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3 Feb 2018 · 1 min read

ख्वाहिश

खुदगर्ज नहीं मेरी नज़रें
पर अफसोस सदा मनाती हैं
जिस पल तुम्हें मैं याद करूँ
दीदार तुम्हारा चाहती हैं।

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