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4 Oct 2017 · 1 min read

***हनुमत दूरि करो कठिनाई ***

हनुमत दूरि करो कठिनाई,
निशि दिन ध्यावत टेरि लगावत अश्रु गिरे झरराई,
क्रूर निरशिया घेरे मोकूँ टेढि मार्ग उपजाई,
ध्यान धरूँ प्रभु रघुवर को तबहुँ नहीं कदराई,
भेद उपाजै मन में फिर-2 तनिकहुँ नहीं बिचलाई,
साँपिन सौं जी भय उपजावै नेकहुँ नहीं तुम्हहि डेराई,
हँस हँस नाचे धूलि उलाचै करै विफल सब नाई,
मिसलों जाके फन को हनुमत कृपा करहुँ हरषाई,
‘अभिषेक’है दास तिहारो तनिक सुनो गिरराई,
पिंगनयन अवलोकहुं मोकूँ,भरो ह्रदय क्षमताई।
***अभिषेक पाराशर***

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