Mamta Singh Devaa Tag: कविता 276 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next Mamta Singh Devaa 22 Jan 2021 · 1 min read इनका क्या करें...? जो दूसरों पर करते बेकार के कमेंट हैं उनपे करो तो कहते ये नही डीसेंट है , खुद अपनी बदबूदार गिरेबाँँ में नही झाँकते हैं दूसरे की सुगंधित गिरेबाँ भी... Hindi · कविता 1 6 225 Share Mamta Singh Devaa 13 Jan 2021 · 1 min read ' कोयला बनाम हीरा ' तुम इतना जल कर क्या करोगे अपने रंग को और ज्यादा गहरा करोगे , क्या कहा ? रंग तुम्हारा साफ है लेकिन हरकतें तो बड़ी मज़ाक हैं , हर बात... Hindi · कविता 2 6 260 Share Mamta Singh Devaa 2 Jan 2021 · 1 min read " 2020 / 2021 " सभी आदरणीय एवं प्रिय जनों को नये साल की बहुत बहुत बधाई...पिछला साल याद रखते हुये कोई भी ये नही भूले की कोरोना गया नही बल्कि और भी शक्तिशाली रूप... Hindi · कविता 2 6 302 Share Mamta Singh Devaa 27 Dec 2020 · 2 min read " मेरे बचपन का एक राज़ " मेरा बचपन शैतानी और समझदारी दोनों से भरा था शतप्रतिशत एकदम तपे सोने जैसा एकदम खरा था , शैतानियाँ निराली थीं रोज़ नित नयी शैतानी की सवारी थी अम्माँ की... Hindi · कविता 1 6 294 Share Mamta Singh Devaa 27 Dec 2020 · 1 min read ' दिखावा ' तस्वीरों में खूब हँसना - मुस्कुराना हाथों में हाथ डाल तस्वीरें खिंचवाना , क्या वास्तव में इतना आसान होता होगा झूठे आडंबर पर दिल कितना रोता होगा , अगर सच... Hindi · कविता 2 4 403 Share Mamta Singh Devaa 27 Dec 2020 · 1 min read ' संरक्षक बनाम भक्षक ' हाँ ! मैने भी देखा है एक वट वृक्ष विशाल अचंभित थी देख उसकी विशालता कमाल , अपने आप को कुछ ज़्यादा सघन कर रहा था धीरे - धीरे वो... Hindi · कविता 2 2 207 Share Mamta Singh Devaa 27 Dec 2020 · 1 min read ' हर शाम दोस्तों के नाम ' शाम सुनहरी हो या एक सिंदूरी शाम हो अगर दोस्त ना हों तो हर शाम आम हो , चाहे जितनी भी लड़ाई हो बातों से कुटाई हो हर वो शाम... Hindi · कविता 2 412 Share Mamta Singh Devaa 27 Dec 2020 · 1 min read ' आँख का पानी ' ये दर्पण भी अजीब हैै सबको सच दिखलाता है पर कोई कभी भी सच को कहाँ देख पाता है , सबने गंधारी की तरह अपनी सोच में जीने के लिए... Hindi · कविता 1 2 391 Share Mamta Singh Devaa 27 Dec 2020 · 1 min read ' जासूसी ' आजकल... अजीब सी घबराहट दिमाग से उतर कर पूरे शरीर में घूमती और मैं... हैरान - परेशान अपने आप से पूछती की ये कौन है ? जो बिना पूछे इधर... Hindi · कविता 2 348 Share Mamta Singh Devaa 15 Dec 2020 · 1 min read ' उपर वाले की लाठी ' कैसा कोरोना काल था अजब सबका हाल था वहीं एक घर में दादी का खाना भी मुुुहाल था , सब अपने में मदमस्त अपने में चूर देखो कैसे विपदा में... "कोरोना" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 43 100 1k Share Mamta Singh Devaa 18 Nov 2020 · 1 min read " ज़रा सी ख्वाहिश " वो जी भर - भर कर औरों को सुख देतीं हैं खुद की ' ज़रा सी ख्वाहिश ' के लिए किसी कोने अतरे में छिप कर हिचक - हिचक के... Hindi · कविता 2 4 337 Share Mamta Singh Devaa 18 Nov 2020 · 1 min read " क्यों..." क्यों... लड़के मस्ती करते हैं तो बात आम होती है लड़कियाँ करती हैं तो बतंगड़ होती है ? क्यों... पुरूष बिना कहे बाहर जायें बात आम होती है औरत जाये... Hindi · कविता 1 273 Share Mamta Singh Devaa 18 Nov 2020 · 1 min read ज़िंदगी दो चौराहों पर अजीब सी ज़िंदगी है आजकल दो चौराहों पर जहाँ से आठ रास्ते जाते हैं अलग अलग राहों पर , कहाँ जाये कौन सा रास्ता चुनें समझ से बाहर भ्रमित हो... Hindi · कविता 206 Share Mamta Singh Devaa 18 Nov 2020 · 1 min read ' दोहरी जिंदगी...