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3 Sep 2017 · 1 min read

विश्वास

‌ पिछले कुछ वर्षों में कन्या भ्रूण हत्या की घटनाएं बढ़ने तथा बेटी के प्रति समाज में बढ़ती जागरूकता के चलते अधिक- तर रचनाकारों की लेखनी बेटी के पक्ष में चलती दिखाई दे रही है। चूंकि मैं भी थोड़ा बहुत लिख लेती हूँ अतः मेरी भी कुछ कृतियां बेटी की पक्षधर रहीं। यद्यपि मेरे बेटे संस्कारी होने के साथ-साथ अपनी बहन अर्थात मेरी बिटिया से बहुत स्नेह रखते हैं किन्तु कभी-कभी मुझे ऐसा महसूस होता था कि बिटिया की पक्षधर मेरी कृतियां उन्हें कहीं आहत तो नहीं करतीं? हालांकि ऐसा नहीं है और न ही हो सकता है यह मेरा दृढ़ विश्वास है क्योंकि मेरे बेटे तो घर के अनमोल रत्न हैं – – – – –
‌बेटी घर की मर्यादा है तो घर का मान सम्मान है बेटा।
‌माता-पिता का गुरूर है, उनकी शान है बेटा।
‌मां की तमन्नाएं और पिता के सारे अरमान है बेटा।
‌सच पूछो तो माता-पिता के दिल की धड़कन है,
‌ उनकी दिलोजान है बेटा।
‌हर घर की पहचान है बेटा।
‌—रंजना माथुर दिनांक 26/06/2017 मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
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