शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' Tag: कविता 89 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 4 Apr 2017 · 2 min read दोहा ''काशी-कथा अनंत'' ‘काशी-कथा’ अनंत ‘आर्यों’ का आना हुआ ‘सूर्यवंश’ का ‘वास’ ‘गंगा’ के तट पर बसा ‘काशी’ का ‘इतिहास’ ‘नाटे कद’ के ‘लोग’ थे और ‘साँवला’ ‘रंग’ ‘कपड़े’ का ‘व्यापार’ था ‘चाँदी’... Hindi · कविता 3 2 8k Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 7 Jun 2019 · 6 min read समीक्षा फूलों के झरते पराग-एक अध्ययन -शिवानन्द सिंह ‘सहयोगी’ गीत साहित्य की एक आदिम विधा है. गीत अपने प्रारम्भिक अवस्था से ही लोक, आदिवासी, विचार प्रधान एवं संगीत की स्वर लहरियों... Hindi · कविता 671 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 12 Apr 2017 · 1 min read नवगीत *दस चावल का दो चावल* अगली सुबह अँधेरी होगी चौकस रहना है पुनर्जन्म का पता लिख लिये छिली हथेली पर गई सदी का नाम लिख लिये नई हवेली पर कल... Hindi · कविता 636 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 21 May 2017 · 1 min read नवगीत लौट आओ गाँव अब तुम सुन रहा हूँ इस तरह कुछ हो चला है और मधुरिम आपसी संबंध लौट आओ गाँव अब तुम अब सटे हैं प्रेम-पर्यक बटी रस्सी की... Hindi · कविता 623 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 26 Jun 2017 · 1 min read नवगीत **मजूरी पेट होती है** कमाती और खाती है मजूरी पेट होती है कहीं है पालना माँ है कहीं पोंछा कहीं बरतन निरंतर नाम बदली है किया है रूप परिवर्तन पसीना... Hindi · कविता 586 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 15 Jul 2017 · 1 min read नवगीत ‘नथुआ’ की मौसी -------------- पतई रही बुहार ‘बगइचा’ ‘नथुआ’ की मौसी पीट ‘महाबल’ ‘घरभरना’ को भेज दिये ‘बहराइच’ उतरे करजा किसी तरह से उतरे उधार-पाँइच रचे महावर पाँव-पाँव में होता... Hindi · कविता 626 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 19 Jul 2017 · 1 min read नवगीत **शब्दों की चकबंदी** पंखनुचे पंछी की पीड़ा शब्दों की चकबंदी गीत भावभूमि का शिला-लेख चिर अर्थ-गगन का श्याम-विवर भावपक्ष की गझिन पहाड़ी स्वर-संगम का विरल शिखर धीरे-धीरे स्वयं निखरता अन्तस्... Hindi · कविता 602 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 5 Feb 2019 · 1 min read गीत ‘छ्ठुआ’ पास हुआ *************** कई साल के बाद आठवीं ‘छ्ठुआ’ पास हुआ सोमवार व्रत व्रत एकादशी सालों तक आये शनि-मंदिर के सभी चढ़ावे खुशबू पहुँचाये तब कुछ थोड़ी बात बनी... Hindi · कविता 540 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 26 Sep 2017 · 1 min read नवगीत मित्रो ! ``````````````````````` ‘’*मौन रहने का अर्थ*’’ ````````````````````````` मौन रहने का नहीं है अर्थ सब कुछ मान लेना यह समुन्दर की लहर की आंतरिक गहराइयाँ को शांति की सीमा अनंतक... Hindi · कविता 550 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 5 Apr 2019 · 1 min read बालगीत ************ छोटी चिड़िया ************ देखो मोनू ! छोटी चिड़िया चोंच झुकाकर पड़ी उदास दाना उसके एक न पास टपक रहा है टप टप पानी भीग रही है मड़ई रानी मुझे... Hindi · कविता 548 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 24 Dec 2018 · 1 min read समकालीन कविता माँ तुम एक छतरी हो नीली छतरी जिसमें क्षितिज ही नहीं क्षितिज के उस पार का भी एक-एक कोना यहाँ तक कि तल-अतल-चराचर एवं ब्रह्माण्ड की सभी कलायें बिम्ब-प्रतिबिम्ब के... Hindi · कविता 2 4 526 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 27 Mar 2019 · 1 min read बाल गीत उठो सुतक्कड़ ! उठो सुतक्कड़ ! भोर हो गया चिडियों के घर शोर हो गया ओस चली है गंग नहाने शंकर जी को दूध चढ़ाने मगन घाट का छोर हो... Hindi · कविता 585 