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17 Oct 2017 · 1 min read

किसे कोसूँ

एक तरफ रोकता है
यह हाथ जुर्म करने को,
वही दूसरा हाथ दागदार है
पेट की आग बुझाने को;
कभी डरता हूँ लोगों को
अपना परिचय देने में ,
कभी डराकर लोगों को
लूटता हूँ आसानी से उन्हें;
बेबस हो जाता हूँ कभी
खुद से नफरत करने लगता,
किस्मत को या करम को
कोसूँ किसे मालिक मुझे बता ।

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