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8 Mar 2018 · 1 min read

हाँ एक औरत बनी हूँ मैं।

हाँ एक औरत बनी हूँ मैं।

जिसके दिल मे बस जाऊँ उसकी दिली धड़कन बनी हूँ मैं।

जो मुझे सिद्दत से प्रेम करे उसकी मोहब्बत बनी हूँ मैं

कभी बहन, कभी माँ बनी हूँ मैं।

कभी जीवन पथ पर पति की सहचरी बनी हूँ मैं

कभी ममता की मूरत, तो कभी आँचल की छाँव बनी हूँ मैं।

मैं ही नारी रूप में,शक्ति स्वरूपा बनी हूँ मैं।

कभी बाबुल का दुलार,,तो कभी भाई की दोस्त बनी हूँ मैं।

मैं ही सृष्टि की निर्माणाधीन शिला बनी हूँ मैं।

हर गम को छुपा लूँ,, वो सागर बनी हूँ मैं।

सबकों अपना बना लूँ वो सुंदरता की अनुपम छवि बनी हूँ मैं

अपने हौसलों से सबकी तकदीर बदल सँवार दूँ।

इस कायनात में वो मिशाल बनी हूँ मैं

हर रिश्ते की ताकत हूँ मैं
सुन लो दुनिया वालों

हाँ आज मैं जिसके क़दमों में
जन्नत मिले,वो औरत बनी हूँ मैं

रचनाकार-गायत्री सोनू जैन
सहायक अध्यापिका मन्दसौर
मोबाइल नंबर,,7772931211
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