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राजयोग महागीता::: प्रभु प्रणाम ( घनाक्षरी ) पो ४
Jitendra Anand
समर्पण:::: जो कलमकार पीते रहे हैं गरल ( ग़ज़ल) पोस्ट १८
Jitendra Anand
गीतिका : प्रभु की चाहत से यह चंदन जैसा मन हो जायेगा ( पोस्ट २०)
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समझा है कभी नारी नज़ाकत को क्या-- जितेन्द्र कमल आनंद ( ५३)
Jitendra Anand
राजयोगमहागीता" ओंकार,अघनाशक,परमआनंदहैंजो( घनाक्षरी, पोस्ट५२- जितेन्द्र कमल आनंद
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जीवन से जन्म हुआ,जीवन ही तो लक्ष्य है:: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट७१)
Jitendra Anand
शिखरिनी ( हाइकू):: जितेंद्रकमलआनंद: जग असार( पो ७७)
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सूर्य अग्रसर उत्तर दिशि में :: जितेंद्रकमलआनंद ( ९७/ १०२)
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सुंदर हो सपने कैसे साकार लिखो :: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट ११८)
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ऑगन में भी चहके - महकें ( गीत) जितेंद्र कमल आनंद
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राजयोग महागीता
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राजयोग महागीता : घनाक्षरी छंद:( पोस्ट क्रमॉक १)
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राजयोग महागीता: प्रभुप्रणाम::: घनाक्षरी ( पोस्ट २)
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राजयोग महागीता:: प्रभु प्रणाम ( घनाक्षरी ) पोस्ट५
Jitendra Anand
राजयोग महागीता "" गुरुक्तानुभव" ( घनाक्षरी) पो ६
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राजयोग महागीता:: गुरुक्तानुभव ( घनाक्षरी) पोस्ट ७
Jitendra Anand
राजयोग महागीता:: तृष्णा, स्वार्थ, वासनाएँ, दम्भ( पो८)
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राजयोग महागीता:: गुरुक्तानुभव ( घनाक्षरी: ४)पोस्ट९पोस्ट९
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राजयोग महागीता:: तू अपनेसे करले अलग निज देह को
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राजयोग महागीता:: धर्म और अधर्म,सुख-दुख सब ही तो
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राजयोग महागीता: अपनेको छोड़ मत, दूसरेको दृष्टा देख:: पोस्ट१४
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मुक्तक::: हर सुबह एक नयी आस लिए होती है
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मुक्तक : सूर्य का जग में नवल उन्मेष हो ( पोस्ट १६)
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मुक्तक ३ और ४ कहीं कोई भटकाव नहीं ( पोस्ट १७)
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फूल - सी कोमल गुलाबी ताज़गी ले आइए ( ग़ज़ल) पोस्ट १९
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जो वतन से प्यार करतीं ,वो हमारी वेटियॉ हैं ( गीत) पोस्ट२१
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चली आनंद के पथ पर ,बनी मीरा कोई बाला( गीत) पोस्ट २२
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मंजरी को चाहता हूँ ( गीत ) पोस्ट -२३
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रंग सारे छोड़ कर हम हंस हो गये ( गीत ) पोस्ट- २४
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लघु गीत ::: वत्स ! तुम्हारे ह्रदय- क्षेत्र में ( पोस्ट २५)
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ज्ञान सिंधु की थाह नहीं है ( लघु गीत ) पोस्ट- २६
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तुलसी की पावनता हमने पहचानी है ( गीत) पोस्ट २७
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जागो मेरे हिंदुस्तान ! बहुत हो चुका है अपमान( गीत)पोस्ट २८
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एकता के गीत गायेंं, हो परस्पर प्यार इतना( गीत)पोस्ट २९
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बूँद ही अमृतमयी है, जो बुझादे प्यास प्यासे की ,विमल है( गीत) पोस्ट२९
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मॉ तो मॉ, मॉ ही होती है , बच्चों का कल्मष धोती है( पोस्ट ३०) गीत
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आ गयी दीपावली , शुभ स्वागतम् है ( गीत ) पोस्ट ३०
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प्यार को पावन बनाओ , प्यार को पूजा फलित भावन बनाओ( गीत ) पोस्ट ३२
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जय बाला जी: मॉग सिया की सेंदुर पूरित: जितेंद्रकमलआनंद( पोस्ट३२)
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जयबालाजी:: पीने को शिव इष्ट रामकी हाला:: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट ३२)
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जयबालाजी:: भीमसेनमद हरनेकी लीला की:: जितेन्द्रकमल आनंद ( पोस्ट३३)
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चक्र सुदर्शन , विहग गरण जब फूले थे बल म्ं बाला ।
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जयबालाजी; चक्र सुदर्शन ने जब रोका :: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट३४)
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जयबालाजी: पानी बहते रहने से ही,सरित- सलिल:: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट३८)
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जयबालाजी:: : निष्कामी हो पूर्ण शॉति मन यन्त्र योग का :: जितेन्द्रकमल आनंद ( ३९)
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जयबालाजी:: खेत जोतनेवाले कृषकों ! :: जितेंद्रकमलआनंद ( ४०)
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जयबालाजी:: भक्ति दृगों से नहीं ह्रदय से :: जितेंद्रकमलआनंद (४१)
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जयबालाजी :: बने न मन वृन्दावन- कानन :: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट ४२)
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जयबालाजी: पानी बहते रहने से ही,सरित- सलिल:: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट३८)
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जयबालाजी:: वृक्ष- मूल- सिंचनसे जैसे तृप्त :: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट४३)
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