Jitendra Anand Language: Hindi 150 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Jitendra Anand 30 Apr 2017 · 1 min read हिंदी है भारत की बिंदी ( गीत) जितेंद्र कमल आनंद हिंदी है भारत की बिंदी, इसको लाल चमकने दें हिंदी है गरिमा भारत की, माता का सम्मान है । एकरूपता यही राष्टृ की, भावों का परिधान है जैसे फहरे ध्वजा... Hindi · गीत 356 Share Jitendra Anand 30 Apr 2017 · 1 min read ऑगन में भी चहके - महकें ( गीत) जितेंद्र कमल आनंद ऑगन में भी चहकें- महकें । अमृत भर गागर से छलकें ।। अच्छाई को रोशन करके । नयी उमंगें मन में भरकर। कमल वतन के इस उपवन में खिले- खिले... Hindi · गीत 1 1 288 Share Jitendra Anand 30 Apr 2017 · 1 min read मेरे स्वर संगम सँग वीणा अंतरमन ने ( गीत) जितेंद्रकमलआनंद मेरे स्वर संगम सँग वीणा अन्तर्मन ने आज बजायी । तेरे अंतस के पृष्ठों पर स्वर्णिम- स्वर्णिम पावन अपने । लिखे गीत गाऊँ हरषाऊँ,सतरंगी दृग - सम्मुख सपने । देख-... Hindi · गीत 384 Share Jitendra Anand 30 Apr 2017 · 1 min read रंग सारे छोडकर ( गीत) जितेंद्र कमल आनंद रंग सारे छोडकर , हम हंस हो गये । रंग सारे ग्रहण कर तुम श्याम हो गये ।। आयीं भले ही ऑधियॉ,आयीं रुकावटे । विचलित न हो कर हम तो... Hindi · गीत 404 Share Jitendra Anand 29 Apr 2017 · 1 min read खोलो उर के द्वार बंद ऑखों को खोलो ( गीत ) खोलो उर के द्वार, बंद ऑखों को खोलो ! निखिल विश्व का प्यार तुम्हारे घर आता है । हरिद्वार है तीर्थ हमारा ,गंगाजल अमृत । गीता- रामायण का वाचन अर्थ... Hindi · गीत 290 Share Jitendra Anand 29 Apr 2017 · 1 min read कविता : हुआ अपेक्षित है आवश्यक हुआ अपेक्षित है आवश्यक,सद् मारग पर तुमको चलना। परहितार्थ जीवन यापन हो,सद् आचरण बनाये रखना ।।३!! सुस्थिरप्रग तुम्हें रहना है,घबराहट तुमसे घबराये विजय तुम्हारी होगी निश्चित ,चक्रव्यूह तुमसे चकराये ।।४!!... Hindi · कविता 509 Share Jitendra Anand 28 Apr 2017 · 1 min read इस स्थावर जंगम जगत् का जो मूल तत्व( घनाक्षरी) इस स्थावर जंगम जगत् का जो मूल तत्त्व, बीज प्रधान सत्त्व, परब्रह्म निष्काम हैं । दुग्धामृत - दायिनी हैं जिनकी कृपा से गायें, उन्हीं गोपाल को हम करते प्रणाम हैं... Hindi · घनाक्षरी 306 Share Jitendra Anand 28 Apr 2017 · 1 min read परमब्रह्म हैं जो परमपुरुष जिनसे ( घनाक्षरी) परमब्रह्म हैं जो परमपुरुष जिनसे- विष्णु भी पाते ऐश्वर्य करते निवास हैं । उन योगेश्वर कृष्ण को करते प्रणाम , रखते श्रद्धा भी हम ,करते विश्वास हैं ।। --- जितेन्द्र... Hindi · घनाक्षरी 278 Share Jitendra Anand 28 Apr 2017 · 1 min read हरि- नारायण,विष्णु जो कृष्ण के स्वअंश हैं( घनाक्षरी) हरि- नारायण ,विष्णु जो कृष्ण के स्व- अंश हैं, प्राप्त करते हैं रूप प्रभु रूपवान से । कृष्ण ही परमेश्वर ,उनसे महेश्वर भी, प्राप्त करते हैं शक्ति प्रभु शक्तिमान से... Hindi · घनाक्षरी 309 Share Jitendra Anand 19 Dec 2016 · 1 min read जग गया भारत : जितेंद्रकमल आनंद ( पोस्ट १६२) जग गयी भारत हमारा देश भावन। छँट गये बादल तमिस्रा के घनेरे ।। है मदन- उत्सव ,खिलीं कलियॉ सुरभि भर मधुकरों के साथ मिल मृदुहास करतीं आम्र तरु की ये... Hindi · गीत 2 263 Share Jitendra Anand 6 Dec 2016 · 1 min read मंजरी को चाहता हूँ ( गीत ) पोस्ट -२३जितेंद्रकमलआनंद( पोस्ट१६५) माधुरी को चाहता हूँ ( गीत ) तुम