Bikash Baruah 100 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Bikash Baruah 30 Jul 2017 · 1 min read मेरा प्यारा असम चारो ओर है हरियाली छाई जहाँ पहाड़ों से निर्झर बहती तरह तरह के जाति-जनजाति भिन्न-भिन्न धर्म और संस्कृति फिर भी अटूट एकता यंहा की , धन्य हुआ यंहा जन्म लेकर... Hindi · कविता 1 2 7k Share Bikash Baruah 30 Oct 2017 · 1 min read माथे पर शिकन लो बन गया हमारे माथे पर शिकन चिंता की थपेड़ों से , भूल न करना पहचानना मत कहना भाग्यरेखा इसे; भाग्यरेखा हमारे कहा अभागे जन्मे है हम, दुर्भाग्य हमारा साथी... Hindi · कविता 1 1k Share Bikash Baruah 17 Aug 2017 · 1 min read निडर बन तू उठ मेरे भाई निडर बन,कर लड़ाई, रोक न ले कदम तू तेरे हाथो है देश की लाज बचाले इसकी सर की ताज, वर्ना कहेंगे बुजदिल तुझे खुन में न... Hindi · कविता 1k Share Bikash Baruah 30 Sep 2017 · 1 min read रावण का वध कौन कर सकेगा आज रावण का वध, गलि गलि में भरे हुए हैं रावण कितने सारे, लेकिन वध करने उनको एक भी राम आज जनम नहीं ले पाते या आज... Hindi · कविता 916 Share Bikash Baruah 30 Jun 2017 · 1 min read एक दर्जी हाथ में सूई लिए एक दर्जी कोशिश कर रहा है सूई में धागा डालने की, बहुत कपड़े पड़े हुए है सीने के लिए, कुछ अमीरों के कुछ गरीबों के, दुल्हन... Hindi · कविता 735 Share Bikash Baruah 18 Sep 2017 · 1 min read स्वार्थी कौन कहता है कि वह स्वार्थी नहीं, मुझसे पूछो अगर मैं कहूंगा तुमसे संसार में रहने वाले हर एक है स्वार्थी, ममता के लिए अगर माँ-बाप बनते कोई तो कोई... Hindi · कविता 685 Share Bikash Baruah 29 Jul 2017 · 1 min read दोराहे श्मशान और कब्रिस्तान के दोराहे में खड़ा हुँ मैं कन्धो पर अपनी ही बेजान लाश को उठाए अजीब उलझन में हुँ, सोच रहा हुँ अब अपनी लाश का क्या करुँ,... Hindi · कविता 647 Share Bikash Baruah 3 Aug 2017 · 1 min read खानाबदोश आसमान में उड़ते परिंदों की तरह इस जगह से उस जगह आशाओं की उड़ान भरते हुए अनगिनत ख्वाबों को अपने आँखों में सजाए हुए चलते रहते हैं हरदम, न कोई... Hindi · कविता 583 Share Bikash Baruah 20 Aug 2017 · 1 min read दिल धड़कने धड़क ने से बनती नहीं है दिल, दिल को पूर्ण करती है जज्बातों की गठरी , जैसे आकाश की शून्यता पुरी करती है सूरज, चाँद, सितारें और बादलो की... Hindi · कविता 622 Share Bikash Baruah 10 Sep 2017 · 1 min read महसूस तुम क्या जानो मेरे दिल को तुम्हारी कौन सी बात चूभ गई है, बेखबर सी रहती हो फुर्सत नहीं है किस कदर परेशान हूँ तुम्हारी बेअदबी से, अब कैसे कटेगी... Hindi · कविता 608 Share Bikash Baruah 23 Aug 2017 · 1 min read जय भारती क्यों न करूँ मैं गर्व देश पर, धन्य हुआ मैं यहाँ जन्म लेकर, गीत गाऊँ मैं अपने देश के, गर्व से कहूं जय भारती! जय भारती! कितनी पावन धरती है... Hindi · कविता 640 Share Bikash Baruah 7 Aug 2017 · 1 min read क्या चाहता है कवि ? क्या चाहता है कवि ? कि बहुत कुछ चाहते है कवि, जब भी मंच पर खड़े हो कविता पाठ करने को , मिले उसे महफिल ऐसी हो जिस में श्रोता... Hindi · कविता 594 Share Bikash Baruah 8 Sep 2017 · 1 min read अत्याचारी अत्याचारी!