Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
8 Mar 2018 · 1 min read

मत दो हमें झूठी बधाई

मत दो हमें झूठी बधाई, यह बधाई किस काम की,
आज का यह सम्मान हमें दिख रहा है बस नाम की।
साल के ३६४ दिन तुम छेड़ते हो समझ संपत्ति हराम की,
हाय क्या चीज़ है कहते हो जब लगाते हो दो घूंट जाम की।

कितने मुश्किलों का सामना करती हैं नारियां ज़हान की,
झांसे में न आयेंगे हम हम नारी वासी भारत महान की।
कभी दुर्गा, कभी, लक्ष्मी बाई का जयकारा लगाते हैं,
कुल की मर्यादा के आड़ में, हुनर को कुचलें जाते है।

अल्पबुद्धि, बदचलन, की उपाधि से नवाजी जाती हैं,
हर शहर हर गांव में, पैरों की जुत्ती समझी जाती हैं।
गिद्धों जैसे नोचे ये, मिल जाए कहीं अकेले अगर,
गर हम इतने प्रिय सबको तो, जीने दो खुलकर जीवन भर।

संजय सिंह राजपूत
8125313307
8919231773

Loading...