हिरन सम मरुथलों में दौडना चाहूँ करूँ क्या ननिजह्लदय ,गोविंद की मैं माधुरी क चाहता हू रंग विरंगी लट्टुओं की जगमगाती वह... Hindi · कविता 271 Share Jitendra Anand 2 Dec 2016 · 1 min read घनाक्षरी:: मेरे लिए कुछ भी न दूर और : जितेंद्र आनंद( पो १६३) मेरे लिए कुछ भी न दूर और समीप ही, मेरा प्रतिबिम्ब ही तो होता अवलोकित है । दृष्टि में न भेद|वाह्य, आंतरिक जगत् में, सर्वत्र ही समदर्शी मेरी स्थिति शोभित... Hindi · कविता 392 Share Jitendra Anand 2 Dec 2016 · 1 min read मुक्तक: हर सुबह एक नई प्यास: जितेंद्रकमलआनंद( पोस्ट१६२) हर सुबह एक नई आस लिए होती है । हर दोपहर अमिट प्यास लिए होती है । डूब जाता हूँ याद की तन्हाईयों में -- चॉदनी रात जब मधुहास लिए... Hindi · कविता 246 Share Jitendra Anand 21 Nov 2016 · 1 min read हम मानव हैं हरित धरा के :: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट १५९) हम मानव हैं हरित धरा के ,मानवता से नाता है । भारत भाग्य विधाता है ।। महारथी कवि काव्यप्रज्ञ ये स्वर्णिम रथ दौडाते हैं। काव्यकलश में मधुरस भरकर ,सबको रस... Hindi · गीत 1 309 Share Jitendra Anand 16 Nov 2016 · 1 min read हरषाती धूप : जितेंद्रकमलआनंद ( पोस्ट १६१) गीत: हरषाती धूप जाड़े के मौसम में हरषाती धूप खेतों में , रेतों में, हरषाती धूप भली लगी सोने- सी , पीली वह सरसों -- सी मदमाती धूप ।। मंदिरके... Hindi · गीत 1 235 Share Jitendra Anand 11 Nov 2016 · 1 min read यह ब्रह्मही है आत्मा ,आत्माही है: जितेन्द्र कमल आनंद ( पो १४२) घनाक्षरी ----------- यह ब्रह्म ही है आक्मा, आत्मा ही ब्रह्म अत: ब्रह्माण्डीय चकुर्दिक विस्तार आत्मा का है । यह आत्मा सम्पूर्ण और आत्मा ही सत्य , वत्स सुखकर अलौकिक संसार... Hindi · कविता 212 Share Jitendra Anand 11 Nov 2016 · 1 min read सत्यके सुदर्शन जिसे होते हैं:: जितेंद्रकमल आनंद ( पोस्ट१४०) घनाक्षरी:-- ---------- सत्यके सुदर्शन जिसे होते हैं अलौकिक , आत्मपद पर वही होता है सुशोभित । निरावृत दृष्टि और पाकर वह सद्ज्ञान, खिल कर कमल - सा होता है सुवासित... Hindi · कविता 1 307 Share Jitendra Anand 10 Nov 2016 · 1 min read फिर एक ग़ज़ल --- जितेंद्रकमलआनंद ( पोस्ट १४०) गॉव के पोखर में खिल उठे कमल सॉसों में पल गई फिर एक ग़ज़ल विहंगों का कलरव गिरता तुषार पत्तों पे ढल गई फिर एक ग़ज़ल वट तले मंदिर में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 215 Share Jitendra Anand 9 Nov 2016 · 1 min read स्वप्नवत् हो भ्रांतियॉ जिसके :: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट१३९) स्वप्नवत हो भ्रांतियॉ , जिसके बोधोदय से, उस सुखरूपी शॉत, तेजस्वी को नमन हैं । वासनाओं में जो नहीं होता है संलिप्त कभी , उस महामना योगी, यशस्वी को नमन... Hindi · कविता 202 Share Jitendra Anand 9 Nov 2016 · 1 min read युग निर्माण करें सब मिलकर::-- जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट १३८) युग निर्माण करें सब मिल कर, मानवताके पथ पर चलकर । परम अपेक्षित है गीताके ,परमतत्व को फिर पाने की । आवश्यकता है भारतको , कर्म- मार्ग पर फिर जाने... Hindi · गीत 521 Share Jitendra Anand 9 Nov 2016 · 1 min read प्रिये लेखनी , सखी -- संगिनी :-- जितेंद्रकमल आनंद ( पोस्ट १३७) प्रिये लेखनी , सखी - संगिनी , तुमको सम्बोधन क्या -- क्या दूँ । रहीं अर्पिता