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8 Aug 2018 · 1 min read

मुक्तक

” भीड़ जो लगती है अपनों की, ये तो सारे पराये हैं,
क़दम-क़दम पर जीवन में पहरे डाले बाधाएं हैं,
रहे भरोसे औरों जो प्रयत्न को हमने त्याग दिया तो,
कभी ने पूरे होंगे वो सपने जो हमने सजाये हैं “

Language: Hindi
260 Views

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