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6 May 2018 · 1 min read

ज्वार भाटा

मन में कितने ज्वार भाटे
क्या तुझको मैं बतलाऊँ
उठना गिरना सब कुदरत है
कैसे किस्मत को समझाऊं ।

* सूर्यकान्त द्विवेदी

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