जीवन भर तुम , अब मैं उद्बोधन क्या -- क्या दूँ । अंतिम पल... Hindi · गीत 1 275 Share Jitendra Anand 7 Nov 2016 · 1 min read नीरसमें भी रसमिलता है :-- जितेंद्रकमलआनंद ( पोस्ट१३६) भले लगे प्रतिकूल सत्य यह , नीरस में भी रस मिलता है माना साथ धूप तरुवर का ,होता कभी नहीं चिर' थायी । माना फूल और कॉटोंकी , सीमत है... Hindi · गीत 1 235 Share Jitendra Anand 7 Nov 2016 · 1 min read १३५ : अंतस जब दर्पण बन धुँधलाता यादों को -- जितेंद्रकमलआनंद ( पोस्ट१३५) अंतस जब| दर्पण बन धुँधलाता यादों को । विरहाकुलनयनों से नीर छलक आता है ।। दामन में धूप लिए यौवन दोपहरी में ---- भटका है प्यासा ही मरुथल की राहों... Hindi · गीत 299 Share Jitendra Anand 6 Nov 2016 · 1 min read मुक्तक: हर सुबह एक नई आस लिए होती है:- जितेंद्रकमलआनंद( १३२) मुक्तक ::--- ------++ हर सुबह एक नई आस लिए होती है दोपहर एक अमिट प्यास लिए होती है डूब जाता हूँ याद की तन्हाईयों में -- चॉदनी रात जब मधुमास... Hindi · मुक्तक 218 Share Jitendra Anand 5 Nov 2016 · 1 min read ओंकार, अघनाशक,परम आनंद हैं जो: जितेंद्र कमल आनंद ( १३१) ओंकार, अघनाशक ,परम आनंद हैं जो , क्यों न करें भक्त यशगान आठों याम ही । देख- देख प्रभु प्रेममूर्ति की सौंदर्य राशि , करते मधुप रसपान| अविराम ही ।... Hindi · कविता 2 313 Share Jitendra Anand 2 Nov 2016 · 1 min read काव्य से अमृत झरे,वेदका वह सार दें:- जितेंद्र कमल आनंद ( पो १३०) सरस्वती -- वंदना ----------------------- काव्यसे अमृत झरे, वेद का वह सार दें! मॉ मेरी वरदायिनी साधकों को प्यार दें । ऑधियों से लड़ सके , भोर तक जो जल सके,... Hindi · कविता 1 364 Share Jitendra Anand 1 Nov 2016 · 1 min read जो पिता से प्यार करतीं वो हमारी वेटियॉ: जितेंद्र कमल आनंद ( पो १२९) गीत ------- जो पिता से प्यार करतीं, वो हमारी वेटियॉ हैं । सूर्यको जो अर्घ्य देतीं, ज़िन्दगी का अर्थ देतीं । हर्ष देती खेलकर भी, जो व्यथाएँ झेल कर भी... Hindi · गीत 285 Share Jitendra Anand 1 Nov 2016 · 1 min read भक्ति- योग से राज- शक्ति का जब हो भण्डारन बाला ( पोस्ट १२८) मुक्तक :: भक्ति-- योग से राज - शक्ति का जब हो भण्डारन , बाला! असुर - शक्तियों के छल- बल का होता तब मारण , बाला! आत्म -- तत्व का... Hindi · मुक्तक 224 Share Jitendra Anand 1 Nov 2016 · 1 min read समय बदलते सूखी धरती मुस्काती :: जितेंद्र कमल आनंद मुक्तक ( पोस्ट १२७) ----------------------- समय बदलते सूखी धरती मुस्काती ऐसे बाला । नयी नवेली ओढ चुनरिया मदमाती जैसे बाला । सृष्टि - चक्र का घूर्णन निश्चित सुखद समय भी... Hindi · मुक्तक 194 Share Jitendra Anand 1 Nov 2016 · 1 min read घूँट सुरा का तीखा होता प्यालों में : जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट१२६) घूँट सुरा का तीखा होता प्यालों में माना ,बाला ! यात्रा शभ हो जाये भर दो खाली पैमाना ,बाला ! मेरे होठों के गीतों को रस मिल जाये भावों का... Hindi · मुक्तक 1 292 Share Jitendra Anand 29 Oct 2016 · 1 min read दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ : जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट१२५) मुक्तक --------- आओ मिलकर मनायें दीपावली । ज्योतिर्मयी दीप-- मालाएँ हों ! मात-- पिता ,भाई- बहनों के संग, सँग बच्चे, सँग बालाएँ हों ! आओ मिलकर मनाएँ दीपावली !!