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28 Feb 2018 · 1 min read

अगर मैं लड़की होता

शीर्षक–अगर मैं लड़की होता
अगर मैं लड़की होता
तो क्या सबकुछ होता ऐसा
जैसा होता आया है
क्या माँ मुझे भी
मेरे भाई जितना प्यार मुझे भी देती
मुझे अपनी चीजो के लिए
जिद करने का अधिकार देती
क्या मेरे पिता
सचमुच में मेरा दाखिला अंग्रेजी स्कूल में करा देते
मेरा हाथ पकड़ कर मुझे भी आगे बढ़ा देते

अगर मैं लड़की होता
तो शायद मुझे भी
मेरी बहन की तरह
वो सब नहीं मिलता
जो मुझे अच्छा लगता
वो खाना किचन में ना पकता
जो मुझे बहुत पसंद हो
मेरे घर से बाहर निकलने पर
मोहल्ले के लड़के मुझ पर भद्दे मजाक करते
हर नजर बाजार में मुझे घूरने को उठती

अगर मैं लड़की होता
तो शायद नहीं मनता मेरा जन्मदिन भी
ना महंगे कपडे ख़रीदे जाते
ना मुझे मेरा भाई
पूरी मिठाई खाने देता
मेरे पिता के लिए तो
मैं सिर्फ और सिर्फ परेशानी होता
कम उम्र में शादी हो जाती
मुझ पक्षी से तो उसका घोंसला ही छिन जाता
घर घर ना रहता वो तो पिंजड़ा बन जाता

अगर मैं लड़की होता
तो शायद मैं भी
कभी चूल्हे की आग में झोंका जाता
तो कभी खुद को ही जला देता
मैं तो बस घर में रखा सामान होता
ना खुद के होने का एहसास होता
ना कोई परिचय होता
हर उम्र में मेरा अपमान होता
नाम मेरा घर में ही गुमनाम होता
अगर मैं लड़की होता—–अभिषेक राजहंस

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