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15 Oct 2017 · 1 min read

बेनाम आसना

बेनाम आसना

दर्द और चोट से दवा ना हुआ
मैं अच्छा ना सही बुरा ना हुआ
मुझको तुमसे तो बस हमदर्दी थी
मेरा तेरा कोई आसना ना हुआ

मैं तो बस तेरी गली में जाता था
तेरा मेरा कभी सामना ना हुआ
तू भी अपने बाम पे लहराती थी
नज़रें ग़ुस्ताख़ थी थामना ना हुआ

मुझसे पूछा था हर मुसाफ़िर ने
आते जाते हुए हर काफ़िर ने
शफ़ा मिल जाएगी क्या तुझको ?
मरीज़े-ख़्वाब ही रहा दवा ना हुआ

मैं इन निसाबो में रोज़ जीता था
मुंजमिद था जहाँ से गुज़री थी
तेरे फिर से आने की रहगुज़ारी में
उम्र और साँस का पता ना हुआ

शफ़ा=रोग से छुटकारा
निसाबो=मृगमरीचिका
मरीज़े-ख़्वाब=ख़्वाब देखने का रोगी

यतीश १३/१०/२०१७

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