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17 Apr 2018 · 1 min read

क़यामत से क़यामत तक हम इन्तजार कर लेंगें

बोलेंगे जो भी हमसे वो हम ऐतवार कर लेगें
जो कुछ भी उनको प्यारा है हम उनसे प्यार कर लेगें

वो मेरे पास आयेंगे ये सुनकर के ही सपनो में
क़यामत से क़यामत तक हम इंतजार कर लेगें

मेरे जो भी सपने है और सपनों में जो सूरत है
उसे दिल में हम सज़ा करके नजरें चार कर लेगें

जीवन भर की सब खुशियाँ उनके बिन अधूरी है
अर्पण आज उनको हम जीबन हजार कर देगें

हमको प्यार है उनसे और करते प्यार वो हमको
अपना प्यार सच्चा है हर मंजिल पर कर लेगें

क़यामत से क़यामत तक हम इन्तजार कर लेंगें

मदन मोहन सक्सेना

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