तुम लाख करो अत्याचार नहीं टूटेगी हमारी सहने की डोर, हमारे खुन का एक कतरा भी तुम्हारे खिलाफ नहीं मचाएगा शोर । अत्याचारी!चाहे जितना भी हो कठोर प्यार-जज्बात नहीं आँखों... Hindi · कविता 587 Share Bikash Baruah 4 Jul 2017 · 1 min read जाति-धरम किस जाति से रिश्ता था जनम से पहले कौन-सा धरम होगा तुम्हारा मृत्यु के बाद उलझन है यह अजीब सा क्या जवाब दे पाएगा बना बैठा है आज ठेकेदार जो... Hindi · कविता 554 Share Bikash Baruah 14 Sep 2017 · 1 min read पानी कहीं पर बूंद बूंद पानी के लिए तरस रहे लोगों की कतार दिखाई देती, तो कहीं लोग बेझिझक व्यर्थ में ही उसे जाया करती; कुछ लोग पानी की अस्तित्व जान... Hindi · कविता 569 Share Bikash Baruah 29 Jun 2017 · 1 min read भूख पेट की अँतरियों पर जब बल पर जाता है रेगिस्तान की सूखी रेत की तरह जब होंठ सूख जाते है चलते चलते जब पैरों में छाले पर जाते है तब... Hindi · कविता 544 Share Bikash Baruah 17 Sep 2017 · 1 min read एक तिली हूँ यह सच है मैं एक तिली हूँ, मुल्य मेरा कुछ नहीं , अस्तित्व मेरा है और ना भी, मगर फिर भी काफी हूँ मैं , सबकुछ राख में तब्दील कर... Hindi · कविता 561 Share Bikash Baruah 17 Oct 2017 · 1 min read किसे कोसूँ एक तरफ रोकता है यह हाथ जुर्म करने को, वही दूसरा हाथ दागदार है पेट की आग बुझाने को; कभी डरता हूँ लोगों को अपना परिचय देने में , कभी... Hindi · कविता 518 Share Bikash Baruah 30 Jun 2017 · 1 min read पंखा न जाने कितने दिनों से अविराम गति से वह घूर्णन क्रिया में लीन अपने कर्तव्य को निष्ठा से लगातार पालन कर रहे है और हमे कर्तव्यनिष्ठा का पाठ सिखाने की... Hindi · कविता 526 Share Bikash Baruah 20 Aug 2017 · 1 min read पहाड़ मूर्खता की दौड़ मेें जब तुम नंगे थे कपड़ा पहनना भी तुम्हें नहीं आता था, हम उससे कई युग पहले ही से लिबास पहने हुए थे; अब अक्ल की दौड़... Hindi · कविता 501 Share Bikash Baruah 30 Jun 2017 · 1 min read एक दर्जी हाथ में सूई लिए एक दर्जी कोशिश कर रहा है सूई में धागा डालने की, बहुत कपड़े पड़े हुए है सीने के लिए, कुछ अमीरों के कुछ गरीबों के, दुल्हन... Hindi · कविता 533 Share Bikash Baruah 27 Jun 2017 · 1 min read बदबू बदबू आ रही है आज मानव शरीर से उसके पसीने की नही उसके पाप कर्मों की उसके शरीर में बहते गंदे खून की उसके दिमाग में पल रही अनगिनत जहरीले... Hindi · कविता 527 Share Bikash Baruah 9 Dec 2017 · 1 min read बेबसी नजाने दुनिया में क्या हो रहा है चैनो सूकून कहाँ खो गया है, धन दौलत सबके पास होते हुए नजाने सब क्यों परेशान लग रहा है । दुआएं हजार करते... Hindi · कविता 484 Share Bikash Baruah 22 Sep 2017 · 1 min read फूलों की किस्मत बाग में महकने वाले फूलों को माली संभाल लिया करते है, मगर कीचड़ में उगने वाले फूलों को संभालने वाला माली जग में कहाँ मिलते है? यों तो महफिल ताजे... Hindi · कविता 493 Share Bikash Baruah 11 Sep 2017 · 1 min read घृणा घृणा करो अगर घृणित न हो, घृणित होकर अगर घृणा करोगे किसीसे तो मूर्खता होगी तुम्हारी; आदमी होकर अगर आदमी से ही घृणा करोगे तो कैसे इंसान बन पाओगे? घृणा... Hindi · कविता 506 Share