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10 Mar 2018 · 1 min read

दीपावली / नववर्ष कविताएँ

दीपावली 2017
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कुछ दीप जला लेना, इस बार दीवाली मे
मन उजियारा करना, इस बार दीवाली मे !
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कुछ लम्हे दे जाना, कुछ खुशियाँ ले जाना
कुछ दर्द मिटा जाना, इस बार दीवाली मे।
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हर गम से किनारा कर, तुम झूम के इठलाना
चकरी की तरह फिरना, इस बार दीवाली मे ।
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दिल के हर कोने मे, हो रंग मुहब्बत का
सब गर्द हटा लेना, इस बार दीवाली मे ।
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रोतों को हँसा देना, रूठों को मना लेना
फुलझड़ियों सा खिलना, इस बार दीवाली मे ।
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सुख स्वास्थ्य समृद्धि की, निधियों से घर भरना
मुस्कान सजा लेना, इस बार दीवाली मे ।
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गीतेश दुबे ” गीत ”
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2017 की विदाई व 2018 के स्वागत मे
?हार्दिक शुभकामनाओं सहित?
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सत्रह बरस बिता कर, अठरह मे लग रही है
इक्कीसवी सदी अब, यौवन से खिल रही है ।

बालिग हुई सदी अब, मिलकर बधाई गाओ
जोशे जवानी रखकर, परवान चढ़ रही है ।

अठरह के आगमन पर, पलकें बिछी हैं सबकी
इस पर लुटाने खुशियाँ, दुनिया मचल रही है ।

सत्रह हुआ पुराना, गुडबाय कह चला है
सूरत नये बरस की, हर दिल उतर रही है ।

हो साल यह मुबारक, हर ज़िंदगी हो रौशन
ये ” गीत ” की दुआ है, दिल से निकल रही है ।

गीतेश दुबे ” गीत “

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