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वृक्ष की उपादेयता: वृक्ष केवल अचल,हेते नहीं:: जितेंद्रकमलआनंद ( ४७)
Jitendra Anand
एकता के गीत गायेंं, हो परस्पर प्यार इतना( गीत)पोस्ट २९
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सुरभि,सुभद्रा,नन्दा,बहुला,सुशीला :: जितेंद्रकमलआनंद (१२३)
Jitendra Anand
चाहते न थोपना पर, हम ज्ञान :: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट७३)
Jitendra Anand
कवि का केवल कर्म नहीं हैं ,कविता ::: जितेंद्रकमलआनंद ( पोस्ट८५)
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युग निर्माण करें सब मिलकर::-- जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट १३८)
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जयबालाजी:: पीने को शिव इष्ट रामकी हाला:: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट ३२)
Jitendra Anand
जो वतन से प्यार करतीं ,वो हमारी वेटियॉ हैं ( गीत) पोस्ट२१
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सूर्य अग्रसर उत्तर दिशि में :: जितेंद्रकमलआनंद ( ९७/ १०२)
Jitendra Anand
फूल - सी कोमल गुलाबी ताज़गी ले आइए ( ग़ज़ल) पोस्ट १९
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मुक्तक : सूर्य का जग में नवल उन्मेष हो ( पोस्ट १६)
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राजयोगमहगीता: गोविंद भी नाम जिनका है गोवर्धनधारी: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट५४)घनाक्षरी
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कविता : हुआ अपेक्षित है आवश्यक
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प्यार को पावन बनाओ , प्यार को पूजा फलित भावन बनाओ( गीत ) पोस्ट ३२
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राजयोग महागीता:: प्रभु प्रणाम ( घनाक्षरी ) पोस्ट५
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जयबालाजी:: पंक राशि में अनासक्त रह कमल:: जितेन्द्र कमल आनंद ( ४४)
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राजयोगमहागीता: वासुदेव,केशवकीमाधवकीमोहिनीसी:: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट५३) घनाक्षरी
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रंग सारे छोडकर ( गीत) जितेंद्र कमल आनंद
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यहॉ - वहॉ , जहॉ- तहॉ सब ही जगह वह: जितेनà¥à¤¦à¥à¤° कमल आनंद ( पोसà¥à¤Ÿà¥¯à¥¨)
Jitendra Anand
खोलो उर के द्वार ,बंद ऑखों को खोलो :: जितेंद्रकमलआनंद ( पोस्ट८१)
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देश हमारा भारत सुंदर ::: जितेंद्र कमल आनंद ( पोस्ट ८४)
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अनेक एक हो जाते हैं ! -----जितेन्द्र कमलआनंद ( ११३)
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समर्पण:::: जो कलमकार पीते रहे हैं गरल ( ग़ज़ल) पोस्ट १८
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ये फोज़ी हर बार लड़ा करते हैं-- जितेन्द्र कमल आनंद ( ५१)
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जीवन से जन्म हुआ,जीवन ही तो लक्ष्य है:: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट७१)
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मंजरी को चाहता हूँ ( गीत ) पोस्ट -२३
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राजयोगमहागीता: गोकुलका धामप्यारा, नारायण- सतनाम: जितेंद्रकमलआनंद ( पोस्ट५८)
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मेरे स्वर संगम सँग वीणा अंतरमन ने ( गीत) जितेंद्रकमलआनंद
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घनाक्षरी:: मेरे लिए कुछ भी न दूर और : जितेंद्र आनंद( पो १६३)
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शांत और मुक्त भी मैं ,निर्भय हूँ निराश्रय:: जितेंद्रकमलआनंद( पोस्ट१०३)
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जब से धरती बनी ,प्रकटे तारक चंद्र। जितेंद्र आनंद( पोस्ट ७८)
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मॉ तो मॉ, मॉ ही होती है , बच्चों का कल्मष धोती है( पोस्ट ३०) गीत
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कुछ कह न सका अथरों से तभी:: जिते द्रकमलआनंद( पोस्ट१०७)
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राजयोगमहागीता: गुरुप्रणाम:: जितेंद्रकमलआनंद ( पोस्ट६५)
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हिंदी है भारत की बिंदी ( गीत) जितेंद्र कमल आनंद
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जयबालाजी :: बने न मन वृन्दावन- कानन :: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट ४२)
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काव्य से अमृत झरे,वेदका वह सार दें:- जितेंद्र कमल आनंद ( पो १३०)
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समय बदलते सूखी धरती मुस्काती:: जितेंद्रकमलआनंद ( पोस्ट ५१)
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परमब्रह्म सबको चाहता भरपूर हैैैै :: जितेन्द्रकमल आनंद ( ९३)
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शिखरिनी छंद( हाइकू ) जितेंद्रकमलआनंद: गुरु सकाश( पोस्ट७६)
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जयबालाजी: पानी बहते रहने से ही,सरित- सलिल:: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट३८)
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कवि रामकिशोर वर्मा जी!
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हम मानव हैं हरित धरा के :: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट १५९)
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दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ : जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट१२५)
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जागो मेरे हिंदुस्तान ! बहुत हो चुका है अपमान( गीत)पोस्ट २८
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मन सुमन को चाहिए लब मुस्कराते: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट११२)
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राजयोग महागीता:: तू अपनेसे करले अलग निज देह को
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जयबालाजी:: वृक्ष- मूल- सिंचनसे जैसे तृप्त :: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट४३)
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वह स्वयं में व्याप्त है ::: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट९५)
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जयबालाजी; चक्र सुदर्शन ने जब रोका :: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट३४)
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