मुक्तक
मुझको आँखों में अपनी जगह दीजिये ,
रात जगने के ये दिन गुज़र जायेंगे ,
ग़लतियों की ना ख़ुद को सज़ा दीजिये ,
दिल के मौसम अभी से सुधर जायेंगे।
मुझको आँखों में अपनी जगह दीजिये ,
रात जगने के ये दिन गुज़र जायेंगे ,
ग़लतियों की ना ख़ुद को सज़ा दीजिये ,
दिल के मौसम अभी से सुधर जायेंगे।