Shivkumar Bilagrami Tag: ग़ज़ल 26 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Shivkumar Bilagrami 17 Jun 2023 · 1 min read लहू जिगर से बहा फिर लहू जिगर से बहा फिर किसी की यादों का इन्हें बुझा दो अभी काम क्या चराग़ों का सज़ा-ए-हिज्र से बढ़कर सज़ा नहीं कोई मुझे पता तो चले कुछ मेरे गुनाहों... Hindi · ग़ज़ल 3 1 1k Share Shivkumar Bilagrami 8 Apr 2023 · 1 min read बदनाम होने के लिए ज़िन्दगी की दौड़ में नाकाम होने के लिए लिख रहा हूं यह ग़ज़ल बदनाम होने के लिए हर किसी को चाहिए अब ज़िन्दगी आराम की हर कोई बेसब्र है गुलफ़ाम... Hindi · ग़ज़ल 4 2 1k Share Shivkumar Bilagrami 5 Apr 2023 · 1 min read हर तरफ़ तन्हाइयों से लड़ रहे हैं लोग वक़्त की अंगड़ाइयों से लड़ रहे हैं लोग हर तरफ़ तन्हाइयों से लड़ रहे हैं लोग आंख में आंसू हैं दिल में है कोई अपना प्रेम की गहराइयों से लड़... Hindi · ग़ज़ल 3 1k Share Shivkumar Bilagrami 17 Mar 2023 · 1 min read लाख दुआएं दूंगा मैं अब टूटे दिल से कितनी बातें की हैं मैंने अपने दिल से समझाया है दिल को मैंने किस मुश्किल से तुमने भी तो मेरे दिल को तोड़ा कैसे जैसे कोई शीशा फेंके दस मंज़िल... Hindi · ग़ज़ल 2 1k Share Shivkumar Bilagrami 6 Feb 2023 · 1 min read शुकराना मुझे ताउम्र तिल तिल कर जलाया आप ने शरर था मैं मुझे शोला बनाया आप ने ज़रूरत थी नहीं इसकी मगर ऐसा हुआ कभी इस दर कभी उस दर नचाया... Hindi · ग़ज़ल · ग़ज़ल/गीतिका · शेर 3 2 1k Share Shivkumar Bilagrami 21 Mar 2023 · 1 min read बुलेटप्रूफ गाड़ी बुलेटप्रूफ गाड़ी में बन्दूक धारी बड़ी शानो-शौकत से निकली सवारी बड़ी देर तक रोक रक्खा सड़क पर कहां जाये आखिर ये पब्लिक बेचारी ये गाड़ी ये कोठी ये शोहरत ये... Hindi · ग़ज़ल · ग़ज़ल/गीतिका 3 1k Share Shivkumar Bilagrami 17 Nov 2022 · 1 min read हो गए हम बे सफ़र बाप को है रंज लेकिन कह न पाया फोन पर लौट आ वापस वतन तू , ऐ मेरे लख़्ते जिगर ! दूसरों पर हर घड़ी रखते हैं जो पैनी नज़र... Hindi · ग़ज़ल 4 1 954 Share Shivkumar Bilagrami 2 Feb 2023 · 1 min read ज़रूरी था कंटीली थी मगर उस रा'ह पे चलना भी ज़रूरी था औ'र इन पांवों से कांटों का निकलना भी ज़रूरी था ज़रूरी था कि काली रात के साये सिमट जाते मगर... Hindi · ग़ज़ल · ग़ज़ल/गीतिका 3 2 888 Share Shivkumar Bilagrami 28 Sep 2023 · 1 min read बात जो दिल में है बात जो दिल में है तुमको वो बतायें कैसे दिल की सरहद से ज़बाँ तक उसे लायें कैसे एक तस्वीर जो इस दिल ने छुपा रक्खी है चीर कर दिल... Hindi · ग़ज़ल 3 407 Share Shivkumar Bilagrami 27 Nov 2022 · 1 min read अपना ख़याल तुम रखना घर उजड़ने का न दिल में मलाल तुम रखना दूर जाते हो तो अपना ख़याल तुम रखना मेरी दुनिया का है क्या ये बसी बसी न बसी अपनी दुनिया की... Hindi · ग़ज़ल 1 2 377 Share Shivkumar Bilagrami 22 Apr 2023 · 1 min read न दोस्ती है किसी से न आशनाई है खिले न फूल चमन में न गन्ध छाई है खिज़ां के बाद ये कैसी बहार आई है बने जो बात तो अपनी है मिलकियत दुनिया बने न बात तो अपनी... Hindi · ग़ज़ल 1 370 Share Shivkumar Bilagrami 27 Jan 2023 · 1 min read यह रात कट जाए वो दिन आए न आए फिर , मगर यह रात कट जाए किसी सूरत अंधेरा यह , मेरी आंखों से छंट जाए बहुत मुश्किल है तूफ़ानों से लड़कर पार जा... Hindi · कविता · ग़ज़ल · ग़ज़ल/गीतिका 2 2 316 Share Shivkumar Bilagrami 28 Feb 2023 · 2 min read Best ghazals of Shivkumar Bilagrami शिवकुमार बिलगरामी की बेहतरीन ग़ज़लें ------------------ ग़ज़ल - एक हमदर्द कैसे - कैसे हमको सता रहे हैं कांटों की नोक से जो मरहम लगा रहे हैं