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12 Dec 2017 · 1 min read

वो मिले आज जैसे अंजान हों

वो मिले आज जैसे अंजान हों!
मुलाकात ऐसी की मेहमान हों !!

मेरी आरजू है -ए- मेरे खुदा !
वो दिल से भी अच्छे इंसान हों !!

कभी रास्तो में अंधेरा न आये !
उनको तो हरपल दिनमान हों!!

मेरी दुआ है जोभी है उनके !
हो जायें पूरे जो अरमान हों !!
…………-:कवि गोपाल पाठक:-…….

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