Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Oct 2017 · 1 min read

नज़्म – तुम ही बोलो…

आज फिर तुमने, दिल मेरे पे, दस्तक दी है….
मेरे बालों में, तेरी उँगलियों ने, हरकत की है…
एक सिहरन सी, बदन मेरे में, लहराई है……
ठहरे पानी में हलचल ने ली अंगड़ाई है

है हवाओं का रुख भी, मेरी साँसों की तरह….
तेरे अहसास से धीमा सा, कभी तेज ज़रा…
झूल रहे पते लटके हुए, हवा से कुछ ऐसे…
वक़्त जाने का तेरा, सांस मेरी भटके जैसे….

लोग कहते हैं हम तुम से, जुदा रहते हैं…
एक दूसरे से अलग और ही, जहां रहते हैं…
आज तुम आयी हो, इन सब को,बता कर जाना…
प्यार मोहताज नहीं, बंधन का, बता कर जाना…

किस तरह इनसे कहूँ मैं, तुमसे रोज़ मिलता हूँ…
कब से हूँ तेरा किस जन्म से मैं यूं मिलता हूँ….
तुम ही बोलो क्या तुम थी जुदा, मुझसे कभी….
मेरी साँसों में नहीं और कहीं, बसी थी कभी…..

\
/सी.एम्. शर्मा

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 1007 Views
Books from CM Sharma
View all

You may also like these posts

श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
जिस कार्य में मन लगे वही कार्य जीवन सफ़ल करे
जिस कार्य में मन लगे वही कार्य जीवन सफ़ल करे
Sonam Puneet Dubey
बसंत के रंग
बसंत के रंग
Shutisha Rajput
ख्वाब
ख्वाब
Kanchan verma
कुछ रिश्ते
कुछ रिश्ते
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
शैलजा छंद
शैलजा छंद
Subhash Singhai
हे प्रभु!
हे प्रभु!
Mukesh Kumar Rishi Verma
"पापा की परी”
Yogendra Chaturwedi
ओम के दोहे
ओम के दोहे
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
कोई दुख नहीं
कोई दुख नहीं
Meera Thakur
कभी किसी की सुंदरता से प्रभावीत होकर खुद को उसके लिए समर्पित
कभी किसी की सुंदरता से प्रभावीत होकर खुद को उसके लिए समर्पित
Rituraj shivem verma
इसलिए आप मुझको बुलाए नहीं
इसलिए आप मुझको बुलाए नहीं
Sudhir srivastava
!!  श्री गणेशाय् नम्ः  !!
!! श्री गणेशाय् नम्ः !!
Lokesh Sharma
कोई ख़तरा, कोई शान नहीं
कोई ख़तरा, कोई शान नहीं"
पूर्वार्थ
* नाम रुकने का नहीं *
* नाम रुकने का नहीं *
surenderpal vaidya
हे मात जीवन दायिनी नर्मदे मैया
हे मात जीवन दायिनी नर्मदे मैया
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
हर तरफ खामोशी क्यों है
हर तरफ खामोशी क्यों है
VINOD CHAUHAN
"बस तेरे खातिर"
ओसमणी साहू 'ओश'
मुझसे रूठकर मेरे दोस्त
मुझसे रूठकर मेरे दोस्त
gurudeenverma198
*माँ : 7 दोहे*
*माँ : 7 दोहे*
Ravi Prakash
***क्या है उनकी मजबूरियाँ***
***क्या है उनकी मजबूरियाँ***
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
दामन भी
दामन भी
Dr fauzia Naseem shad
*शब्द हैं समर्थ*
*शब्द हैं समर्थ*
ABHA PANDEY
गीत- रचा तुमको दिया संसार...
गीत- रचा तुमको दिया संसार...
आर.एस. 'प्रीतम'
लड़ता रहा जो अपने ही अंदर के ख़ौफ़ से
लड़ता रहा जो अपने ही अंदर के ख़ौफ़ से
अंसार एटवी
3651.💐 *पूर्णिका* 💐
3651.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
दोहे
दोहे
अशोक कुमार ढोरिया
तुमसे मिला बिना
तुमसे मिला बिना
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
कुछ मुक्तक
कुछ मुक्तक
Dr.Pratibha Prakash
शुभांगी छंद
शुभांगी छंद
Rambali Mishra
Loading...