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23 Aug 2018 · 1 min read

जब भी कभी किशोर

हुआ बुद्धि से प्रौढ़ इक, जब भी कभी किशोर!
दीवारें तब सोच की, … ….हुई आप कमजोर !!

चाटुकारिता का बढा, …तबसे मित्र प्रवाह !
जब से वे लिखने लगे , बिना पढ़े ही वाह !!
रमेश शर्मा

Language: Hindi
1 Like · 326 Views
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