Bikash Baruah 10 Aug 2017 · 1 min read फूल दामन में काँटे लिए खिलते और मुस्कुराते, सबक जिंदगी का हमें सिखलाते, न कोई वह साधु-महात्मा न कोई राजा कहलाते, दुनिया में खुशबु बिखेरती वह तो फूल कहलाते । पलभर... Hindi · कविता 501 Share Bikash Baruah 4 Oct 2017 · 1 min read एक घर चाहिए मुझे एक घर चाहिए मुझे जो ईंट पत्थर से नहीं बना हो प्रेम जज्बात से, लड़ाई न कोई फसाद हो एकता एवं शांति बिरजते हो, जहाँ नारी-पुरुष छोटे-बड़े सब एक समान... Hindi · कविता 1 529 Share Bikash Baruah 11 Sep 2017 · 1 min read जुनून ऊँची इमारतों को देखकर चक्कर आना कोई मेरी कमजोरी नहीं बल्कि नादानी है, क्योंकि ख्याली पुलाव कभी पकते नहीं और जागकर सपने कोई देखते नहीं; फिर भी कमबख्त कुटिया में... Hindi · कविता 488 Share Bikash Baruah 30 Jul 2017 · 1 min read अगरबत्ती बदन पर शोला दहकाति जलकर फना हो जाती, फिर भी जूबाँ से कभी उफ निकलती नहीं ; किसी से कभी शिकवा न करती ऊंच-नीच का भेद न रखती , सभी... Hindi · कविता 533 Share Bikash Baruah 2 Aug 2017 · 1 min read ओस की बुन्दे सितारों की है चमक मोती सा है लगता मोल नहीं कोई अनमोल है सुंदर भेंट है कुदरत का, कैसे बखान करूँ उसकी जुगनू की तरह है लगता कभी आकाश में... Hindi · कविता 1 1 507 Share Bikash Baruah 21 Aug 2017 · 1 min read कुम्हार मिट्टी के बर्तन बनानेवाले कहलाते है वे कुम्हार, पृथ्वी की रचना करनेवाले भगवान को भी देते आकार; क्या गरिमा है उसकी हमसे न पूछो मेरे यार, अदृृश्यमान सृष्टिकर्ता है भगवान... Hindi · कविता 1 462 Share Bikash Baruah 14 Sep 2017 · 1 min read हिन्दी मेरी प्यारी सारे जहाँ से अच्छा हिंदी और हिन्द हमारा, हमें नाज है दोनो पर आला भाषा है यह और आला देश हमारा; भाषा हिन्दी है ऐसी जो सबको है समा लेती,... Hindi · कविता 509 Share Bikash Baruah 7 Sep 2017 · 1 min read कटोरा कटोरा सिर्फ पात्र नहीं खान-पान की व्यंजन परोसने के लिए, कटोरा पहचान भी हो सकता है भिन्न-भिन्न जनसमुदाय का; एक समुदाय बाँटते है या भेंट करते है चाँदी,सोने का कटोरा... Hindi · कविता 474 Share Bikash Baruah 20 Aug 2017 · 1 min read प्रकृति उफ ये बारिश रुकने का नाम कमबख्त नही लेता, न जाने कितने दिनो से लोग घर से बाहर या बाहर शिविर से घर आ या जा नही कर पा रहे,... Hindi · कविता 452 Share Bikash Baruah 27 Sep 2017 · 1 min read वक्त कपड़ों से तन को ढका जाता है ना कि दिखाया जाता, मगर आजकल यह आलम है सरेआम जिस्म की नुमाइश हो जाता । कोई कहता वक्त का तकाजा कोई बदलाव... Hindi · कविता 1 1 482 Share Bikash Baruah 11 Sep 2017 · 1 min read आपकी बेवफाई जरा सी बात पर आपको क्यों इतना गुस्सा आया, यकीन था हमें आपकी वफा पे फिर क्यों हमें रुला दिया । आपको गर हमसे कोई शिकवा था आप हमें हाल-ए-दिल... Hindi · शेर 453 Share Bikash Baruah 31 Jul 2017 · 1 min read कुर्सी चार पैरों की बनी हुई एक निर्जीव वस्तु, जो देखने में अति साधारण एक अंश है हमारे आम जीवन की, मगर आज कुर्सी की अहमियत दुनिया में बढ़ती नजर आ... Hindi · कविता 460 Share Bikash Baruah 21 Aug 2017 · 1 min read अधिकार आसमान को छत समझकर फुटपाथ को बिस्तर सा