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 3 May 2020 · 1 min read नवगीत टंकी के शहरों में * खड़े हैं कटघरों में फसलों के गाँव. जोत चढ़ी रधिया की, बुधई के नाँव. * कोट-पैंट पहने है बदली की, धूप, टंकी पे लटके हैं,... Hindi · कविता 522 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 8 Feb 2020 · 1 min read नवगीत हरियाली है हँसमुख ****************** सूरज खेल रहा बदरी सँग आँख मिचौनी. * ऋतु वसंत है अँगड़ाई में, हरियाली है हँसमुख, हवा वसंती तरु-पल्लव से, बतियाती है सुख-दुख, आगति की दिनचर्या... Hindi · कविता 1 573 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 11 Aug 2019 · 1 min read नवगीत ‘‘कि बारिश आनेवाली है’’ *********************** घिरे बादल-बदली, घनघोर, धरा पर, नाच उठे हैं मोर, कि बारिश आनेवाली है. * सावन चला गया, चुपके से, भादों मस्ती में, सडकों पर, पानी... Hindi · कविता 564 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 8 Jan 2019 · 1 min read नवगीत आग अंदर थी ************ पिता की लत थी कि वह बीड़ी जलाते थे आग अंदर थी जिसे अक्सर बुझाते थे नहीं छूते थे कभी सिगरेट की डिबिया ली नहीं कोई... Hindi · कविता 493 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 16 Jun 2020 · 1 min read नवगीत नीम की छाँव * अक्सर शब्दों के शहरों में, बसते छोटे गाँव. * बस्ती के अंदर रहते हैं, तुलसी और कबीर, दीप सुनहरी दीवाली के, फागुन और अबीर, अडिग अभावों... Hindi · कविता 1 507 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 17 Jun 2017 · 1 min read पवन-डाकिया पवन-डाकिया पवन-डाकिया लेकर आया खुले गाँव की मधुरिम गंध मिलने पहुँचे नदी किनारे तोड़-ताड़ तरलित तटबंध तितली फिसली भँवरे भटके बिछुड़ चुके पुलकित मकरंद धोखा खायीं विचलित लहरें करके चिपचिप... Hindi · कविता 540 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 10 Jul 2019 · 1 min read नवगीत कभी-कभी खत लिख देता हूँ * भूली-बिसरी उन यादों को जो बचपन में भटक गई हैं और पड़ीं हैं अभी उपेक्षित कभी-कभी खत लिख देता हूँ * हरियाली के नये... Hindi · कविता 488 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 4 Mar 2019 · 1 min read बाल गीत खाला रहती खालापार ******************* खाला रहती खालापार खाला के हैं बेटे चार टंपक टोली दाल बलंडी भंभक भोली ठंक ठिठोली खाला खाती पान मसाला पास हींग की रखती गोली डाँट-डपट... Hindi · कविता 523 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 28 Mar 2017 · 1 min read नवगीत लौट रहा है दिन घर की छत पर लिये चाँदनी उतर रहा है चाँद जाग रहा है सूनसान में एक धुएँ का पुल धूमिल बिजली की बतियाहट दीया-बाती गुल छिपा-छिपी... Hindi · कविता 545 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 31 Mar 2020 · 1 min read नवगीत मित्रो ! 'कोरोना' की बिछली यानि कि फिसलन में आजकल सभी साहित्यकारों के शब्द फिसल रहे हैं, मेरी लेखनी से फिसले शब्द:- * अरे ! कोरोना ! तुझे नमस्ते *... Hindi · कविता 539 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 6 Feb 2021 · 1 min read नवगीत कवि जो कुछ लिखता है कवि जो कुछ लिखता है, वह भाषा की संपति है | मुँह से निकले हर अक्षर की कोमल काया है, रचनाओं के उठते पुल का... Hindi · कविता 2 3 486 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 10 Feb 2019 · 1 min read गीत मित्रो ! जय माँ शारदे !! जय वसंत !!! **************** हर पतझड़ के बाद **************** एक नया ऋतुराज हँसा है हर पतझड़ के बाद सुरभित कलिका की गलियों में थिरकी... Hindi · कविता 1 524 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 7 Aug 2017 · 1 min read नवगीत बुरे दिन ! किसकी छत के नीचे गुजरे कल की लम्बी रात बुरे दिन ! पूँजीवादी प्रधी क्रियायें वैश्वीकरण-प्रभाव कब सहलाये