एक छलावा ' दोहरी ज़िंदगी...ये भी कोई ज़िंदगी है दोहरी ज़िंदगी... नही कोई बंदगी है , दोहरी ज़िंदगी... कैसे कोई जीता है दोहरी ज़िंदगी...मन का कोना जैसे रीता है , दोहरी ज़िंदगी...खुद से... Hindi · कविता 1 726 Share Mamta Singh Devaa 18 Nov 2020 · 1 min read ' परिभाषा गर्व की ' गर्व उस पर किया जाता है... जो निज स्वार्थ से परे होकर नि:स्वार्थ भाव से जीता है अपना फटा छोड़ कर दूसरों का फटा सीता है , गर्व उस पर... Hindi · कविता 560 Share Mamta Singh Devaa 29 Oct 2020 · 1 min read " होशियारी " सगे , सुंदर और प्यारे रिश्तों को संभालने में लगे हैं आप हम इसी सबके बीच आइये परिचय कराते है आभासी रिश्तों से हम , जो रिश्ते सदियों से चले... Hindi · कविता 238 Share Mamta Singh Devaa 29 Oct 2020 · 1 min read " सुनहरी यादें " खुशी के दो पल थे वो कहते थे हम बचपन जिसको हमें ना कोई चिंता अपनी हमारी फिकर थी अपनों को , मस्तमौला थी मैं तो जहाँ गई वहीं खा... Hindi · कविता 499 Share Mamta Singh Devaa 29 Oct 2020 · 1 min read " आज का रावण.... चतुर - चालक " आज का रावण भी शिक्षित है आज का रावण अमर्यादित भी आज का रावण भी अहंकारी ये सर्वज्ञ जगत को विदित भी , लेकिन वो रावण अमर्यादित होकर भी हमेशा... Hindi · कविता 245 Share Mamta Singh Devaa 29 Oct 2020 · 1 min read " निर्ममता " आह ! इतना निर्मम अत्याचार फूल से कोमल हाथ इन हाथों को देना था कलम - दवात का साथ , लेकर इन हाथों से खिलौने रख दिया इटों का भार... Hindi · कविता 220 Share Mamta Singh Devaa 29 Oct 2020 · 1 min read " हाजमोला " हमारे " सभ्य समाज " में इस तरह के " सभ्य व्यक्ति " सबके जीवन में एक ना एक तो होते ही हैं और जिनके जीवन में नहीं हैं वो... Hindi · कविता 274 Share Mamta Singh Devaa 28 Oct 2020 · 1 min read " शर्मसार वर्दी " क्या यूपी क्या राजस्थान क्या दिल्ली क्या महाराष्ट्र क्या जम्मू क्या हिंदुस्तान , सब जगह बस हैवान हैं और जनाब इन सबके हाथों जनता की कमान है , उस बेटी... Hindi · कविता 396 Share Mamta Singh Devaa 28 Oct 2020 · 1 min read " बदलते सुर " कोई किसी गलत के खिलाफ जब आवाज़ उठाता है तो उसके विरूद्ध खड़े होकर तुम्हारा सुर एक अलग राग गाता है , थप्पड़ खाने वाला ही तो तिलमिला कर चिल्लाता... Hindi · कविता 287 Share Mamta Singh Devaa 28 Oct 2020 · 1 min read सच का दर्पण.... अंतर्मन जो ज़ुबां बोले सब वो मानें किसी के अंतर्मन की कोई ना जाने , तेरे - मेरे सच- झूठ को कोई नही है जाना इस अंतर्मन की कहाँ सुने ज़माना... Hindi · कविता 319 Share Mamta Singh Devaa 21 Oct 2020 · 1 min read ये सच है ये सच है.... उलझने होती ही हैं सुलझने के लिए इच्छाएँ होती ही हैं मचलने के लिए , सपने होते ही हैं सच करने के लिए बेहूदगी होती ही हैं... Hindi · कविता 2 6 252 Share Mamta Singh Devaa 19 Oct 2020 · 1 min read " मर्यादापुरूषोत्तम " अजब अवतार थे आप गजब अवतार थे आप सारे अवतारों में सर्वश्रेष्ठ अवतार थे आप , आपने खुद को मनुष्य