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11 Sep 2020 · 1 min read

” आंसा नही है आम आदमी होना “

” आसां नही है आम आदमी होना ”

आम आदमी कितना आम सा शब्द है
यही आम आदमी करता सबको निशब्द है ,

सब ख़ास अपनी ख़ास जिम्मेदारियां निभाते हैं
आम आदमी तो हम सबकी गाँठ सुलझाते हैं ,

इनके लिए तुम – मैं कोई मायने नही रखते हैं
ये तो सबको अपना ही समझ सब करते हैं ,

कितना मुश्किल है आम होकर ख़ास करना
और फिर ख़ास करके भी आम बने रहना ,

ये किसी पद – सम्मान के भूखे नही होते
ये दिल से मुलायम होते हैं रूख़े नही होते ,

इनकी मुलायमियत का मत उठाना गलत फायदा
नही तो ये तोड़ देगें फिर हर कानून – कायदा ,

ये प्रेम और सम्मान की भाषा जानते हैं
हर निराशा को भी आशा ही मानते हैं ,

यही आशा इनके आम आदमी होने की पहचान है
इसी के बल पर इनकी आन – बान और शान है ,

इस आम आदमी का बड़प्पन तो देखिए
जनाब इसके हौसले से कुछ तो सीखिए ,

हर विपत्ति में ये डट कर खड़ा रहता है
कुछ भी हो जाये ये हाथ नही छोड़ता है ,

इतने सब के बावजूद ये ख़ास नही होना चाहता है
ये आम था आम है और आम ही रहना चाहता है ।

स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 10/09/2020 )

Language: Hindi
1 Like · 4 Comments · 332 Views
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