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मातु शारदे वंदना
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
आयी ऋतु बसंत की
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
मेरी माटी मेरा देश भाव
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
धैर्य वह सम्पत्ति है जो जितनी अधिक आपके पास होगी आप उतने ही
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
अरे लोग गलत कहते हैं कि मोबाइल हमारे हाथ में है
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
चित्रगुप्त सत देव को,करिए सभी प्रणाम।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
शुभ रात्रि
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
सुप्रभात
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
बैर भाव के ताप में,जलते जो भी लोग।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
कर्म भाव उत्तम रखो,करो ईश का ध्यान।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
प्रेम भाव रक्षित रखो,कोई भी हो तव धर्म।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
मानवता का धर्म है,सबसे उत्तम धर्म।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
प्यारा भारत देश है
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
बीत गया प्यारा दिवस,करिए अब आराम।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
मानवता है धर्म सत,रखें सभी हम ध्यान।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
सत्य उस तीखी औषधि के समान होता है जो तुरंत तो कष्ट कारी लगती
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
एक सत्य
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
जीवन का हर एक खट्टा मीठा अनुभव एक नई उपयोगी सीख देता है।इसील
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
बच्चों सम पौधे पालो
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
जरा विचार कीजिए
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
रोगों से है यदि मानव तुमको बचना।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
सुप्रभात
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
सुप्रभात
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
वृक्ष लगाओ,
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
वृक्षारोपण का अर्थ केवल पौधे को रोपित करना ही नहीं बल्कि उसक
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
सावन में शिव गुणगान
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
प्यारा बंधन प्रेम का
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
पावन सावन मास में
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
सतशिक्षा रूपी धनवंतरी फल ग्रहण करने से
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
इंद्रधनुष सा यह जीवन अपना,
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
बम बम भोले
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
वाणी वह अस्त्र है जो आपको जीवन में उन्नति देने व अवनति देने
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
कर्म रूपी मूल में श्रम रूपी जल व दान रूपी खाद डालने से जीवन
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
कैसा आया है समय
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
राज बढ़ते रोगों का
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
बंद करो अब दिवसीय काम।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
वसुधा में होगी जब हरियाली।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
सत्यता और शुचिता पूर्वक अपने कर्तव्यों तथा दायित्वों का निर्
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
चाय कलियुग का वह अमृत है जिसके साथ बड़ी बड़ी चर्चाएं होकर बड
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
मन मस्तिष्क और तन को कुछ समय आराम देने के लिए उचित समय आ गया
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
हर मानव खाली हाथ ही यहाँ आता है,
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
दोहा
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
सत्य कर्म की सीढ़ी चढ़कर,बिना किसी को कष्ट दिए जो सफलता प्रा
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
क्यों मानव मानव को डसता
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
समय और मौसम सदा ही बदलते रहते हैं।इसलिए स्वयं को भी बदलने की
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
समाज में शिक्षा का वही स्थान है जो शरीर में ऑक्सीजन का।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
विद्या देती मान
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
तू मेरी धड़कन बन गयी
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
गीता कहती है सदा
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
हिंदी देती अनुपम ज्ञान
ओम प्रकाश श्रीवास्तव