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4 Sep 2018 · 1 min read

क्यों रूठे हो मोहन (गीत , भजन)

क्यों रूठे हो मोहन मुझसे ,

कोई कारण यदि जान पाऊँ।

हाथ जोडूं ,चरण पकडूँ तेरे ,

तू जैसा कहे वैसे तुझे मनायुं।

मझधार में छोड़कर मुझे ,

तुमने कर दिया अकेला।

ना ही कोई हमराज़ है ,

ना हमदर्द ना साथी-सुहेला।

अब तेरा दर छोड़कर कहाँ जायुं।

भूल हो गयी मुझे बड़ी ,

ना याद रहा तेरा वायदा ,

मूरख थी नादान थी मैं ,

न समझ सकी माया का इरादा।

जाल में फंसी मीन की तरह अब छटपटायुं। ।

कन्हैया ! तुम तो बड़े दयालु हो ,

हो तुम जगत के पालनहार ,

तुम्हारे सिवा हम भाग्यहीन को ,

कौन देगा प्यार और दुलार।

अब माफ़ भी कर दो मैं तेरे समक्ष गिड़गिड़ायूँ। …

कहने की कोई ज़रूरत नहीं ,

तुम सब कुछ जानते हो।

तुम हो अंतर्यामी ,प्रभु !

अंतर की गति पहचानते हो।

मैं कैसे तुझे दिल खोल के दिखलायुं। …

सौभाग्य जगा दो मेरे दीन बंधू !

करके मुझपर असीम उपकार।

पार लगा दो इस भवसागर से ,

मेरी जीवन नैया के ओ खेवनहार !

अब छोड़ भी दो ज़िद अपनी , मैं गुहार लगायुं। ।

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