सजाकर लोग जो बस रहे हैं जहाँ में , अरमान उनके भी है दिलो में आहट उनके भी है कदमों में, नहीं... Hindi · कविता 434 Share Bikash Baruah 6 Aug 2017 · 1 min read वजूद जब कभी कुछ सोचा चाहा कुछ करने को, लाखों अर्चनें खड़े हुए पथ मेरे रोकने को, समझ कंकड़ मुझे सब हर कोई फेंक देते कुएँ-तालाब में, आँखो में चुभ जाता... Hindi · कविता 446 Share Bikash Baruah 30 Jun 2017 · 1 min read घर मुझे मालूम नहीं जहाँ मैं रहता हूँ वह घर है या मकान! यों तो लोग रहते है पर एक दूजे से अनजान, सब कुछ है फिर भी लगता है सब... Hindi · कविता 450 Share Bikash Baruah 19 Sep 2017 · 1 min read नेताओं की वाणी नेताओं की वाणी पर हरगिज विश्वास न करना ऐ मेरे भोले भारतवासी, चुनाव से पहले जो कहते वादा जो करते भूल जाते, पहले चार वर्ष वह लोग अपने लिए जीते... Hindi · कविता 474 Share Bikash Baruah 11 Sep 2017 · 1 min read मुक्तक भगवान् को खोजे मंदिर में अल्लाह को खोजे मस्जिद में, पर इंसान को कोई न खोजे जो काम आए दुख-सुख में। Hindi · मुक्तक 451 Share Bikash Baruah 13 Aug 2017 · 1 min read आशा और कोशिश आशा की उड़ान सभी भरते है मगर हर कोई मंजिल तक पहुंचते नहीं, रह जाते है जो दूर मंजिल से अपनी कर नही पाते वे जीवन में कुछ भी, फिर... Hindi · कविता 1 440 Share Bikash Baruah 21 Aug 2017 · 1 min read नाथूराम ने किसको मारा? नाथूराम ने किसको मारा ? एक आदमी की देह को, जिनकी आत्मा उन्हें पहले ही छोड़ चुके थे, वे हमारे बापू नहीं थे; नाथूराम ने एक कंकाल की हत्या की,... Hindi · कविता 1 437 Share Bikash Baruah 27 Aug 2017 · 1 min read गंगा और भगीरथ हे! पुत्र,हजारों साल पहले तुमने मेरी तपस्या कर जग एवं जनकल्याण हेतु मुझे बुलाया धरती पर, परंतु स्वार्थी ये मानवगण शिखर पर जिनके अंधापन मुझे विषैली कर, मेरे अस्तित्व को... Hindi · कविता 1 427 Share Bikash Baruah 2 Aug 2017 · 2 min read क्षुधा रात का वक्त,रास्ता एकदम सुनसान था। आकाश को छूती स्ट्रीट लाइटें अपने-अपने कर्म में व्यस्त थी। दूर गगन में तारे टिमटिमा रहे थे और चांद अपनी रफ्तार से आगे बढ़... Hindi · लघु कथा 445 Share Bikash Baruah 10 Sep 2017 · 1 min read घुटन आजकल कुछ घुटन सा महसूस होने लगा है अपने ही घर में अपनों के बीच रहकर, शायद उन्हें नागवार हो अब मेरी हरकतें, उलझनें और परेशानियाँ, क्योंकि अब मैं एक... Hindi · कविता 387 Share Bikash Baruah 30 Jul 2017 · 1 min read ताजमहल कब्र पर महल बनाकर भी कोई किसी की जान बचा नही सकता, कुदरत का कानून कभी बदला नही और न कोई बदल सकता; क्या बादशाह क्या फकीर क्या अक्लमंद क्या... Hindi · कविता 401 Share Bikash Baruah 6 Aug 2017 · 1 min read वर्तमान यांत्रिक युग के लोग हम, दिमाग ज्यादा दिल है कम; बटन दबाकर सब कुछ करते, महल बनाते घर उजाड़ते ; आसमान में उड़ना सीखकर, भूल गया अब चलना जमीन पर;... Hindi · कविता 391 Share Bikash Baruah 31 Aug 2017 · 1 min read दोमुहे चरित्र पुरुष हो या नारी हर एक व्यक्ति के दोमुहे चरित्र होते है, जो सिर्फ कभी-कभी उजागर होते है; यहाँ तो मुँह में राम राम और बगल में छुरा , रिश्ते-नातों... Hindi · कविता 372 Share Page 1 Next