मजदूरी के पग के छाले-घाव महल उठाएँ जो झोंपड़ियाँ... Hindi · कविता 533 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 5 Mar 2019 · 1 min read दोहे आक्रोशों के गाँव ************** अभिनन्दन की धूप में, मौन पड़े हैं शब्द. आँखों में संतोष के, घुमड़ रहे हैं अब्द. आसमान से झाँककर, देख रही है आँख. संकट पंछी के... Hindi · कविता 478 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 9 Feb 2019 · 1 min read दोहे प्रेयस एक जुनून *************** रख सकते घर को नहीं, किसी तरह गुलजार. सौ रुपये की दोस्ती, एक फूल का प्यार. धूप ठहाका मारती, सूरज पढ़ता मंत्र. बाहर है ठण्डी हवा,... Hindi · कविता 491 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 13 Feb 2019 · 1 min read गीत आज पिताजी ************ आज पिताजी शहर छोड़कर गाँव लगे जाने बोल रहे हैं शहरों में अब साँस अटकती है घर में बैठी पड़ी आत्मा राह भटकती है बरगद की वह... Hindi · कविता 497 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 15 Mar 2019 · 1 min read नवगीत राजनीति की चाय **************** उड़न खटोले पर बैठी है राजनीति की चाय शुभचिंतक की कुशल-क्षेम की फूट गई है आँख अफवाहों की पूँजी की बस फुदक रही है पाँख घपलेबाजी... Hindi · कविता 484 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 28 Dec 2018 · 1 min read नवगीत कह रहा है मन -------------- जिन्दगी को और जी लो कह रहा है मन गगन की ऊँचाइयों तक झाँकता है डर काटने को दौड़ता है खिड़कियों से घर किन्तु पुरवा... Hindi · कविता 2 472 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 22 Mar 2019 · 1 min read दोहे दोहे १. क्या बीता होगा प्रिये !, कहो न दिल की बात. उजियारों के बीच से, गुजरी होगी रात. २. काबिज है भूमाफिया, परती जहाँ जमीन. लोकतंत्र है देखता, सपना... Hindi · कविता 1 451 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 18 Feb 2019 · 1 min read नवगीत के बोलत बा ! ************ ‘पाँचरतन’ मैं बोल रहा हूँ ‘रामसुभग’ का बड़का बेटा पास खड़ा है ‘रामधियानी’ के बोलत बा ! नाम बताव !! ‘रामसकल’ बीमार पड़े हैं किसी... Hindi · कविता 433 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 4 Apr 2017 · 1 min read नवगीत नवगीत हूँ मैं यदि नई कविता हो तुम संचेतना ! नवगीत हूँ मैं यदि हो तुम मधुरिम गजल परिकल्पना ! जनगीत हूँ मैं यदि विनय की आरती तुम, हवन हो... Hindi · कविता 520 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 6 Oct 2019 · 1 min read नवगीत पक्का पुल अँगरेजोंवाला * जर्जर रिक्सा, खींच रहा है, रामखिलाड़ी, खट-खट-खट. * तीन सवारी, लदी हुई हैं, पीठ सटाकर, आगे-पीछे, वर्षा का यह, ऋतु बसंत है, पहिये पैदल, गड्ढे-बीछे, कान... Hindi · कविता 469 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 12 Feb 2019 · 1 min read गीत बहुत हो गये ********** शब्दों की इस पीच सड़क पर चलने वाले बहुत हो गये लय-यति-गति का शब्द-योनि का बदल गया है तौर-तरीका अनुभव प्यासा अनुबोधों को निकली चेचक लगता... Hindi · कविता 476 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 22 Jun 2019 · 1 min read नवगीत पहले से आराम बहुत है ********************* जो भेजे हो दवा पेट की केवल दो दिन ही खाया मैं पहले से आराम बहुत है * खेत कट गये सब गेहूँ के... Hindi · कविता 499 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 30 Dec 2018 · 1 min read नवगीत हम ठहरे गिरमिटिया -------------------- हम ठहरे गिरमिटिया बाबू तुम साधन संपन्न घर में निखहर फूटी कौड़ी सेंकी है बस रोट खायी है जिनिगी अड़चन का अनगिन अनगिन चोट हम बजार... Hindi · कविता 1 1 458 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 3 Mar 2019 · 1 min read नवगीत लोकतंत्र का रामायण ******************* लोकतंत्र