जाना मर्यादा में रहने का प्रण ठाना , बड़ा अनोखा... Hindi · कविता 4 3 230 Share Mamta Singh Devaa 17 Oct 2020 · 1 min read स्त्री / दुर्गा ये क्या था ??? सोती यशोधरा को यूँ छोड़ कर जाना ? गर्भवती सीता को जंगल पहुँचाना ? नवविवाहिता उर्मिला को चौदह वर्ष की नींद सुला देना ? देवी अहिल्या... Hindi · कविता 2 4 223 Share Mamta Singh Devaa 8 Oct 2020 · 1 min read सच/झूठ हमेशा..... सच के तराजू पर ही सच तौला जाता है कितना कम कितना ज्यादा इस पर फैसला सुनाया जाता है , आओ..... आज हम झूठ तौलते हैं उस झूठ के... Hindi · कविता 1 241 Share Mamta Singh Devaa 5 Oct 2020 · 1 min read " नि:स्वार्थ प्रेम " अजीब सी कशीश है इस प्रेम की अगन में बस झोंक देना है कोई परवाह नही एक परम आनंद है इस लगन में , कैसा खिंचाव है सुध - बुध... Hindi · कविता 1 2 492 Share Mamta Singh Devaa 5 Oct 2020 · 1 min read " हद मत पार करो " हर रिश्ते - संबंधों में एक सीमा रेखा होती है इस सीमा रेखा का हमेशा ध्यान करो किसी भी कीमत पर तुम इसको मत पार करो मत पार करो ,... Hindi · कविता 2 289 Share Mamta Singh Devaa 5 Oct 2020 · 2 min read " उम्र का सांध्य पहर " बचपन से जवानी तक जवानी से प्रौढ़ होने का सफर जीवन की सांध्य बेला पर ठहर जाता है उम्र का ये पहर सबके जीवन में आता है , सारी यादें... Hindi · कविता 2 364 Share Mamta Singh Devaa 5 Oct 2020 · 1 min read " हम बच्चों पर दया दिखाइये " हम नन्हीं सी जान हैं कितने हम नाजुक और थोड़े से नादान हैं , दिमाग हमारा बहुत तेज है पर हमारे ये बस्ते देखो इनका हम पर भार बहुत है... Hindi · कविता · बाल कविता 2 284 Share Mamta Singh Devaa 27 Sep 2020 · 1 min read " दृष्टिभ्रम " कोहरे के धुंधलेपन में दूर दिखता क्षितिज मन की धुंधली आशाओं सा धुंधला क्षितिज , आँधियों के गहरे कणों में ढ़कता क्षितिज बची इच्छाओं के कणों सा किरकिराता क्षितिज ,... Hindi · कविता 1 243 Share Mamta Singh Devaa 27 Sep 2020 · 1 min read " ढलती उम्र " ये अजीब सी उम्र है बिन बुलाये ही आ जाती है शान से अपना हक जता कर अपने बारे में बतलाती है , इस ढ़लती उम्र में भी मन पहले... Hindi · कविता 2 1k Share Mamta Singh Devaa 21 Sep 2020 · 1 min read " माया नगरी " माया नगरी की अद्भुत माया तो अंतहीन है इसके सामने बड़े से बड़ा जादूगर भी कौड़ी का तीन है , हमाम में सब नंगे हैं ये सब जानते हैं पर... Hindi · कविता 232 Share Mamta Singh Devaa 19 Sep 2020 · 1 min read बदलते रिश्ते वो स्वार्थ आसानी से समझ में आता है उसमें लिपटा मतलब का जब प्यार नज़र आता है कोई तो चाल है इसके पीछे नही तो भला कोई दुश्मन को गले... Hindi · कविता 2 2 281 Share Mamta Singh Devaa 19 Sep 2020 · 1 min read पूनम की रात सखी जरा तुम बताओ मुझे देखो यूँ ना सताओ मुझे , कैसी होती है ये पूनम की रात सुना है इसमें प्रेमी होते हैं साथ , चाँद सामने से सबको... Hindi · कविता 1 2 378 Share Mamta Singh Devaa 19 Sep 2020 · 2 min read सच क्या है ? सच क्या है ? वो जो सबको दिखलाया जाता है या वो जो पीछे छुपाया जाता है ? सच क्या है ? वो जो चिल्ला कर बताया जाता है या... Hindi · कविता 1 2 429 Share Mamta Singh Devaa 16 Sep 2020 · 2 min read मुझे पुरूष नही बनना है.... कोई बताये क्या कमी है मेरे स्त्री होने में मैं खुश हूँ स्त्री का अस्तित्व