मैं भी समझ रहा... Hindi · ग़ज़ल 1 304 Share Shivkumar Bilagrami 16 Nov 2022 · 1 min read इधर उधर न देख तू इधर-उधर न देख तू मेरी तरफ़ नज़र उठा गुनाह मैंने क्या किया गुनाह तो मुझे बता समझ रहा हूँ मैं तेरी ये ग़मज़दा ख़ामोशियाँ ख़फ़ा-ख़फ़ा है तू मगर कभी-कभी तो... Hindi · ग़ज़ल 2 251 Share Shivkumar Bilagrami 6 Sep 2022 · 1 min read तेरे बिना ये ज़िन्दगी न तो निगाहे ग़ौर है , न ही बयाने हाल है तेरे बिना ये ज़िन्दगी तो इक बड़ा सवाल है अजीब ख़ुदकुशी में हूं जो जी रहा हूं मौत को... Hindi · ग़ज़ल 2 4 215 Share Shivkumar Bilagrami 8 Nov 2022 · 1 min read परिन्दे धुआं से डरते हैं वो जो लंबी उड़ान भरते हैं वो ज़मीं पर कहां ठहरते हैं जो समझते हैं आग की ताक़त वो परिन्दे धुआं से डरते हैं सोचकर फूल तोड़ना इनके पेड़ पौधे... Hindi · ग़ज़ल 3 182 Share Shivkumar Bilagrami 17 Sep 2022 · 1 min read ज़िन्दगी रोज़ मेरी ऐसे बदलती है यहाँ ज़िन्दगी रोज़ मेरी ऐसे बदलती है यहाँ जैसे इक शाम किसी रात में ढलती है यहाँ ओढ़कर ख़ुशियाँ मेरे दर्द भी कुछ यूँ निकले जैसे दुल्हन कोई सज धज के... Hindi · ग़ज़ल 5 1 174 Share Shivkumar Bilagrami 27 Sep 2022 · 1 min read यह नज़र का खेल है यह नज़र का खेल है आँखें उठाकर देखिए डालकर आँखों में आँखें मुस्कुराकर देखिए इक तिलिस्मी ख़्वाब जो आँखों में मेरी क़ैद है दूर से दिखता नहीं वो पास आकर... Hindi · ग़ज़ल 3 187 Share Shivkumar Bilagrami 4 Mar 2023 · 1 min read पहले आप हमारी मुश्किलें आधी तो यूँ ही ख़त्म हो जायें अगर हम लोग 'पहलेआप' की तहज़ीब अपनायें सलीक़े से करें हर बात अपने हर मुख़ातब से किसी की भावनाओं को कभी... Hindi · ग़ज़ल 3 1 173 Share Shivkumar Bilagrami 5 Jul 2023 · 1 min read फ़ब्तियां लोग आए और हम पर फ़ब्तियां कसते रहे फ़ब्तियां कसकर के हम पर देर तक हंसते रहे कुछ ने हमको कुछ कहा, कुछ ने हमको कुछ कहा ज़हर था जिनके... Hindi · ग़ज़ल 2 165 Share Shivkumar Bilagrami 22 Sep 2022 · 1 min read मस्तान मियां ताजमहल का राज़ बताकर खूब हँसे मस्तान मियाँ मुर्दा दिलों में आग लगाकर ख़ूब हँसे मस्तान मियाँ ज़ोर-ज़बर से इश्क न होये, राज न होये ज़ोर-ज़बर लाल किला को आँख... Hindi · ग़ज़ल 1 165 Share Shivkumar Bilagrami 24 Oct 2023 · 1 min read हयात कैसे कैसे गुल खिला गई गुलों में रंग जो न थे वो रंग भी दिखा गई हयात कैसे-कैसे गुल हयात में खिला गई तड़प, कराह, बेबसी में कट गई है ज़िन्दगी मैं हँस सका न... Hindi · ग़ज़ल 1 130 Share Shivkumar Bilagrami 13 Feb 2024 · 1 min read नये अमीर हो तुम दुआ लबों पे तो आंखों में बन्दगी रखना नये अमीर हो तुम ख़ुद को आदमी रखना बुलन्दियों पे पहुंचकर बदल न जाना तुम बुलन्दियों पे पहुंचना तो सादगी रखना उतर... Hindi · ग़ज़ल 2 65 Share Shivkumar Bilagrami 6 Mar 2024 · 1 min read सुनता जा शरमाता जा - शिवकुमार बिलगरामी अपनी सब करतूतें काली , सुनता जा शरमाता जा क्या क्या तू ने दी हैं गाली , सुनता जा शरमाता जा आज करोड़ों का मालिक है , कल तक तो... Hindi · ग़ज़ल 2 992 Share Shivkumar Bilagrami 14 Mar 2024 · 1 min read घर के आंगन में घर के आंगन में कहीं छोटी सी फुलवारी रख अपनी ख़ुशियों के लिए जद्दोजहद जारी रख कौन मानेगा यहां संत तपस्वी तुझको कोई न कोई चीज़ कमंडल में चमत्कारी रख... Hindi · ग़ज़ल 3 33 Share Shivkumar Bilagrami 20 Mar 2024 · 1 min read अपने अपने कटघरे हैं ज़िन्दगी के साज़ सारे बेसुरे हैं फिर भी कितने ख़्वाब आंखों में भरे हैं हर किसी को कामयाबी चाहिए हर किसी के अपने-अपने पैंतरे हैं यह तरक़्क़ी भी कोई कमतर... Hindi · ग़ज़ल 1 58 Share