१!! नेह... Hindi · मुक्तक 362 Share Jitendra Anand 29 Oct 2016 · 1 min read यज्ञ के लिए भी पंच गव्य जो प्रदान करें:- जितेंद्र कमल आनंद ( पोस्ट१२४) घनाक्षरी ::: गौ माता ----------------------- यज्ञ के लिए भी पंच गव्य जो प्रदान करें , उन दुग्ध,-- दायिनी की शुचि दुग्ध धार हैं ! मन की भी बात गाय जानती... Hindi · कविता 1 243 Share Jitendra Anand 29 Oct 2016 · 1 min read सुरभि,सुभद्रा,नन्दा,बहुला,सुशीला :: जितेंद्रकमलआनंद (१२३) घनाक्षरी :: गौ माता ----------------------- सुरभि, सुभद्रा,नन्दा,बहुला,सुशीला गायें-- क्षीर- सिंधु-- मंथन से लिए| अवतार| है । जो हैं चन्द्र, रवि और इन्द्र की भी इष्ट शक्ति, करते उन्हें भी हम... Hindi · कविता 615 Share Jitendra Anand 28 Oct 2016 · 1 min read परहितार्थ हम जैसा करते सत्य उसी को:-- जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट१२२) कविता ----------+ परहितार्थ हम जैसा करते , सत्य उसी को कहा है जाता । धर्म| बहॉ पर| नहीं ,जहॉ पर| -- सत्य| नहीं होता उद् गाता ।।१ ।। परम| पुरुष... Hindi · कविता 2 296 Share Jitendra Anand 27 Oct 2016 · 1 min read बाद| तुम्हारे जाने के कल::: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट १२१) गीत:: बाद तुम्हारे जाने के कल ----------------------------------- ( शेष भाग ) व्यर्थ की हठता आज विवशता , कल परवशता मत रोये ।। क्षणिक सुखों के लिए , विवश हो पल... Hindi · गीत 241 Share Jitendra Anand 27 Oct 2016 · 1 min read बनें सभी सत्पथ अनुगामी ::: जितेंद्रकमलआनंद ( पोस्ट११९) गीत व्यर्थ की हठता ,आज विवशता, कल परवशता मत रोये क्षणिक सुखोंके लिए विवश हो, पल अनगिन अनमोल गये ।। काम- क्रोध ,ममता विष त्यागें ,हम विषयों को विष समझें... Hindi · गीत 275 Share Jitendra Anand 26 Oct 2016 · 1 min read उड़ चला हंस फिर विश्वास पा कर": जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट११९) गीतिका ******** रश्मियों ने सूर्य जब से वर लिए हैं तामसिक संताप तप से हर लिए हैं उड़ चला मन हंस फिर विश्वास पा कर कल्पना ने पंख नूतन धर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 247 Share Jitendra Anand 26 Oct 2016 · 1 min read सुंदर हो सपने कैसे साकार लिखो :: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट ११८) गीतिका ----------- सपने हो कैसे साकार लिखो । स्वर्णिम हो शुभकर कैसे संसार लिखो। दुल्हिन को लज्जा हो सोने का गहना साजन की बाँहों का भी उपहार लिखो । सदा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 264 Share Jitendra Anand 26 Oct 2016 · 1 min read मुक्तक ::: बना रहे सम्बंध प्यारका::: जितेन्द्र कमल आनंद ( ११७) मुक्तक ******* बना रहे सम्बंध प्यार का शुभ दिन - राती । हम लिखते हैं स्नेहापूरित सबको पाती । बना रहे सहकार ,परस्पर हमसे - तुमसे । सबकी जाती ब्रह्म... Hindi · मुक्तक 1 258 Share Jitendra Anand 26 Oct 2016 · 1 min read जगतमें हो कोई न उदास :: जितेंद्रकमलआनंद ( पोस्ट११६) श्रंगार छंद ------------++ जगत् में हो कोई न उदास । सरस हो हास और परिहास । सभीके जीवन कमल सुवास निरन्तर प्रतिपल हो मधुमास ।।