स्वीकारने में , सृष्टि की सबसे सुंदर कृति सोने सी शुद्ध क्यों बनूँ मैं राम... Hindi · कविता 1 4 239 Share Mamta Singh Devaa 14 Sep 2020 · 1 min read " हिंदी हमारी महान है " आज हिंदी दिवस पर ही नही बल्कि प्रतिदिन अपनी हिंदी का सम्मान किजिये और मान दिजिये.... सभी को हिंदी दिवस की शुभकामनाएं ??? " हिंदी हमारी महान है " किसी... Hindi · कविता 1 2 398 Share Mamta Singh Devaa 11 Sep 2020 · 1 min read " आंसा नही है आम आदमी होना " " आसां नही है आम आदमी होना " आम आदमी कितना आम सा शब्द है यही आम आदमी करता सबको निशब्द है , सब ख़ास अपनी ख़ास जिम्मेदारियां निभाते हैं... Hindi · कविता 1 4 351 Share Mamta Singh Devaa 9 Sep 2020 · 1 min read " आत्मविश्वास " ज़िन्दगी के नकारात्मक पहलू हार मानने लगे हैं मेरे जबरेपन से डर कर अपनी आँख चुराने लगे हैं , हर छोटी - छोटी बात पर ये अकड़ने लगे थे अब... Hindi · कविता 2 252 Share Mamta Singh Devaa 9 Sep 2020 · 1 min read नक़ाब/चिलमन...एक अंतर अजीब कशमकश में घिरी बैठी हूँ समझ नही आता की मैं कैसे कैसों में नीरी बैठी हूँ , ये जो चेहरे हैं मेरे चारों तरफ पूरा यकीन है मुझे पूरे... Hindi · कविता 1 390 Share Mamta Singh Devaa 8 Sep 2020 · 1 min read लेखनी सच की लेखनी जब चलती है ना जाने कितनों की भवें चढ़ती उतरती हैं सच सामने आ रहा है ये देख कर जान सांसत में पड़ती है , उन्होंने कभी... Hindi · कविता 2 2 450 Share Mamta Singh Devaa 8 Sep 2020 · 1 min read नजर अपनी अपनी सबकी सोच की अपनी कहानी ग्लास आधा भरा है या आधा खाली सबके नजरिए की अपनी जुबानी , बेटी का दिल ससुराल में छलनी तो बहुत बुरा लगता है बहू... Hindi · कविता 2 2 301 Share Mamta Singh Devaa 5 Sep 2020 · 1 min read " शिक्षक " शिक्षक दिवस पर मेरे सभी आदरणीय शिक्षकों के लिए...??? " शिक्षक " उम्र की हर दहलीज पर ना जाने कितने शिक्षक मिले कुछ कड़क कुछ नरम कुछ को मैं पसंद... Hindi · कविता 1 2 205 Share Mamta Singh Devaa 2 Sep 2020 · 1 min read " हम " तुम्हारे असंख्य शब्द शब्दों को जोड़ कर कितने वाक्य वाक्यों के अर्थ अलग - अलग पर सार यही कि तुम - मैं अधूरे पूर्ण होगें तब तुम - मैं से... Hindi · कविता 246 Share Mamta Singh Devaa 2 Sep 2020 · 1 min read " भरोसा " दोनों में इतना विश्वास तो ज़रूरी कि बिना बोले बिना देखे सब दे सुनाई और दिखाई , जिससे अंधेरे में चीखे़ बिना और बिना बजाए ताली डर से बढ़ा हुआ... Hindi · कविता 1 313 Share Mamta Singh Devaa 2 Sep 2020 · 2 min read मीडिया... मीडिया... मीडिया.... इस मीडिया ने तो ऐसा भरमाया है चारो तरफ बस इसी का सुर छाया है , कोई सच तो कोई झूठ दिखाता है कोई बकवास खबर से भरमाता है ,... Hindi · कविता 386 Share Mamta Singh Devaa 30 Aug 2020 · 1 min read " सपने बोरियों में " सपने....... कुछ बड़े कुछ छोटे कुछ मीठे कुछ तीखे कुछ सच्चे कुछ झूठे सब बंद इन बोरियों में आओ....... इन्हें खोले इन्हें जिये इन्हें सच करें एक - एक कर... Hindi · कविता 3 247 Share Mamta Singh Devaa 24 Aug 2020 · 1 min read " कैसा विकराल ये कोरोना काल " क्या कहें कैसे कहें कोरोना के किस्से कितने कहें , ऐसा संक्रमण फैला पूरी दुनिया में दुबक बैठे सब अपने कोना कुनिया में , कोई ज्यादा सचेत तो कोई बेपरवाह... Hindi · कविता 3 2 223 Share Previous Page 2 Next