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31 Dec 2017 · 1 min read

प्रीत के ही गीत गाना चाहता हूँ

प्रीत के ही गीत गाना चाहता हूँ
प्यार मै सबको सिखाना चाहता हूँ

मैं विरह के गीत गाकर क्या करूँगा
वेदना में मुस्कुराना चाहता हूँ

पास सब कुछ है मगर कुछ है अधूरा
बांट खुशियाँ प्यार पाना चाहता हूँ

चंद मुर्झाए हुए चेहरे खिला कर
मैं सुकूने रूह पाना चाहता हूँ

बाँसुरी सा खोखला जो हो सकूँ तो
कृष्ण मैं सबको रिझाना चाहता हूँ

श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद.
मोबाइल 9456641400

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