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17 Apr 2018 · 1 min read

उतावला उन्माद

चैन अमन बना क्या रहे मेरे देश में?
क्योंकि कोई नहीं है यहां होश में…
हर कोई आवेश में,
जोश में तैश में।
समझेगा कौन क्या..?
है मतवालों की भीड़
तोड़ते है सब
मेरे भारत की रीढ़
कोई कुछ चाहता
कोई कुछ मांगता
ताक पर रखकर
सारी मानवता
इंसान हैं सब डगमगाए हुए
कुछ बहके हुए कुछ बहकाये हुए

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