१ ।। कृष्ण की छवि है... Hindi · कविता 213 Share Jitendra Anand 25 Oct 2016 · 1 min read अनेक एक हो जाते हैं( शेष भाग) जितेन्द्रकमल आनंद ( पोस्ट११५) तब आवश्यकता नहीं रहती मूर्ति अर्चना की / प्रस्तर - वंदना की व्यर्थ कर्मकाण्ड की अथवा आडम्बर की, नीराजना की आराधना की क्योंकि-- उसकी चेतना हममें पद्मवत खिल चुकी है... Hindi · कविता 192 Share Jitendra Anand 25 Oct 2016 · 1 min read अनेक एक हो जाते हैं ! -----जितेन्द्र कमलआनंद ( ११३) प्रिय आय्मन ! जब स्वयं का चोला ही रंग जाता है उसके रंग में , तब -- अनिवार्यता नहीं रहती गैरिक वस्त्रों की अथवा बाघम्बर की / माला जाप के... Hindi · कविता 1 377 Share Jitendra Anand 25 Oct 2016 · 1 min read कवि रामकिशोर वर्मा जी! कवि रामकिशोर वर्मा जी! सप्रेम नमस्कार । क्या आप साहित्य पीडिया से जुड़े हैं। यदिनहीं तो उससे जुड़े । इस से अधिकतर अच्छे साहित्यकार जुड़े हुए हैं । हमारी रचनाएँ... Hindi · कविता 348 Share Jitendra Anand 25 Oct 2016 · 1 min read याद रखो ! शक्ति का जहॉ होता है दुरुपयोग: जितेंद्र कमल आनंद ( ११२) याद रखो ( मुक्त छमद कविता ) ----------- प्रिय आत्मन ! याद रखो ! शक्ति का होता है जहॉ दुरुपयोग उसे धर्मका समर्थन न मिलकर मिलती है वहॉ पराजय निश्चित... Hindi · कविता 223 Share Jitendra Anand 25 Oct 2016 · 1 min read मन सुमन को चाहिए लब मुस्कराते: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट११२) दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ ::: मुक्तक ----------------+---+------+;+++-+++- मन सुमन को चाहिए, लब मुस्कराते । कवि रसिक को चाहिए ये गीत गाते । हों ऋचाएँ छंद के सँग में मधुरतम| ।... Hindi · मुक्तक 345 Share Jitendra Anand 25 Oct 2016 · 1 min read रस लीजिए आध्यात्मिक साहित्यिक : जितेन्द्रकमल आनंद (१११) राजयोगमहागीता::: अध्याय२१का घनाक्षरी २० ******************** रस लीजिए आध्यात्मिक और साहित्यिक भी, सेवा कर सामाजिक बन विस्तार कीजिए । असमाजिक तत्वों की कीजिए अवहेलना । मिल कर सुखद यह संसार कीजिए... Hindi · कविता 224 Share Jitendra Anand 25 Oct 2016 · 1 min read बीज बोये आपनेजो महराजयोगके :: जितेंद्रकमलआनंद ( पोस्ट११०) राजयोगमहागीता:: घनाक्षरी क्रमॉक२१/३६,पृष्ठ -------------++++-++++----+++++----- बीज बोये आपने जो महाराजयोग के ये , मर्म इनका जान चुका और संतुष्ट हुआ । यों स्वयं को सृष्टा - दृष्टा ,नियंता भी जानकर ,... Hindi · कविता 182 Share Jitendra Anand 25 Oct 2016 · 1 min read जीवितरहने की स्पृहा ही तेरा है बंधन:: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट१०९) राजयोगमहागीता:: घनाक्षरी *******************" जीवित रहने की स्पृहा ही तेरा है बंधन , मुक्त होना बंधनों से सबको अपेक्षित । कामी, क्रोधी , क्रूर होते अहंकारी मानव जो , ये ही... Hindi · कविता 193 Share Jitendra Anand 25 Oct 2016 · 1 min read स्वयंकोविश्वरूप संशयमुक्तजानकर:: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट१०८) राजयोगमहागीता: घनाक्षरी ------------------------ स्वयंको विश्वरूप संशय मुक्त जान कर , आत्मरूप का स्वयं मान करना चाहिए । देह से असंग मैं यह देह मेरी है नहीं , देह का मोह... Hindi · कविता 189 Share Jitendra Anand 25 Oct 2016 · 1 min read कुछ कह न सका अथरों से तभी:: जिते द्रकमलआनंद( पोस्ट१०७) जब कुछ कह न सका अथरों से तभी लेखनी कर में आयी ।। कुछ ऐसा हो गया हमारा तुमसे -- यह सम्बन्ध प्यार का , शब्दो् में अव्यक्त रहे जो... Hindi · गीत 379 Share Page 1 Next