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दिल में जब उल्फ़त का फूल खिला हो , तो ये ज़िंदगी खुश़नुमा गुलशन -ए- बहार लगती है , ग़र नफ़रत का ज़हर घुल जाए , तो ग़म से भरी खिज़ां -ओ – ख़ार लगती है ,
श़ुक्रिया !
बहुत खूब…हृदय से आभार ?
दिल में जब उल्फ़त का फूल खिला हो ,
तो ये ज़िंदगी खुश़नुमा गुलशन -ए- बहार लगती है ,
ग़र नफ़रत का ज़हर घुल जाए ,
तो ग़म से भरी खिज़ां -ओ – ख़ार लगती है ,
श़ुक्रिया !
बहुत खूब…हृदय से आभार ?