Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
20 Nov 2017 · 1 min read

ढलती गांव की शाम

उड़ती धूल लौटते पंछी ढलती एक शाम
वो ठंडी हवाएं वो ठहरा सा सुहाना मौसम
उस गौधुली बेला में सब दुबकते घरों में
मंदिर में आरती और मस्जिद में नमाजे
दौड़ता है बचपन कही कही टहलता बुढापा
कही बर्तन खनखनाते कही खाने की खुशबू
लौटा है मज़दूर ले हाथो में खाने का सौदा
थाली में रोटी की चाहत में क्या क्या न खोदा
चौपाल पे दिल्ली तो नुक्कल पे है दुनिया
ये ही कल आज और कल की कहानी
ये मेरे भारत के एक गाँव में एक शाम की कहानी

Loading...