का रामायण है कभी न बाँचा सत्ता का उत्कर्ष शिव आदर्श-उदाहरणों के बदल गये हैं अर्थ शब्द-शक्ति भी नाटकीय है भाव हुये असमर्थ तुलनाओं का... Hindi · कविता 442 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 22 May 2019 · 1 min read नवगीत नेता हैं ***** नेता हैं कुछ भी कह देंगे भाषा से क्या लेना-देना इनको तो बस वोट चाहिये ये तो हैं केले के पत्ते भिड़ के हैं ये लटके छत्ते... Hindi · कविता 424 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 6 Apr 2017 · 1 min read माँ ‘माँ’ निकलती है सबेरे-सबेरे अकेले-अकेले ले बुढ़ौती का सहारा ठेगनी छड़ी माँ ! पास वाले पार्क में जहाँ फूलों से बतियाती तितली और भँवरे होते खेलती मदमस्त हवा बाँटती वह... Hindi · कविता 446 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 17 Jul 2019 · 1 min read नवगीत चले गये बादल आये तो थे, किन्तु चमककर, चले गये बादल सघन स्वरूप हवाओं का रुख, गति के सँग घूमा मानसून से मिला, नमी का, भौतिक मुख चूमा इंद्रदेव के,... Hindi · कविता 430 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 24 Dec 2018 · 1 min read नवगीत पहन रहा है मोजा जूता --------------------- पहन रहा है मोजा जूता सता रहा है शीत दस्तानों से बिठा लिये हैं अंगुलियों ने ताल ठण्डी रोटी सेंक रहा है गरम तवे... Hindi · कविता 437 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 2 Feb 2019 · 1 min read गीत हे ! जनपथ के राजा ***************** हम रोज कुआँ खोदे हम रोज पिये पानी हे ! जनपथ के राजा हे ! जनपथ की रानी बीजों का ताजमहल धरती में हम... Hindi · कविता 446 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 18 Jan 2017 · 1 min read नवगीत नवगीत हूँ मैं यदि नई कविता हो तुम संचेतना ! नवगीत हूँ मैं यदि हो तुम मधुरिम गजल परिकल्पना ! जनगीत हूँ मैं यदि विनय की आरती तुम, हवन हो... Hindi · कविता 1 406 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 8 Jul 2017 · 1 min read नवगीत लगे किसान पिता पकड़े हल की मूँठ खुरदरी लगे किसान पिता मीसिरजी के कल का आटा पचा न पाता पेट कभी डबलरोटी से चसका नहीं किया है भेंट जाँता-लोढ़ा-सिलवट-बटुई लगे... Hindi · कविता 417 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 6 Apr 2017 · 2 min read नवगीत आखिर कब तक लज्जा ढोये ‘शब्दों पर पहरे हैं’ फिर भी ‘पंखुड़ियों पर गीत’ ‘लिखने का कारण’ ‘अंधायुग’ है ‘मुर्दों का गाँव’ ‘पल्लव’ ‘परिमल’ ‘कालजयी’ है ‘सात घरों का गाँव’... Hindi · कविता 415 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 3 Jan 2019 · 1 min read नवगीत हो सके तो क्षमा करना --------------------- हो सके तो क्षमा करना जो कहीं गलती हुई हो है असंभव कुछ नहीं यह बात संज्ञावान है धूप की छत पर छपे हर... Hindi · कविता 379 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 26 Feb 2020 · 1 min read नवगीत अधिकारों का भोर ***************** रहते मत वैभिन्य निरर्थक, वार्ता के संवाद. माँगों के हर विज्ञापन का, पीठ चढ़ा वैताल, फैल गया है कुंठाओं का, तर्कहीन शैवाल, है हठता पर अड़ी... Hindi · कविता 1 422 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 6 Feb 2019 · 1 min read गीत गरम जलेबी ********** नहीं फटकती घर-आंगन में आज कहीं गौरैया उजड़ गये हैं टँगे घोंसलों के वे पावन अड्डे उभर गये हैं दीवारों पर लामबंद के खड्डे जिन्स-पैन्ट के लिये... Hindi · कविता 433 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 12 Jan 2017 · 1 min read बिटिया कविता,गीत,नवगीत,कहानी,दुमदार दोहे,क्षणिका आदि पर कार्य. **बिटिया** दीं उसने बिना कहे सुने खुशियाँ ढेर दीं उसने सब कुछ बिना टालमटोल बिना जी हुजूरी दीं उसने फूलों का चमन हरी भरी क्यारी... Hindi · कविता 386 Share Page 1 Next