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24 Dec 2017 · 1 min read

✍?हौंसले पस्त हों जाए तो बल............✍?

हौंसले पस्त हों जाए तो बल के क्षण याद करो।
ख़ुद को जिन्दा करने के लिए, खुद से ही बात करो।।1।।
कमज़ोर बनाती है ज़माने में बुरे लोगों की सोहबत,
फिर आँधियों में भी जलते हुए उन चिरागों को याद करो।।2।।
जमीं पर जब चलता है इंसान पड़ते हैं पैरों के निसान।
उन पाक निसानों के पीछे की हवादिसों को याद करो।।3।।
गमों में भी मुस्करातें हैं जो लोग बड़े नेक दिल होते हैं,
उनके हसीन चेहरे की हँसी और मुस्कराहट को याद करो।।4।।
जो आज है गम का मौसम, कल के आगोश में समा जाएगा।
उस हीरे की कालिख से चमकने का सफ़र याद करो।।5।।
जमाना भरा हुआ है इंसानों से जो देते हैं नसीहतें बड़ी बड़ी।
थोड़ा सब्र करो, उसके करम के बरसात को याद करो।।6।।
छोटे छोटे पौधौं को वक्त लगता है दरख़्त बनने में।
उनके दरख़्त बनने में लगे अच्छे बुरे वक्त को भी तो तुम याद करो।।7।।
‘अभिषेक’ कहता है कि आना जाना तो दुनिया का बहुत बड़ा हिस्सा।
पर किस लिए आए थे इस जहाँ में उसे तो याद करो।।8।।

***अभिषेक पाराशर***

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