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15 May 2023 · 1 min read

जिंदगी

राम से है बड़ी ,राम की बंदगी।
फिर फटेहाल क्यों ,आम ये जिंदगी।1।

बाढ़ में बह गया, है जुनुं प्यार का
मुफलिसी में कटी , नाम है जिन्दगी।2।

रोटियां जो मिली, सिसकियाँ भी मिली।
रोज मिलती नहीं, शाम की जिंन्दगी।3।

रूठता जब रहा , बचपना प्यार को।
क्रूरता ही मिली, काम की जिन्दगी।4।

जब लगी ठोकरें, आँख खुल ही गयी।
बोझ ढोने लगी , आम हो जिंदगी।5।

आसमां झुक गया, जब क्षितिज के
लिये।
थम गया वो समय , याम हो जिंदगी।6।

“प्रेम” कहता रहा ,नफरती राह में।
कंटकों से भरी , जाम है जिंदगी।7।

डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम

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