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3 Sep 2017 · 2 min read

दीपक राग

“दीपक”

01. आरती थाल
जीवन चक्र राग
दीप आलाप

02. रे ! लौ संताप
सृजन का आलाप
दीपक राग ।

03. जलता दिया
बुलंद हैं हौंसले
तन सहमा ।

04. दीये जलाती
माचिस की तिलियाँ
कभी घर भी ।

05. दीप से मिला
प्रेम की पराकाष्ठा
जला पतंगा ।

06. दीप जो जला
अज्ञान का अंधेरा
भाग निकला ।

07. साहसी दीप
लड़े अंधकार से
पर आदमी ।

08. दीपक जला
पर वह तो स्वयं
तम में पला ।

09. बत्ती जलती
मोम सह न सका
पिघल पड़ा ।

10. दीप जलता
हृदय में उसके
प्रेम पलता ।

11. दीप निर्मम
प्रेम करने वाले
जले पतंग ।

12. छोटा दीपक
तिमिर हरण का
बने द्योतक ।

13. दीपक जला
रोशन कर चला
जग समूचा ।

14. अंधेरी रात
एक दीप बता दे
उसे औकात ।

15. राह दिखाता
हथेली में सूरज
बन के दीया ।

16. दीया तो नहीं
सदियों से जलते
तेल व बाती ।

17. राह दिखाता
जगमग करता
नन्हां सा दीया ।

18. दीप से दीप
मिल कर मनाते
ज्ञान उत्सव ।

19. ज्योत से ज्योत
जलता जला दीया
बनी मालिका ।

20. दीप निर्मम
मिलन के बहाने
जले पतंग ।

21. दीया व बाती
अंधेरे से लड़ने
बनते साथी ।

22. प्रीत पुरानी
दीया और बाती की
कथा कहानी ।

23. निशा घनेरी
पर दीपक की लौ
चीर डालती ।

24. दीप सम्मुख
थकी, हारी व झुकी
निविड़ निशा ।

25. शब्दों के दीप
सुर की बातियों से
बने संगीत ।

26. जलता रहा
रात भर दीपक
सिसक रहा ।

27. कहता दीप
आनंद है अमृत
वेदना विष ।

28. मोम न बनो
पिघल ही जाओगे
इस दीप से ।

29. जल दीपक
अज्ञानता चीरते
बुझना मत ।

30. बूढ़ा दीपक
रात भर जागता
दिन में सोया ।

31. पर्व मनाएँ
शुभकामनाओं के
दीप जलाएँ ।

32. दीप जलाएँ
तम को पी जाने का
हूनर सीखें ।

33. दीये तो नहीं
सदियों से जलते
घी और रुई ।

●●●

□ प्रदीप कुमार दाश “दीपक”
मो.नं. 7828104111

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