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28 Feb 2018 · 1 min read

मोरे  पिया तू  मुझको अब रंग डाल।।होली विशेष।।

उड़ते रंग उड़ती है इश्क की गुलाल
इस फ़िज़ा को भी करती हरी लाल

इक रंग उड़ पहुंचा यूँ पिया के द्वार
मन भावन मोरे पिया हुए निहाल

इश्क की पिचकारी जब छूटे यार
मोरे पिया तू मुझको अब रंग डाल

जात धर्म का भेद मिटाती है ये रंग
रंग में भी भेद नादान यूँ मत तू डाल

मैं दीवाना मेरे पीर -ओ-मुर्शिद का
मेरे मौला मुझको हर रंग में रंग डाल

रह गुज़र करता रहा सदा फ़कीरी में
आकिब’उनके दर से डरता है काल

-आकिब जावेद

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