Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
10 Mar 2018 · 1 min read

ये मेरी संगनी

मापनी–212 212 212 212

जिंदगी है मेरी गर मधुर यामिनी।
चांद हूं सिर्फ मैं तुम मेरी चांदनी।।

दीप मैं बन सका जब बनी ज्योति तुम ।
और तुमसे हुई राह में रोशनी।।

भाव अंगड़ाइयां जब भी लेने लगे।
दिल के काग़ज पे तुम बन गई वर्तनी।।

एक आजाद पंछी सी थी जिंदगी।
बंदिशें जो लगीं तुम बनी बंदिनी।।

गूंजता है फिजां में तरन्नुम मगर।
बन सका राग जब तुम बनी रागिनी।।

जब घटा कोई मुश्किल की गहरा गई।
उस घड़ी कौंध जाती हो ज्यों दामिनी।।

जिंदगी का सफर है सुहाना ” अनीश “।
संग जब तक चले ये मेरी संगनी।।
*******
@nish shah

Loading...