मुक्तक
मैं जो जलता हूँ अमावस में चिरागों की तरह ,
बन के तू बाती मेरे साथ साथ जलती है ,
तेरी आँखों में रहता हूँ मैं हर पल ज़िन्दा ,
तू भी आँखों में मेरी रोज़ ही पिघलती है ।
मैं जो जलता हूँ अमावस में चिरागों की तरह ,
बन के तू बाती मेरे साथ साथ जलती है ,
तेरी आँखों में रहता हूँ मैं हर पल ज़िन्दा ,
तू भी आँखों में मेरी रोज़ ही पिघलती है ।