मुक्तक
पत्थर आपस में टकरायें कोई बात नहीं होती,
आग तभी पैदा होती जब पत्थर “चकमक” होता है,
पैसे की क़ीमत तो कोई ऐसे बच्चे से पूछे,
जिसको खिलौनों से भी प्यारा अपना गुल्लक होता है।
पत्थर आपस में टकरायें कोई बात नहीं होती,
आग तभी पैदा होती जब पत्थर “चकमक” होता है,
पैसे की क़ीमत तो कोई ऐसे बच्चे से पूछे,
जिसको खिलौनों से भी प्यारा अपना गुल्लक होता है।