मुक्तक
मेरा दिल इस तरह तोड़ो के आईना बधाई दे,
तुम इतना याद मत आओ के सन्नाटा दुहाई दे,
किसी को मख़मलीं बिस्तर पे भी मुश्किल से नींद आ,
किसी को नक़्श दिल का चैन टूटी चारपाई दे,
मेरा दिल इस तरह तोड़ो के आईना बधाई दे,
तुम इतना याद मत आओ के सन्नाटा दुहाई दे,
किसी को मख़मलीं बिस्तर पे भी मुश्किल से नींद आ,
किसी को नक़्श दिल का चैन टूटी चारपाई दे,