
Kapil Kumar
नमन मोदी जी को
Kapil Kumar
क्या चंद रोज की परेशानी मुश्किल है
Kapil Kumar
कहीं पे कियूं बूंद बूंद को तरसता है आदमी
Kapil Kumar
बुजुर्गो को अकेला न छोड़ो यारों
Kapil Kumar
रफ्ता रफ्ता ही सही
Kapil Kumar
1000 का बंद है
Kapil Kumar
बहकते हैं अक्सर वो जिन्हें प्यार नही होता
Kapil Kumar
दिल्ली की धुंध का इलाज संभव है
Kapil Kumar
ये होता न था
Kapil Kumar
ढूंढ कर लायेगा कैसे हमसा कोई तो बता
Kapil Kumar
इश्क़ को बना लूं कलमा
Kapil Kumar
छोटे हैं हम मगर ऊँची उड़ान है
Kapil Kumar
होता न गऱ इश्क़
Kapil Kumar
हरेक की यहां जोर आजमाइश है
Kapil Kumar
दूसरों की देख खुशियाँ अपना गम ज्यादा लग़ा
Kapil Kumar
बनने दे तू हकीकत सपने को जरा जरा
Kapil Kumar
फिर कियुं जमाना वो ढूंढ रहा है
Kapil Kumar
अब दरिया ए पाक उल्टा बहता है
Kapil Kumar
मुझे दो गुल ताजा ही बे बहारा न दो
Kapil Kumar