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16 Sep 2018 · 1 min read

मुक्तक

महल बनाने को ख़्वाहिश में हमारे घर ले गए,
छीन कर झोंपड़ हमारे कुछ सिकन्दर ले गए,
मैंने अपने साल भर के सारे मौसम खो दिए,
कहने को तो दीवार से सिर्फ कैलेण्डर ले गए।

Language: Hindi
1 Like · 404 Views

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